बठिंडा में फूटा दलित भाईचारे का गुस्सा,गाड़ियों के शीशे तोड़े(Pics)
punjabkesari.in Monday, Apr 02, 2018 - 12:29 PM (IST)
बठिंडा(परमिंदर): भारत बंद दौरान बठिंडा में 2 स्थानों पर तोड़-फोड़ के मामले सामने आए हैं। ए.सी. मार्कीट के दरवाजे तोड़े गए। बस स्टैंड के पास हौंडा शो रूम के बाहर जा रही गाड़ियों के शीशे भी तोड़ दिए गए। बड़ी संख्या में दलित भाईचारे के लोग सड़कें पर नारेबाजी कर रहे हैं। सभी बाजार प्रशासन ने मुकम्मल बंद करवा दिए हैं। कई स्थानों पर दुकानें जबरन बंद करवाई जा रही हैं। बस स्टैंड के पास लोगों ने जाम लगाया दिया है जिससे माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। इसके मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट से किस बदलाव से भड़के हैं लोग
एससी एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए बदलाव के खिलाफ देशभर में दलित संगठनों ने बंद का ऐलान किया है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लेकर केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को महाराष्ट्र के एक मामले को लेकर एससी एसटी एक्ट में नई गाइडलाइन जारी की थी।
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अधिनियम-1989 के दुरुपयोग पर बंदिश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एतिहासिक फैसला सुनाया था। इसमें कहा गया था कि एससी एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। इसके पहले आरोपों की डीएसपी स्तर का अधिकारी जांच करेगा। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तभी आगे की कार्रवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए.के. गोयल और यू.यू. ललित की बेंच ने गाईडलाइन जारी करते हुए कहा था कि संसद ने यह कानून बनाते समय नहीं यह विचार नहीं आया होगा कि अधिनियम का दुरूपयोग भी हो सकता है। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आई जिसमें इस अधिनियम के दुरूपयोग हुआ है।
नई गाईडलाइन के तहत सरकारी कर्मचारियों को भी रखा गया है। यदि कोई सरकारी कर्मचारी अधिनियम का दुरूपयोग करता है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए विभागीय अधिकारी की अनुमति जरूरी होगी। यदि कोई अधिकारी इस गाईडलाइन का उल्लंघन करता है तो उसे विभागीय कार्रवाई के साथ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई का भी सामना करना होगा।
वहीं, आम आदमियों के लिए गिरफ्तारी जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की लिखित अनुमति के बाद ही होगी। इसके अलावा बेंच ने देश की सभी निचली अदालतों के मैजिस्ट्रेट को भी गाईडलाइन अपनाने को कहा है। इसमें एससी/एसटी एक्ट के तहत आरोपी की अग्रिम जमानत पर मैजिस्ट्रेट विचार करेंगे और अपने विवेक से जमानत मंजूर और नामंजूर करेंगे।
अब तक के एससी/एसटी एक्ट में यह होता था कि यदि कोई जातिसूचक शब्द कहकर गाली-गलौच करता है तो इसमें तुरंत मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की जा सकती थी। इन मामलों की जांच अब तक इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी ही करते थे, लेकिन नई गाइड लाइन के तहत जांच वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के तहत होगी।
बता दें कि ऐसे मामलों में कोर्ट अग्रिम जमानत नहीं देती थी। नियमित जमानत केवल हाईकोर्ट के द्वारा ही दी जाती थी लेकिन अब कोर्ट इसमें सुनवाई के बाद ही फैसला लेगा। एनसीआरबी 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में जातिसूचक गाली-गलौच के 11,060 मामलों की शिकायतें सामने आई थी। इनमें से दर्ज हुईं शिकायतों में से 935 झूठी पाई गईं।