बेअंत सिंह हत्याकांड: पुलिस ने ऐसे ट्रेस किए थे हत्यारे, फिर चला था ट्रायल

punjabkesari.in Saturday, Mar 17, 2018 - 03:42 PM (IST)

चंडीगढ़ः पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड मामले में आतंकी जगतार सिंह तारा को चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल में लगी सीबीअई की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।  तारा ने 25 जनवरी को अपना गुनाह कबूल किया था। इस मौके पर आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे पूरी घटना को अंजाम दिया गया था..

 

31 अगस्त 1995: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की पंजाब और हरियाणा सचिवालय के बाहर दिलावर सिंह नामक आदमी का मानव बम बनाकर हत्या कर दी गई। इस ब्लास्ट में 17 अन्य लोगों की मौत हो गर्इ थी।

सितंबर 1995: मामले में चंडीगढ़ की पुलिस ने दिल्ली के पंजीकरण नंबर वाली एक लावारिस एंबेसडर कार बरामद की। छानबीन के बाद सुरागों के आधार पर लखविंदर सिंह नाम के व्यक्ति की गिरफ्तारी की गई।

सितंबर 1995: लखविंदर सिंह से पूछताछ के बाद पुलिस ने बीपीएल कंपनी के एक इंजीनियर गुरमीत सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया।

19 फरवरी 1996: चंडीगढ़ की सत्र अदालत में तीन भगोड़ों सहित 12 लोगों के खिलाफ चालान दायर किया गया।

19 फरवरी 1996: तीन एनआरआई मंजीन्दर सिंह ग्रेवाल (इंग्लैंड), रेशम सिंह (जर्मनी) और हरजीत सिंह (अमेरिका) को फरार घोषित किया गया।

30 अप्रैल 1996: चंडीगढ़ की जिला और सत्र अदालत में कुल नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया। इनमें गुरमीत सिंह, नसीब सिंह, झिंगारा सिंह, लखविंदर सिंह, नवजोत सिंह, जगतार सिंह तारा, शमशेर सिंह, जगतार सिंह हवारा और बलवंत सिंह शामिल थे। इसके अलावा तीन लोगों महाल सिंह, वधवा सिंह और जगरूप सिंह को फरार घोषित किया गया।

जून 1998: बुड़ैल जेल ब्रेक की पहली घटना को जेल कर्मचारियों ने समय रहते नाकाम कर दिया। आरडीएक्स और डीटोनेटर जैसे कई विस्फोटक पदार्थ बरामद किए गए।

22 जून 2004: बुड़ैल जेल ब्रेक की घटना को अंजाम दिया गया और नौ आरोपियों में से तीन भागने में सफल हुए। जिनमें जगतार सिंह तारा भी शाामिल था।

8 जून 2005: दिल्ली के सिनेमाघर में विस्फोट के बाद हुई गिरफ्तारियों में जगतार सिंह हवारा को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने फिर से गिरफ्तार कर लिया।

27 जुलाई 2007: छह आरोपियों जगतार सिंह हवारा, बलवंत सिंह, गुरमीत सिंह, लखविंदर सिंह, शमशेर सिंह और नसीब सिंह को दोषी करार दिया गया और नवजोत सिंह को दोषमुक्त किया गया।

31 जुलाई 2007: जगतार सिंह हवारा और बलवंत सिंह को मौत की सजा दी गई। वहीं गुरमीत सिंह, लखविंदर सिंह और शमशेर सिंह को उम्रकैद और नसीब सिंह को 10 साल कैद की सजा दी गई।

12 अक्टूबर 2010: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने जगतार सिंह हवारा के मृत्युदंड को उम्रकैद में तब्दील किया और बलवंत सिंह की मौत की सजा को बरकरार रखा। तीन अन्य आरोपियों शमशेर सिंह, गुरमीत सिंह और लखविंदर सिंह की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा।

6 जनवरी 2014 : करीब 10 साल बाद दिसंबर 2014 में इंटरपोल की मदद से जगतार सिंह तारा को भारतीय एजेंसियां और थाईलैंड की एजैंसी के साथ जॉइंट ऑपरेशन से गिरफ्तार किया गया।

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