कोरोनावायरस से हो सकती है 8 करोड़ लोगों की मौत, WHO ने बीते साल ही कर दिया था आगाह

punjabkesari.in Thursday, Mar 19, 2020 - 11:35 AM (IST)

जालंधर। आज पूरे विश्व में जब कोरोनावायरस लगभग सभी देशों में दस्तक दे रहा है, तो इससे बचने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)ने सितंबर 2019 में सभी देशों को इस तरह का वायरस पूरी दुनिया में फैलने की संभावना जताई थी। विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट 'ए वर्ल्ड एट रिस्क' (A World At Risk) में कहा गया था कि यह वायरस इसलिए भी ज्यादा खतरनाक होगा। पूरी दुनिया में काफी ज्यादा और तेजी से लोग एक देश से दूसरे देश की यात्राएं कर रहे हैं। इस लिहाज से आने वाला वायरस पहले से ज्यादा खतरनाक साबित होगा और मात्र 36 घंटे में पूरी दुनिया में फैल जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया था कि महामारी फैलने की स्थिति में विश्व भर में करीब पांच से आठ करोड़ लोगों की मौत हो सकती है। इस खतरानाक वायरस का अलर्ट जारी करने वाली संस्था द ग्लोबल प्रीपेयर्डनेस मॉनिटरिंग बोर्ड (GPMB)का कहना है कि उनके द्वारा जारी की गई इस खतरनाक वायरस की रिपोर्ट को वैश्विक नेताओं ने पूरी तरह से अनदेखा कर दिया था। जबकि WHO ने भी इस रिपोर्ट पर मुहर लगा दी थी।

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अर्थव्यवस्था कमजोर होने की जताई थी संभावना 
विशेषज्ञों के अनुसार, करीब सौ साल पहले 1918 में स्पेनिश फ्लू महामारी (Spanish Flu Pandemic) से करीब पांच करोड़ लोगों की मौत हुई थी। तब से अब तक दुनिया की आबादी चार गुणा बढ़ गई है और दुनिया के किसी भी हिस्से में 36 घंटे से भी कम समय में पहुंचा जा सकता है। अगर ऐसा संक्रमण आज फैलता है तो 5-8 करोड़ लोग मर सकते हैं।” विशेषज्ञों के अनुसार, बहुत तेज गति से फैलने वाला ये फ्लू बेहद खतरनाक है। इसमें 10 करोड़ लोगों की जान लेने की क्षमता है। साथ ही, इससे कई देशों की अर्थव्यवस्था बिगड़ने और राष्ट्रीय सुरक्षा के अस्थिर होने का भी बड़ा खतरा है। इस रिपोर्ट पर मुहर लगाते हुए WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घिबेयियस ने सभी देशों की सरकारों से आह्वान किया है कि वह इस खतरे से निपटने के लिए पुख्ता तैयारी रखें। उन्होंने कहा था कि ये मौका है जब जी-7, जी-20 और जी-77 में शामिल देश बाकी दुनिया के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं। 

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जलजीव होंगे महामारी के वाहक, जानवरों से फैलेगा वायरस
"डाउन टू अर्थ" में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक  जूनोटिक बीमारियां जानवरों से मनुष्यों को होने वाले संक्रामक रोग हैं। ईकोहेल्थ अलायंस कहता है कि जल पक्षी (वाटरफाउल) फ्लू वैश्विक महामारी के वाहक होंगे जबकि चमगादड़ या कुतरने वाले जीव जैसे चूहा, गिलहरी कोरोनावायरस के स्रोत होंगे। यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट में एमरजिंग थ्रेट्स डिवीजन के पूर्व निदेशक डेनिस कैरॉल नेटफ्लिक्टस कहते हैं, “पिछले 15 वर्षों में हमने चीन और दुनिया के तमाम हिस्सों में चमगादड़ों में सार्स से संबंधित दर्जनों कोरोनावायरस पाए हैं। हमारे शोध से पता चला है कि चीन में लोग चमगादड़ का शिकार करते हैं जिन्हें सार्स और नए कोरोनावायरस से जुड़े वायरस ले जाने के लिए जाना जाता है। इनके संपर्क में आने वालों ने पहले इन वायरस के प्रति एंटीबॉडी विकसित की है, जिसका अर्थ है कि वे उनके संपर्क में आए हैं और बीमारी को फैला सकते हैं।”

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जलवायु परिवर्तन का कोई सीधा संबंध नहीं 
हालांकि कोरोनावायरस के प्रकोप और जलवायु परिवर्तन के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध स्थापित नहीं किया गया है, लेकिन अध्ययन बताते हैं कि तापमान में वृद्धि और बर्फ के पिघलने से पारिस्थितिकी तंत्र में नए वायरस आ रहे हैं। शोधकर्ताओं ने हाल ही में तिब्बती ग्लेशियर में फंसे 33 वायरस पाए। इनमें से 28 पूरी तरह से नए थे और उनमें से सभी में बीमारियां फैलाने की क्षमता थी। यह अध्ययन 7 जनवरी 2020 को बायोआरकाइव्स में प्रकाशित किया गया था। बर्फ के पिघलने से वायरस हवा में पहुंच जाते हैं और नदियों के माध्यम से यात्रा करके मनुष्यों को संक्रमित करते हैं। इसके अलावा, दुनिया भर में तेजी से हो रहे शहरीकरण से प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं। इससे नए वायरस उभर रहे हैं और हमारे पास उनसे जूझने की प्रतिरक्षा नहीं है।


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Suraj Thakur

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