अगर अडानी और अंबानी ने टैंपो भरकर कांग्रेस को भेजे हैं तो प्रधानमंत्री जी आपकी ई.डी. और सी.बी.आई. क्या कर रही है :  जयराम रमेश

punjabkesari.in Sunday, May 26, 2024 - 06:11 PM (IST)

इंडिया गठबंधन की सरकार बनना तय, पंजाब को मिलेगी हर मामले में प्राथमिकता

जालंधर (अनिल पाहवा) : पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने जहां देश में इंडिया ब्लाक की सरकार बनने का दावा किया है, वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभी से निवर्तमान प्रधाननमंत्री कहना शुरू कर दिया है। उन्होंने भाजपा के 400 पार के नारे को झूठा करार दिया तथा पार्टी पर सांप्रदायिक रंग देकर चुनाव जीतने की कोशिश का आरोप लगाया। कई अन्य मुद्दों पर उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर सवाल उठाए। वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के समय लोगों को मिल रही राहत का भी जिक्र किया। प्रस्तुत हैं उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश :-


भाजपा 400 के पार का नारा दे रही है, इस पर क्या कहेंगे आप

बिल्कुल नहीं, यह नारा भाजपा का अब बदल गया है। जब हमने 400 पार के नारे के पीछे के राज खोल दिए तो उन्होंने अपना यह नारा बंद कर दिया है। भाजपा लोगों से संविधान बदलने के लिए वोट मांग रहे थे। जो संविधान 26 नवम्बर 1950 को देश में अपनाया गया, भाजपा व आर.एस.एस. संघ इस संविधान के हमेशा खिलाफ रहा है, क्योंकि भाजपा ने हमेशा इस संविधान में खामियां निकाली है, उनका कहना है कि इसमें मनुवादी आदर्श नहीं है, मनुवादी मूल्यों से प्रेरणा नहीं ली गई है। लेकिन देश भर के दलित व पिछड़ा वर्ग के लोग भाजपा के इन मंसूबों को समझ गए हैं, तभी तो 19 अप्रैल के बाद भाजपा ने अपना 400 पार का नारा बदल दिया तथा सांप्रदायिक रंग देने में जुट गए थे।  भाजपा पहले कह रही थी कि मोदी की गारंटी, विकसित भारत, लेकिन 19 अप्रैल व 27 अप्रैल को हुए चुनावों के बाद उन्होंने यह अपनी रणनीति बदल दी है। पहले व दूसरे चरण के मतदान में स्पष्ट हो गया था कि दक्षिण भारत में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है तथा उत्तर भारत, पश्चिम भारत व पूर्वी भारत में भाजपा हॉफ हो गई है। अब भाजपा ने अपना 400 पार का नारा बदल दिया है। प्रधानमंत्री झूठ की महामारी फैलाते हैं। वह अपने ही बयानों पर खुद खंडन करते हैं। 17 दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी के मुंह से यह बयान सामने आया कि अडानी व अंबानी टैंपो के जरिए अपना काला धन कांग्रेस दफ्तर तक पहुंचा रहे हैं। अगर इस बात में सच्चाई है और आपको पता है कि काला धन अडानी व अंबानी के पास है तो आप ई.डी. की कार्रवाई क्यों नहीं करते। 8 नवम्बर 2016 को उन्होंने कहा था कि मैं नोटबंदी कर रहा हूं और इससे काला धन पकड़ा जाएगा और आज उनका बयान साबित कर रहा है कि देश में काला धन खत्म नहीं हुआ है।

कांग्रेस व भाजपा के कार्यकाल में क्या फर्क है

हमारे शासन में देश के किसान इतने नाराज नहीं थे, लेकिन मोदी की सरकार में किसानों को काले कानूनों को हटाने के लिए संघर्ष का सामना करना पड़ा। पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के समय 440 रुपए में सिलैंडर में मिलता था, आज वहीं सिलैंडर 1100 रुपए में मिल रहा है, और जो हमारी सरकार के दौरान मंत्री गैस सिलैंडर को लेकर हो हल्ला कर रहे थे, वहीं लोग आज सिलैंडर 1100 रुपए में मिलने पर बिल्कुल चुप्प होकर बैठ गए हैं क्योंकि वे सभी मंत्रिमंडल में हैं। मैं किसी विशेष का नाम नहीं लेना चाहूंगा, लेकिन लोग सब जानते हैं।

क्या इंडिया ब्लाक भाजपा का मुकाबला कर पाएगा?

मैं इंडिया ब्लाक नहीं कहूंगा, यह जनबंधन है। सिर्फ कांग्रेस ही भाजपा के खिलाफ नहीं लड़ रही, बल्कि देश की जनता, किसान, युवा, महिला, दलित आदिवासी ये सब इसका मुकाबला कर रहे हैं। पहले दो चरणों में जनता की नाराजगी साफ दिखी है और अब 428 सीटों पर चुनाव हो चुका है, बाकी अंतिम चरण बाकी है। आप देखिए 2004 में यही चुनाव 20 दिन में खत्म हुए थे, लेकिन इस बार इन चुनावों को 42 दिनों तक खींच दिया गया। मैं चुनाव आयोग से पूछना चाहता हूं कि किसके फायदे के लिए आपने इसे 42 दिन तक खींचा। चुनाव आयोग को जिस निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहिए था, वह इस चुनाव में दिखाई नहीं दिया।

इंडिया गठबंधन का प्रधानमंत्री कौन होगा ?
हमारे देश में चुनाव कौन बनेगा प्रधानमंत्री के लिए नहीं होता, हम एक पार्टी केंद्रित जनतंत्र हैं, दल केंद्रित जनतंत्र हैं। जिस पार्टी को जनादेश मिलता है और वही पार्टी अपना नेता चुनती है और वही नेता प्रधानमंत्री बनता है। 2004 में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए 2-3 दिन का समय लगा था, लेकिन इस बार 20 साल बाद 2024 में प्रधानमंत्री चुनने के लिए एक दिन का समय भी नहीं लगेगा। 4 तारीख को जनादेश मिलेगा और 5 को इंडिया गंठबंधन की पार्टियां अपना नेता चुनेंगी।

क्या गठबंधन में कुछ मुद्दों को लेकर विवाद नहीं पैदा होगा ?

मुझे नहीं लगता। ऐसे गठबंधनों में जो दल सबसे बड़ा होता है और जिसके पास सबसे ज्यादा सीटें होती है, उस दल का नेता ही प्रधानमंत्री बनता है। इसमें कोई वाद-विवाद का विषय नहीं है। हमारी प्राथमिकता किसान, श्रमिक, युवा, महिला और पिछड़ा वर्ग। इन्हीं पांच मुद्दों पर हमारा फोकस रहेगा।

लोकसभा चुनावों में कांग्रेस कितनी सीटें जीत पाएगी ?

इंडिया गंठबंधन को स्पष्ट और निर्णायक जनादेश मिलेगा, जैसे 2004 में मिला था। मैं यह कहूंगा कि ऐसे कई राज्य हैं जैसे राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना जहां 2019 में कांग्रेस का बिल्कुल सफाया हो गया था, लेकिन इस बार इन राज्यों में हमारा प्रदर्शन बहुत मजबूत होगा और काफी अच्छी सीटें आएंगी।

दक्षिण भारत में सीटों को लेकर कान्फीडैंट है भाजपा, आप क्या कहेंगे

दक्षिण भारत में भाजपा बिल्कुल साफ हो गई है। केरला, तमिलनाडु, कर्नाटका में हाफ, तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में जो भाजपा दावे कर रही है, वे बिल्कुल जमीनी हकीत से विपरीत हैं। हां, कुछ राज्य जैसे राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटका, तेलंगाना ऐसे राज्यों में 2019 में शिखर पर थी, लेकिन इस बार उनका गिरना तय है।

आरक्षण को लेकर भाजपा कांग्रेस को घेर रही है, आपको क्या लगता है

भाजपा हमेशा झूठा प्रचार करती है कि हम धर्म के आधार पर आरक्षण के पक्ष में है। हमने हमेशा जब भी आरक्षण दिया है, सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन के आधार पर ही दिया है। यह बात सही है कि 1994 में कुछ मुसलमान, क्रिश्चियन व बौद्ध धर्म के अल्पसंख्यकों को आरक्षण मिला है, लेकिन वह आरक्षण सामाजिक व आर्थिक आधार पर दिया गया है न कि धर्म के आधार पर। अगर प्रधानमंत्री जातीय जनगणना ही नहीं कराएंगे तो आपको कैसे पता चलेगा कि किस जाति के कितने लोग हैं। 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि एस.सी., एस.टी. व ओ.बी.सी. की 50 प्रतिशत की सीमा पार नहीं कर सकता। तमिलनाडु एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पर आरक्षण 69 प्रतिशत है लेकिन हमारा संविधान इसको सुरक्षित रखता है क्योंकि 1994 में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार में उसको हमारे संविधान की नई सूची में शामिल किया और किसी राज्य के आरक्षण का अधिनियम सूची में नहीं है। हमारा प्रधानमंत्री से एक ही सवाल है कि जातीय जनगणना कराएंगे कि नहीं। 50 प्रतिशत की सीमा नहीं बढ़ाएंगे तो एस.सी.एस.टी. और ओ.बी.सी. को पूरा हक मिलने की कोई गुंजाइश नहीं है। इस पर प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोल रहे। प्रधानमंत्री की एक ही रणनीति है, कि असली मुद्दों से ध्यान हटाना और इतिहास को लेकर लंबी-लंबी बातें करते रहते हैं।

पंजाब में कांग्रेस की स्थिति क्या है ?
प्रधानमंत्री 10 साल पहले निकले थे कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के लिए, लेकिन यह तो कांग्रेस युक्त भाजपा हो गई। हरियाणा में 10 में से 6 कांग्रेस के उम्मीदवार जो कांग्रेस में थे, अब भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। पंजाब में भी कुछ ऐसे ही नेता हैं, लुधियाना में भी भाजपा का उम्मीदवार कांग्रेस की ही एक माइग्रेंट वर्कर है। यहां आम आदमी पार्टी के साथ हमारा कोई गठबंधन नहीं है। हम पंजाब में सिर्फ कांग्रेस पार्टी के लिए वोट मांग रहे हैं क्योंकि पंजाब विधानसभा चुनावों के समय जनता ने हमें विपक्ष में बैठने के लिए जनादेश दिया। पंजाब कांग्रेस बिल्कुल नहीं चाहती थी कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन हो। कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है, हमें जो स्टेट पार्टी कहती है, हम उसका आदर करते हैं और उसका पालन किया जाता है।
 
पंजाब में अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है, तो क्या आम आदमी पार्टी के साथ विवाद नहीं होगा ?

इसमें कोई विराधावास नहीं है। एक व्यक्ति के दो पांव होते हैं, दोनों पांव महत्व रखते हैं। एक पंजाब का पांव है, जहां आम आदमी के खिलाफ हम लड़ रहे हैं और दूसरा दिल्ली का पांव है, जहां आम आदमी पार्टी हमारे साथ खड़ी है। क्योंकि राज्य स्तर पर मुद्दे अलग होते हैं और नैशनल स्तर पर मुद्दे कुछ अलग होते हैं। हमारा दिल्ली में मुख्य विरोधी नरेंद्र मोदी व भाजपा है, जबकि पंजाब में मुख्य विरोधी आम आदमी पार्टी है।

केंद्र में सरकार बनी तो पंजाब की आम आदमी पार्टी की क्या स्थिति रहेगी

यह सब प्रधानमंत्री तय करेंगे, एक समन्वय समिति बनेगी, जो पंजाब के सांसद चुनकर आएंगे, वही पंजाब की स्थिति लेकर निर्णय लेंगे। पंजाब से संबंधित जो मुद्दे होंगे, उसी के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। सबसे बड़ी समस्या पंजाब में किसानों की है, एम.एस.पी. को लीगल गारंटी देना, कर्जा माफ करना, आयात-निर्यात पालिसी बनाना है, भूमि अधिग्रहण कानून जिसे कमजोर किया गया है, उसे मजबूत करना है। लुधियाना, जालंधर, बटाला जैसे शहरों में छोटे लघु उद्योग जो नोटबंदी व जी.एस.टी. के कारण बंद पड़े हुए है्ं, उनकी समस्याओं को हमें हल करना है। खास कर यहां के पर्यावरण को लेकर भी कई अहम मुद्दे हैं, जैसे वायु प्रदूषण हो रहा है, लोगों के स्वास्थ्य पर असर हो रहा है, ये काफी गंभीर समस्याएं है। मैंने जब 10-12 साल पहले जलवायु परिवर्तन की बात की तो यही भाजपा व प्रधानमंत्री मोदी ने इसका विरोध किया, लेकिन आज यही भाजपा पर्यावरण को लेकर विश्वगुरु बनना चाहते हैं।

पंजाब में 'आप' का विरोध, लेकिन दिल्ली में सहयोग, क्या यह वोटर के साथ धोखा नहीं ?

बिल्कुल धोखा नहीं होगा। 4 जून को हमें जनादेश मिलने जा रहा है। इंडिया जनबंधन का पहला कदम पंजाब के किसानों के लिए होगा, पंजाब की प्राथमिकताओं के लिए होगा, पंजाब में अमन और शांति बिगाड़ने के लिए जो षड़यंत्र भाजपा रच रही हैं, उसके खिलाफ होगा। पहला कदम किसानों के लिए एम.एस.पी. को लागू करना होगा जबकि दूसरा कदम कर्जा माफी होगा। हमने 2008 में मनमोहन सिंह की सरकार में 72,000 करोड़ रुपए किसानों का कर्जा माफ किया था, जिसमें 5 लाख किसान पंजाब के थे। और अब देखिए पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री मोदी ने 16,00,000 करोड़ रुपए कर्जा 21 पूंजीपतियों का माफ किया है, न कि किसानों का। किसान हमारे देश की रीढ़ की हड्डी हैं, लेकिन बहुत दुर्भाग्य है कि नरेंद्र मोदी की सरकार में किसानों का अपमान और चंदादाताओं का सम्मान। अन्नदाता का सम्मान हमारे इंडिया जनबंधन का मूल सिद्धांत होगा।

पंजाब में कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेंगी
ज्यादातर सीटें कांग्रेस को ही आएंगी, हम सभी सीटों पर अच्छे मजबूत तरीके से लड़ रहे है और ज्यादातर सीटें हम लाएंगे। पंजाब में भाजपा के प्रति लोगों का गुस्सा बहुत है तथा कई भाजपा के उम्मीदवार तो गांवों में वोट मांगने तक नहीं जा पा रहे। लेकिन मैं इतना कहना चाहता हूं कि इंडिया जनबंधन को राष्ट्रीय स्तर पर जो जनादेश मिलेगा, उसमें पंजाब के लोगों की एक बहुत बड़ी भूमिका होगी।

कांग्रेस की सरकार बनती है तो क्या कांग्रेस छोड़ने वालों की घर वापसी होगी?

यह बिल्कुल नहीं होगा, जो लोग एक बार पार्टी छोड़कर जा चुके हैं, उनकी घर वापसी की जरा भी संभावना नहीं होगी। अवसरवादी लोगों को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, अगर कांग्रेस में रहना है तो कांग्रेस की विचारधारा पर विश्वास रखना होगा। कई लोगों ने कांग्रेस को रेलवे प्लेटफार्म समझ रखा है, पार्टी ने जिन लोगों को मंत्री बनाया, सांसद बनाया, मुख्यमंत्री बनाया और यही लोग विश्वासघात कर रहे हैं। मैं हाईकमान नहीं हूं पर मैं हाईकमान को जरूर कहूंगा कि ऐसे गद्दारों को पार्टी में वापस बिल्कुल नहीं लेना चाहिए। 


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Content Editor

Subhash Kapoor

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