Coronavirus को शरीर में फैलने से रोकगा "पेप्टाइड", संक्रमित जानवरों पर टैस्ट के लिए भेजा लैब

punjabkesari.in Saturday, Mar 28, 2020 - 07:25 PM (IST)

जालंधर। पूरे विश्व के वैज्ञानिक इस वक्त कोरोनावायरस से निपटने की दवा खोजने में लगे हुए है। अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के शोधकर्ता "पेप्टाइड" प्रोटीन पर रिसर्च कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि यह प्रोटीन कोरोनावायरस को फेफड़ों की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकने में कारगार साबित हो सकता है। शोधकर्ताओं ने उस पेप्टाइड को लैब में भेज दिया है जहां इसे ह्यूमन सेल्स और कोविड-19 से संक्रमित जानवरों पर टेस्ट किया जा सकता है। दावा है कि सफल परीक्षण से इस प्रोटीन से इंजेक्शन तैयार किया जा सकेगा। पेप्टाइड दवाओं का सबसे बड़ा दोष यह है कि उन्हें आमतौर सीधे तौर पर नहीं खाया जा सकता, उन्हें शरीर में इंजेक्ट करना पड़ता है, साथ ही उसमें बदलाव करने की भी जरुरत है जिससे वो ज्यादा समय तक ब्लड में रह सके और अधिक प्रभावी हो सके| वर्तमान में लैब इस पर भी काम कर रही है।

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क्या है "पेप्टाइड" प्रोटीन
पेप्टाइड कोविड-19 से निपटने में मददगार हो सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह दवा एक छोटा पेप्टाइड एक प्रोटीन का टूकड़ा है, जोकि मानव कोशिकाओं की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन की तरह दिखता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह पेप्टाइड उस वायरल प्रोटीन को रोक सकता है जिसका उपयोग कोरोनावायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता है। इसकी मदद से कोरोनावायरस को शरीर में फैलने से पहले ही रोक सकते हैं। शोधकर्ताओं को यह भी कहना है कि पेप्टाइड दवाओं का सबसे बड़ा दोष यह है कि उन्हें आमतौर सीधे तौर पर नहीं खाया जा सकता, उन्हें शरीर में इंजेक्ट करना पड़ता है| साथ ही उसमें बदलाव करने की भी जरुरत है जिससे वो ज्यादा समय तक ब्लड में रह सके और अधिक प्रभावी हो सके। एमआईटी द्वारा किये जा रहे इस शोध से जुड़े प्रारंभिक निष्कर्ष 20 मार्च को एक ऑनलाइन प्रिपरेशन सर्वर, बायोरेक्सिव पर डाले गए हैं। हलांकि उसकी अभी तक वैज्ञानिकों या चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा नहीं की गई है।

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कैसे करता है यह पेप्टाइड, कोविड-19 से मुकाबला
"डाउन टू अर्थ" की रिपोर्ट के मुताबिक इस शोध का नेतृत्व भी कर रहे एमआईटी में केमिस्ट्री के एसोसिएट प्रोफेसर ब्रैड पेंटेल्यूट का कहना है कि यह एक ऐसा योगिक है जो कोरोनावायरस से सम्बंधित प्रोटीन से उसी तरह प्रतिक्रिया कर रहा है जैसा हमने इसके बारे में सोचा था। यही वजह है कि इसकी मदद से कोरोनावायरस को सेल में प्रवेश करने से रोका जा सकता है। यह जानने के बाद पेंटेल्यूट की लैब में सिमुलेशन की मदद से उस स्थान का पता लगाया गया जहां कोरोनावायरस ग्लाइकोप्रोटीन की मदद से अपने आप को होस्ट सेल के रिसेप्टर से जोड़ लेता है। साथ ही यह भी पता चला की यह दोनों आपस में किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं। यह जानने के बाद इससे निपटने के लिए लैब ने पेप्टाइड सिंथेसिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया, जो उन्होंने पहले ही विकसित कर रखी थी। इसकी मदद से उन्होंने उस पेप्टाइड का निर्माण किया जो इस वायरस के ग्लाइकोप्रोटीन को बांध सकता है। साथ ही यह कितनी मजबूती से उसे रोक सकता है, इस बात की भी जांच की गयी है| इसे समझने के लिए उन्होंने 100 से भी ज्यादा प्रकार के पेप्टाइड का निर्माण किया है| इसके बारे में प्रोफेसर पेंटेल्यूट ने बताया कि हमें पूरा भरोसा है कि हम वास्तव में जानते हैं कि यह अणु शरीर में कहां प्रतिक्रिया करते हैं| हम इस जानकारी की मदद से इस वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोक सकते हैं| 


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Suraj Thakur

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