अमृतसर रेल हादसाः पत्नी के बचाव में आए सिद्धू, बोले हादसे पर राजनीति न करें

punjabkesari.in Saturday, Oct 20, 2018 - 05:32 PM (IST)

अमृतसरः  पंजाब स्थित अमृतसर में रावण दहन के दौरान हुए रेल हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई। वहीं, इस मामले में पंजाब कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू अपनी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू का बचाव करते नजर आए। आपको बता दें कि यहां दशहरे का आयोजन हुआ था। वहां नवजोत कौर सिद्धू मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंची थीं। हादसे की सूचना मिलने पर वह वहां से चली गई थीं। उनके पति सिद्धू ने उनका बचाव करते कहा कि हादसे पर राजनीति न करें।

अगर कोई यह सोचे कि यह जानबूझकर किया गया या उकसाने पर किया गया तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि हादसा ट्रेन चालक की गलती के कारण हुआ। उसने हॉर्न नहीं दिया। इस कारण एक सेकंड में ट्रेन ने मासूम लोगों को कुचल डाला। सिद्धू ने कहा कि जब दुर्घटना होती है तो किसी को बताकर नहीं होती। लोग राजनीतिक बातें कर रहे हैं। राजनीतिक रोटियां नहीं सेंकनी चाहिए। सिद्धू ने कहा कि इस घटना पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल नहीं खेला जा सकता। रावण दहन आजकल बटन से होता है, जिससे आग तेजी से लगती है। इस दौरान जब आतिशबाजी गलत दिशा में जाती है तो लोग पीछे हटते हैं। इसी दौरान वहां मौजूद लोगों को पता नहीं चला होगा।

 
 
कब कैसे हुआ हादसा
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि जिस वक्त ये तेज रफ्तार ट्रेन घटनास्थल से गुजरी, बहुत सारे लोग ट्रैक पर बैठकर और खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे। कुछ मोबाइल फोन पर रावण दहन का वीडियो बना रहे थे। बताया जा रहा है कि जब रावण के पुतले को आग लगाई गई तो मंच से लोगों से पीछे हटने की अपील की गई। इस वजह से भी काफी लोग मैदान से पीछे हटकर रेलवे ट्रैक पर चले गए थे। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है। इसमें दिख रहा है कि लोग रावण दहन देख रहे हैं और मोबाइल से उसका वीडियो भी बना रहे हैं। तभी बाईं ओर से तेज रफ्तार ट्रेन अचानक आती है। वीडियो से पता लगता है कि वहां मौजूद लोगों को ट्रेन के आने की भनक तक नहीं लगी। 

इस कार्यक्रम में मंच पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू भी मौजूद थीं। हादसे के वक्त घटनास्थल पर ही मौजूद रहे चश्मदीद अमरजीत ने बताया, "रावण को आग लगाई गई, पटाखे बज रहे थे। इस बीच एकदम से ट्रेन आ गई। किसी को ट्रेन के आने की आवाज सुनाई नहीं दी। मैंने दो लड़कों का हाथ खींचकर उन्हें बचाया। मैंने देखा कि 25-30 लोगों की लाशें बिछ गई हैं। मैंने इन लाशों को उठाकर दूसरी जगह पहुंचाया। मेरे हाथ पूरे खून से सन गए, मैं अभी-अभी इन्हें धोकर आया हूं। उनमें कई मेरे पहचान के लोग थे।" अमित कुमार का घर घटनास्थल के पास ही है। वह घटना के वक्त अपने घर की छत पर मौजूद थे। उन्होंने बताया, "ट्रेन बहुत स्पीड में आई, ट्रेन ने कोई हॉर्न नहीं दिया। उस ट्रेन ने वहां खड़े सभी लोगों को कुचल दिया। स्टेज से कहा गया था कि लोग पटरी से दूर होकर खड़े रहें। ये आयोजन हर साल होता है।"


बिना परमिशन के करवाया जा रहा था दशहरा कार्यक्रम
धोबी घाट में दशहरा कार्यक्रम किसी सरकारी अनुमति के करवाया जा रहा था। इस जगह पर हर वर्ष हजारों की संख्या में लोग रावण दहन देखने के लिए आते हैं और हर बार प्रबंधक पुलिस फोर्स के साथ अपने वॉलंटियर लगाकर लोगों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद होते थे, लेकिन इस बार बिना वॉलंटियर एवं चंद पुलिस कर्मचारियों के सहारे हजारों लोगों की सुरक्षा की व्यवस्था थी। जब रावण दहन हुआ तो एकाएक रेलवे ट्रेक पर दो गाड़ियों की क्रॉसिंग हुई। रावण दहन के समय पटाखों की गूंज में लोग ट्रेन आने की आवाज सुन नहीं सके। ट्रेन आने पर रेलवे ट्रैक पर लोगों की भगदड़ मच गई, जिसमें सैंकड़ों लोग इन दोनों ट्रेनों की चपेट में आ गए।

विभाग व रेलवे से नहीं ली कोई परमिशन
नगर निगम एस्टेट अधिकारी सुशांत भाटिया ने बताया कि विभाग से किसी प्रकार की कार्यक्रम को लेकर अनुमति नहीं ली गई। अगर कार्यक्रम को लेकर प्रबंधकों द्वारा अनुमति ली भी जाती तो भी अनुमति नहीं मिलनी थी, बाकी घटना बहुत दुखदायी है। इस संबंध रेलवे के स्टेशन डायरेक्टर अमृत सिंह ने बताया कि उक्त स्थान पर रेलवे लाइनों के पास दशहरा मनाने की न तो कोई अनुमति रेलवे ने प्रदान की है और न ही परमिशन लेने के लिए किसी ने रेलवे को लिखित रूप से सूचित किया था।

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