कहीं खालिस्तान की राह न बन जाए करतारपुर कॉरीडोर,सुरक्षा एजैंसियों ने जताई चिंता

punjabkesari.in Sunday, Nov 25, 2018 - 12:07 PM (IST)

नई दिल्ली: करतापुर कॉरिडोर खोलने की घोषणा से यहां सिख श्रद्धालुओं में खुशी की लहर हैं,वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार के फैसले ने सुरक्षा एजैंसियों को चिंता में डाल दिया है।  उनका मानना है कि इस मार्ग का दुरुपयोग भी हो सकता है। यह खालिस्तान की राह बन सकता है। 

पंजाब में खालिस्तान समर्थक उकसा सकते हैं उग्रवाद
दरअसल पाकिस्तान में अभी भी खालिस्तान समर्थकों की तादाद काफी ज्यादा है। उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. का समर्थन हासिल है। ऐसे में आशंका है कि इस कॉरीडोर का उपयोग करते हुए खालिस्तान समर्थक पंजाब के युवाओं को उग्रवाद के लिए उकसा सकते हैं।

खालिस्तान और आई.एस.आई. का प्रमुख केन्द्र है गुरुद्वारा ननकाना  साहिब
इतना ही नहीं, इस मार्ग का उपयोग नशीली दवाओं की तस्करी के लिए भी किया जा सकता है। यह बेहद दुखद लेकिन सच है कि इस महान धर्मस्थल के क्षेत्र को पाकिस्तान में खालिस्तान और आई.एस.आई. का प्रमुख केन्द्र माना जाता है। यहां कई ब्लैकलिस्टेड खालिस्तानी आतंकियों के अड्डे आज भी सक्रिय हैं।

घटिया मंसूबों को अंजाम दे सकता है पाक
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार-करतारपुर कॉरीडोर खोलने के लिए पाकिस्तान की रजामंदी इस बात का सबूत है कि वह धार्मिक और मानवीय पहलू की आड़ में इस मार्ग से अपने घटिया मंसूबों को पूरा करना चाहता है। इस मार्ग को खोलने और विकसित करने को वह पूरी दुनिया में प्रचारित कर रहा है। पाकिस्तानी प्रोपेगंडा यह कहता है कि वह शांति का पक्षधर है इसीलिए वह भारतीय श्रद्धालुओं के लिए यह मार्ग खोलने को राजी हुआ है। पर उसके मसूबों से हर कोई वाकिफ है।

सुरक्षा एजैंसियों को रखनी होगी पैनी नजर
उल्लेखनीय है कि पंजाब कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने इस्लामाबाद गए थे। यहां उनकी मुलाकात पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष कमर जावेद बाजवा से हुई थे। उनसे गले मिलने पर भारत में सिद्धू की काफी आलोचना भी हुई थी। वहीं जिक्र हुआ था कि सिख धर्मावलंबियों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर तक जाने वाले रास्ते को खोला जाना चाहिए। केन्द्र सरकार ने भी इस कॉरीडोर को खोले जाने और विकसित करने में रुचि दिखाई है। अब देखना होगा कि सुरक्षा एजैंसिया कैसे पैनी नजर रखकर पाक के मंसूबों को नाकाम करती हैं। 

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