कनाडा व ब्रिटेन में बसे कट्टरपंथी सिखों तक पहुंच बनाने में जुटी भाजपा

punjabkesari.in Thursday, Jan 31, 2019 - 02:02 PM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी पुन: सत्ता पर काबिज होने के लिए हरसंभव प्रयास करने में जुटी हुई है और इसी कड़ी में एक बड़े कार्यक्रम के तहत भाजपा कनाडा व ब्रिटेन में बसे कट्टरपंथी सिख नेताओं से सम्पर्क साधने के प्रयासों में जुटी है।

वरिष्ठ भाजपा नेता राम माधव निभा रहे हैं अहम भूमिका

सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ भाजपा नेता राम माधव इन प्रयासों को अमलीजामा पहनाने के लिए प्रमुख वार्ताकार की भूमिका अदा कर रहे हैं। भाजपा 2 चरणीय रणनीति के तहत जहां भारत विरोधी तत्वों का पर्दाफाश करके उन्हें छिन्न-भिन्न करने का प्रयास कर रही है जिसमें गुरपतवंत सिंह पन्नू के नेतृत्व में सिख फॉर जस्टिस के रूप में भारत विरोधी तत्व काम कर रहे है, वहीं उन लोगों के साथ वार्ता करने की कोशिश भी कर रही है जो पहले खालिस्तान आंदोलन में संलिप्त थे। भाजपा ने पश्चिमी देशों में रहने वाले अलग-थलग हुए सिख ग्रुपों को हमेशा ही विभिन्न संदेश दिए हैं। मालूम हुआ है कि पार्टी ने लंबे समय से इन अलग-थलग समुदायों के बारे में चिंता व्यक्त की है। एक पुष्ट सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 2015 के बाद से इन ग्रुपों के साथ बातचीत जारी है। बताया जाता है कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद केंद्र सरकार द्वारा इन ग्रुपों तक पहुंच बनाने की रणनीति बनाई गई थी और इन ग्रुपों का दिल जीतना भी मोदी सरकार की प्रमुख चिंताओं में से एक थी, क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनावों में पश्चिम में बसे विदेशी सिखों ने आम आदमी पार्टी को भारी समर्थन दिया था।

पंजाब में आतंकवाद पनपने के बाद विदेशों में सिखों ने ली थी शरण

वर्णनीय है कि पंजाब में आतंकवाद पनपने के बाद बड़ी तादाद में सिख भारत से विदेशों में जा बसे और कुछ ने विदेशों में राजनीतिक शरण ले ली थी। मोदी सरकार में यह भी महसूस किया गया कि राजनीतिक शरण के तहत विदेशों में बसे सभी सिख न तो राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं और न ही कट्टरपंथी, वे केवल अपने कारोबार सैट करने के लिए विदेशों में बसे थे। भाजपा ने ब्रिटेन स्थित दक्षिण पंथी जसदेव सिंह राय को पहले ही इस संबंध में शामिल किया है जो लंदन में सिख ह्यूमन राइट्स ग्रुप के निदेशक हैं। राय ने राम माधव और कट्टरपंथी सिखों के मध्य कई मुलाकातें करवाई हैं जिनके कुछ परिणाम भी सामने आए हैं जिसके तहत पार्टी उन सिखों के लिए कुछ ठोस समझौता लेकर आगे आएगी जिन पर भारत लौटने पर पाबंदी लगाई हुई है। सूत्रों की मानें तो सरकार उस काली सूची की गंभीरता से समीक्षा कर रही है जिसमें कई लोगों पर खालिस्तानी आंदोलन में संबद्धता या शामिल होने के कारण पाबंदी लगी है।

सिख विरोधी दंगों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाई भाजपा

भाजपा ने इसके अलावा दिल्ली में सिख विरोधी दंगों में संलिप्त लोगों के खिलाफ मामलों पर तेजी लाने की रणनीति बनाई है और सज्जन कुमार जैसे लोग भी इसी रणनीति का हिस्सा हैं जिसे विगत महीने अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। भाजपा वर्षों से कानून की गिरफ्त से बचते आ रहे सज्जन को सजा होने का श्रेय ले रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी देश के दूसरे सबसे बड़े अल्पसंख्यक सिख समुदाय के साथ अपने संबंधों को यकीनी और मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। विपक्ष भाजपा पर हिंदू बहुल राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाता आ रहा है जबकि भाजपा इस कदम से यकीनी बनाना चाहती है कि वह अन्य अल्पसंख्यक समुदायों विशेषकर सिखों को एक समान नजर से देखती है। इसके अलावा पार्टी पंजाब में अपने घटक दल शिरोमणि अकाली दल को भी इसका लाभ दिलाने की चेष्टा करना चाहती है, परंतु अभी यह बताना कठिन है कि भाजपा विदेशों में बसे सिखों के विभिन्न ग्रुपों का दिल जीतने में कितनी कामयाब होती है।

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