पंजाब में AAP का अस्तित्व संकट में, बिखराव की ओर पार्टी

punjabkesari.in Tuesday, Jan 15, 2019 - 10:43 AM (IST)

चंडीगढ़। पंजाब में 2014 के लोकसभा चुनाव में 4 और 2017 के विधानसभा चुनाव में 25 सीटें जीत कर राज्य में अपना दबदबा कायम करने वाली आम आदमी पार्टी का भविष्य 2019 के लोकसभा चुनाव में धुंधला सा दिखाई देता है। AAP भले ही पंजाब में खुद को कांग्रेस, भाजपा व अकाली गठबंधन का विकल्प बता रही है, मगर स्थिति इसके बिलकुल विपरीत है। पंजाब में AAP का अस्तित्व भ्रामक स्थिति में है। बेशक भगवंत मान को AAP ने पंजाब की बागडोर सौंपी हुई है, लेकिन पार्टी नेतृत्व को राजनीतिक दिशा निर्देश का आभाव व एजेंडा न होने के कारण इसके कार्यकर्ता भी दुविधा में हैं। 

AAP में ऐसे शुरू हुआ बिखराव...
2018 में पंजाब में ऐसा बिखराव शुरू हुआ कि यह बिखरती ही चली गई। पार्टी के सशक्त प्रवक्ता सुखपाल खैहरा को उस समय पार्टी से अलग कर दिया गया, जब आम चुनाव नजदीक है। पार्टी में संकट तब खड़ा हुआ जब सुखपाल खैहरा को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया गया। इस प्रकरण के बाद सुखपाल खैहरा ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। नवंबर 2018 में खैहरा के साथ अन्य विधायक कंवर संधू को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित कर दिया गया। पिछले दिनों खैहरा ने आम आदमी पार्टी को अलविदा कह कर "पंजाबी एकता पार्टी" का गठन कर लिया। आप का बिलकुल बिखराव हो चुका है। खैहरा के साथ 6 विधायक बताए जाते हैं। 

एचएस फूलका भी छोड़ चुके हैं AAP का साथ...
इससे पहले आप विधायक एचएस फूलका ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। फूलका का विधायक पद से इस्तीफा अभी मंजूर नहीं हुआ है। इसमें विधानसभा के नियम आड़े आ रहे हैं। उन्होंने 3 जनवरी को आम आदमी पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया था। AAP से किनारा करते हुए उन्होंने एक नया संगठन खड़ा कर लिया है। इस संगठन का नाम सिख सेवक संगठन है। संगठन के मकसद के बारे में उनका कहना है कि इसके माध्यम से वह SGPC को राजनीतिक पार्टी के चंगुल से निकालना चाहते हैं। गौरतलब है कि फूलका 1984 के कत्लेआम के केसों की पैरवी कर रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को सजा सुनाए जाने के बाद वह आजकल सुर्खियों में हैं।

पूर्व कन्वीनर छोटेपुर ने भी बना ली थी "अपना पंजाब पार्टी"... 
पंजाब में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि आम आदमी पार्टी के केंद्र के नेतृत्व ने तानाशाही नहीं दिखाई हो। इससे पहले 2016 में आप आलाकमान ने पार्टी के तत्कालीन कन्वीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर पर कथित तौर पर रिश्वत का आरोप लगने पर उन्हें भी पार्टी के बाहर का रास्ता दिखा दिया था। यह घटनाक्रम ठीक उस वक्त हुआ जब पंजाब में विधानसभा चुनाव नजदीक थे। इस दौरान सुच्चा सिंह छोटेपुर ने भी AAP के केंद्रीय नेतृत्व पर टिकट आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। आप से किनारा करते हुए उन्होंने "अपना पंजाब पार्टी" का गठन कर लिया।

कॉमेडियन गुरप्रीत घुग्गी के पास भी रही पंजाब की बागडोर...
आम आदमी पार्टी ने पंजाब में पार्टी में आए संकट से निपटने के लिए एक्टर और कॉमेडियन गुरप्रीत घुग्गी को राज्य का कन्वीनर नियुक्त कर दिया, जिन्हें राजनीति अनुभव बहुत कम था। कुछ समय बाद घुग्गी की जगह भगवंत मान को आदमी पार्टी का कन्वीनर बनया गया। जिसका पार्टी में कुछ लोगों ने विरोध भी किया। भगवंत मान के विरोध में गुरप्रीत घुग्गी ने पार्टी छोड़ दी थी। घुग्गी ने कहा कि शराबी आदमी के नीचे वह काम नहीं कर सकते। पंजाब में भगवंत मान को आम आदमी पार्टी के संयोजक बनाने पर घुग्गी नाराज थे।

 महत्वकांक्षाओं के कारण भी बिखरी पार्टी...      
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीत हासिल कर देश में तहलका मचा दिया था। मगर बाद में AAP नेताओं की महत्वकांक्षाओं के कारण पार्टी बिखरती गई। दिल्ली से आप के बेशक 3 सांसद राज्यसभा पहुंच गए हैं, लेकिन पंजाब ऐसा राज्य है, जहां उनके लोकसभा के 4 सदस्य दो गुटों में बंटे हुए हैं। 2 सांसद केजरीवाल के साथ हैं जबकि दो विरोधी गुट में हैं। आप ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए सांसद धर्मवीर गांधी और हरिंदर खालसा को 2015 में निलंबित कर दिया था। गांधी जाने माने कार्डियोलॉजिस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह पटियाला निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं, जबकि खालसा फतेहगढ़ साहिब निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।


 

Suraj Thakur