गोवा में भाजपा के रथ को रोकेंगे ‘संघ के सारथी’

punjabkesari.in Thursday, Jan 26, 2017 - 01:13 AM (IST)

जालंधर: गोवा में इस बार का चुनाव विशेष बदलाव लेकर आया है। अब तक गोवा में भाजपा का मुकाबला अन्य दलों के साथ रहा है लेकिन संघ से नाराज होकर वहां के बड़े प्रचारक सुभाष वेलिंगकर ने भाजपा के लिए चुनौती पैदा कर दी है। वेङ्क्षलगकर ने न केवल संघ तथा भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला है बल्कि अपनी नई पार्टी गोवा सुरक्षा मंच का भी गठन किया है। दिलचस्प बात यह है कि वेङ्क्षलगकर इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं बल्कि उनके साथ संघ से ही नाराज होकर गए सैंकड़ों स्वयंसेवक शामिल हैं। 


भाजपा के लिए ङ्क्षचता का विषय यह है कि जो वोट पहले भाजपा के खाते में जाता था, वह इस बार बंट जाएगा। बेशक भाजपा इस वोट बैंक को बचाने की कोशिश करेगी लेकिन वेङ्क्षलगकर के साथ संघ में काम कर चुके लोगों के होने के कारण वेङ्क्षलगकर की पार्टी को भी काफी संख्या में वोट मिलने की संभावना है। ऐसे में भाजपा को इस बार दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। बात यहीं खत्म नहीं होती बल्कि गोवा में इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतर चुकी है, जो पहले ही दिल्ली के विधानसभा चुनावों में भाजपा को धूल चटा चुकी है।

 

गोवा में आर.एस.एस. में वर्षों तक काम करने वाले सुभाष वेङ्क्षलगकर ने वर्ष 2011 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी आवाज को जब नहीं सुना गया तो वेलिंगकर ने भारतीय भाषा सुरक्षा मंच नाम के एक संगठन का गठन किया। उस समय की कांग्रेस सरकार इंगलिश माध्यम वाले प्राइवेट निजी स्कूलों को ग्रांट देने की योजना पर काम कर रही थी जबकि मंच की मांग थी कि यह ग्रांट स्थानीय भाषा वाले स्कूलों को ही दी जाए। वेङ्क्षलगकर दावा करते हैं कि उन्होंने इस मामले में अभियान चलाया जिसमें सफलता मिली और वर्ष 2012 में कांग्रेस सरकार राज्य से बाहर हो गई। 


गोवा सी.एम. पर उठाई उंगली
सुभाष वेङ्क्षलगकर इस पूरे मामले में सीधे तौर पर मनोहर पाॢरकर को जिम्मेदार मानते हैं। उनका कहना है कि ईसाई तथा हिन्दू वर्ग में पैदा हुई खाई के लिए राज्य के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर नहीं बल्कि मनोहर पाॢरकर जिम्मेदार हैं। वह कहते हैं कि लक्ष्मीकांत केवल एक डम्मी मुख्यमंत्री हैं। वह गोवा की स्थिति के लिए पाॢरकर के अलावा किसी और को जिम्मेदार नहीं मानते। 

 

संघ पर भी नाराज वेलिंगकर 
वेङ्क्षलगकर कहते हैं कि शुरूआत में उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया तथा संगठन के सामने मामला रखा तो उनके इस विरोध को संगठन ने भी मान्यता दी। वर्ष 2015 में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने बाकायदा एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया था कि बच्चों की प्राथमिक शिक्षा उसकी अपनी मातृ भाषा में होनी चाहिए। वेङ्क्षलगकर कहते हैं कि वह इसी मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे थे। जब तक राज्य में चुनाव नहीं आए, तब तक सब कुछ ठीक था लेकिन जैसे ही राज्य में चुनाव सिर पर आए तो उन्हें ऊपर से निर्देश जारी किए गए कि वह इस मसले पर अगर कुछ बोलना चाहते हैं तो मनोहर पाॢरकर का नाम बीच में नहीं आना चाहिए। 


सत्ता में आने की योजना
वेङ्क्षलगकर का दावा है कि गोवा की संस्कृति के लिए वह अपने सहयोगियों के साथ एकजुट हैं। उनका कहना है कि महाराष्ट्र गौमांतक पार्टी के साथ उनका गठबंधन है। बेशक कुछ मसलों को लेकर दोनों की सोच अलग हो सकती है लेकिन दोनों दल गोवा में स्थानीय भाषा को बचाने के लिए तत्पर हैं। वह दावा करते हैं कि वह सभी संगठनों के साथ मिल कर काम करने को तैयार हैं, जो गोवा की संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आना चाहते हैं। वह दावा करते हैं कि चुनावों के बाद गोवा में वह लोग सरकार बनाएंगे और सरकार बनाने के तुरंत बाद इस प्रकार की नीतियों को तुरंत रोका जाएगा जिसके तहत अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को ग्रांट देने को पहल देने की कोशिश की जाती है। 

 

भाजपा से भी रुष्ट 
वेङ्क्षलगकर के अनुसार आज की तारीख में भाजपा सिर्फ और सिर्फ दलालों की पार्टी बन गई है। वह कहते हैं कि वह संघ के साथ रहना चाहते हैं लेकिन कमजोर तथा असहाय लोगों के नेतृत्व में वह काम नहीं कर सकते। वह तो यह भी दावा करते हैं कि उन्हें देशभर से वर्करों तथा कार्यकत्र्ताओं के फोन आ रहे हैं, जो संघ तथा भाजपा में रह कर घुटन महसूस कर रहे हैं। वह कहते हैं कि आज की तारीख में संघ पूरी तरह से भाजपा को समॢपत हो चुका है। भाजपा जो भी पाप करेगी, संघ उसे सहयोग देगा। 


संघ के यू टर्न से दुखी
वेङ्क्षलगकर नाराजगी जाहिर करते हैं कि जब उन्होंने इस मसले को लेकर कांग्रेस की सरकार का मुद्दा उठाया तो तब सभी ने उनकी पीठ ठोकी तथा इस मसले को जायज बताया लेकिन भाजपा के खिलाफ जब इसी मसले को लेकर मुंह खोला तो उन्हें चुप कराने की कोशिश की गई। उन्हें इस बात का दुख है कि संघ ने भी इस मामले में तुरंत यू टर्न लिया और उन्हें उनके पद से हटा दिया तथा उनकी बात सुनने से भी इंकार कर दिया गया। वह कहते हैं कि अगर किसी नियम को लेकर कांग्रेस फैसला करती है तो वह पाप है और अगर उसी प्रकार के फैसले पर भाजपा मोहर लगाती है तो उसे पाप नहीं माना जाता लेकिन संघ ने आज तक हमें इस दोहरी नीति के बारे में कभी नहीं बताया। 


बदल रहा है संघ
सुभाष वेङ्क्षलगकर कहते हैं कि संघ में बहुत बड़े स्तर पर बदलाव हो रहा है जिसमें कुछ मामलों में तो प्राथमिक नियमों की भी तिलांजलि दी जा रही है। उदाहरण देते हुए वह कहते हैं कि किसी मामले में विरोध प्रदर्शन के दौरान संघ ने अपने किसी कार्यकत्र्ता को भेजा तथा कार्यकत्र्ताओं को उग्र करने की जिम्मेदारी दी गई। कुछ देर बाद आश्चर्यजनक तरीके से रोष प्रदर्शन रुक गया और उक्त कार्यकत्र्ता को दरकिनार कर दिया गया। वह साथ ही कहते हैं कि संघ में जो लोग कहे अनुसार नहीं चलते, उन्हें अक्सर बाहर कर दिया जाता है। वह कहते हैं कि उन्होंने संघ नहीं छोड़ा बल्कि अपने आपको उन लोगों से आजाद करवा लिया, जो संघ को चलाते हैं। 


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