नई पीढ़ी को मिलेंगे प्लास्टिक के विकल्प, एक नई अर्थव्यवस्था आएगी सामने

punjabkesari.in Monday, Feb 24, 2020 - 11:56 AM (IST)

जालंधर। विश्व प्रसिद्ध डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता, पर्यावरण प्रेमी व पूर्व पत्रकार क्रेग लीसन ने दावा किया है कि नई पीढ़ी को प्लास्टिक के विकल्प मिलेंगे और एक नई अर्थव्यवस्था सामने आएगी। उनका मानना है कि प्लास्टिक का संकट हर जगह है और इसे जड़ से खत्म करने की जरूरत है। वह कहते हैं कि प्लास्टिक से छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका यही है कि इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। लीसन की फिल्म "ए प्लास्टिक ओशन" ने 15 से अधिक फिल्म फेस्टिवल पुरस्कार जीते हैं और यह 70 से अधिक देशों में प्रदर्शित की गई है। फिल्म का संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रीमियर हुआ और एक पीढ़ी के भीतर  सिंगल यूज प्लास्टिक की लत को समाप्त करने के बारे में बात की गई। 

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लीसन पत्रकार से ऐसे बने पर्यावरण प्रेमी
एक निजी अंग्रजी अखबार को दिए साक्षात्कार में लीसन ने बताया कि जब वह एक पत्रकार थे तो कैसे वह पर्यावरण की ओर आकर्षित हुए। वह कहते हैं कि उनकी युवावस्था तस्मानिया समुद्री द्वीप गुजरी है। वह बर्नी शहर में पले-बढ़े है। लीसन कहते हैं कि जब वह पत्रकारिता कर रहे थे, तो बर्नी में "पल्प पेपर मिल" और "पेंट पिगमैंट प्लांट" के कचरे से शहर का समुद्री तट बहुत ज्यादा प्रदूषित था। यह पानी में तैरने वाले लोगों के शरीर पर घाव कर रहा था और लोग स्किन प्रोब्लम से परेशान होने लगे थे। यहां के लोगों को कैंसर होने की सर्वाधिक मामले आस्ट्रेलिया में दर्ज किए जाने लगे थे। वह बताते हैं एक पत्रकार होने के नाते उन्होंने इन प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर खबरें करने शुरू की और नेशनल न्यूज पेपर में उनकी खबरें सुर्खियां बनने लगी। परिणाम स्वरूप कई प्रदूषणकारी उद्योगों को शहर से हटा लिया गया। पूछे गए एक प्रश्न में उन्होंने यह भी बताया कि उद्योग बंद होने के कारण कई लोगों की नौकरियां चली गईं। हालांकि कि शहर में नए रोजगार के साधनों का सृजन हुआ और एक नई अर्थव्यवस्था ने जन्म लिया जो ज्यादा टिकाऊ और मजबूत है।

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समंदर में प्लास्टिक कचरे पर फिल्म बनाने का आइडिया
लीसन कहते हैं कि वह अपने काम के लिए समुद्र तटों और जल निकायों की यात्रा करते रहते थे। उनके एक मित्र ने उन्हें समुद्री यात्राओं के दौरान प्रदूषण की समस्याओं का अवलोकन करने के लिए कहा। जब उन्होंने समस्याओं की ओर ध्यान दिया तो उन्हें हर जगह प्लास्टिक नजर आने लगा। वह कहते हैं कि प्लास्टिक सबसे टिकाऊ पदार्थ है जिसे हमने ही कभी बनाया है।  यह पहले से ही हमारे शरीर में भोजन के माध्यम से रसायानों के साथ प्रवेश कर चुका है। वह सब कुछ जो प्लास्टिक से बना होता है, उसे समुद्र में फेंक दिया जाता है या फिर भूमि पर इसके ढेर लगा दिए जाते हैं। इससे निजात पाने का एकमात्र तरीका प्रतिबंध है।

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कानून बनाना काफी नहीं, सख्ती से लागू भी होने चाहिए
क्रेग लीसन बताते हैं कि रवांडा प्लास्टिक के बैग पर प्रतिबंध लगाने वाले पहले देशों में से एक था। इसका उपयोग करने पर वहां सख्त सजा दिए जाने का प्रावधान था। संयुक्त राज्य अमेरिका के कई राज्यों ने इसे प्रतिबंधित कर दिया है। यूरोप और एशिया के कई अन्य देश भी इसका पालन कर सकते हैं। महाराष्ट्र ने भी एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन केवल कानून पर्याप्त नहीं है, इसको सख्ती से लागू भी करना चाहिए। प्लास्टिक पर प्रतिबंध से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं, लेकिन इसके विपरीत ऐसा करने से नई अर्थव्यवस्था और सतत विकास के अवसर भी सामने आते हैं।

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नई अर्थव्यवस्था पर साकारात्मक सोच 
नई अर्थव्यवस्था के बारे में वह कहते हैं कि उद्यमशीलता नए समाधान खोजने, नए व्यवसाय विकसित करने और नई तकनीक विकसित करने के साथ आती है। जीवाश्म ईंधन या सिंगल प्लास्टिक यूज के साथ कई समस्याएं हैं। वह कहते हैं उनकी यह सोच साकारात्मक है कि नई पीढ़ी जब समस्याओं का सामना करती है, तो समाधान खोजने की कोशिश करेगी। इससे नए व्यवसाय और नई अर्थव्यवस्था बनकर सामने आएगी। बीएनपी पारिबा, सरकारें, प्रौद्योगिकी कंपनियां जैसे वित्तीय संस्थान आगे आएंगे और नई अर्थव्यवस्था के अवसर तलाशने पर कानून बनाए जाएंगे और उन्हें लागू किया जाएगा।

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सामाजिक समूहों और युवा पीढ़ी की भूमिका 
लीसन मानते हैं कि प्रत्येक विरोध और आंदोलन एक व्यक्ति के विचार से शुरू होता है। वह कहते हैं कि स्कूलों में प्लास्टिक पर अपनी डॉक्यूमेंट्री दिखाने के बाद मुझे इसका एहसास हुआ। प्रतिक्रिया बेहद सकारात्मक थी लीज बताते हैं कि वह एक सम्मेलन में एक तेल कंपनी के सीईओ से मिले। सीईओ ने बताया कि मेरी डॉक्यूमेंट्री फिल्म देखने के बाद उनके बेटे ने सवाल किया कि वह तेल कंपनी में काम क्यों करते हैं। वह कहते हैं कि पर्यावरण प्रेमी 17 साल की ग्रेटा थनबर्ग इसका जीवंत उदाहरण है। यह वह पीढ़ी है जो किए गए कार्यो के परिणामों का सामना करेगी और पृथ्वी को विरासत में कुछ देगी। यह पीढ़ी स्मार्ट, शिक्षित और सूचित है, भविष्य इसी पीढ़ी पर निर्भर करता है।। 
 


 


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Suraj Thakur

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