लोकसभा चुनाव: 2019 में आसान नहीं मोदी की राह

punjabkesari.in Thursday, Dec 06, 2018 - 09:49 PM (IST)

लुधियाना(नरेश कुमार): अगला साल देश के लिए बहुत एहमियत वाला साल है क्योंकि अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होंगे और इसके अलावा आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी होंगे, लिहाजा पूरा देश यह जानने का इच्छुक है कि आखिर इन चुनावों के नतीजे क्या होंगे और आने वाले साल में कौन-कौन सी राजनीतिक हस्ती कितनी ताकतवर बनेगी।

इसके अलावा अगले साल होने वाले ग्रह परिवर्तन के आम जनता के लिए क्या मायने होंगे यह भी इस विशेष सीरीज में ज्योतिष की नजर से जानने की कोशिश करेंगे। आज हम सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली का विश्लेषण करेंगे और लुधियाना और जालंधर के ज्योतिषी यह बताएंगे कि आखिर नरेंद्र मोदी 2019 में सत्ता में वापसी करेंगे या नहीं। ज्योतिषियों के विश्लेषण से यह साफ हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जन्म कुंडली में 2014 के चुनाव जैसी ग्रह स्थिति नहीं है और 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी राह इतनी आसान नहीं रहने वाली।

कुर्सी के लिए करनी पड़ेगी जोड़-तोड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 2019 का लोकसभा चुनाव इतना आसान नहीं रहने वाला। चुनाव के दौरान तीन महीनों में प्रधानमंत्री की कुंडली में होने वाला ग्रहों का गोचर नरेंद्र मोदी के लिए चुनाव के दौरान भारी संघर्ष की ओर इशारा कर रहा है। 6 फरवरी को मंगल प्रधान मंत्री की कुंडली में छठे भाव में आ जाएगा। मंगल उनकी कुंडली में लग्न का स्वामी है। लग्न के स्वामी का छठे भाव में होना अपने आप में कमजोरी का संकेत है। इस बीच 7 मार्च को राहु प्रधानमंत्री की कुंडली में आठवें और केतु दसवें भाव में गोचर करेगा। राहु-केतु की यह स्थिति पी.एम. की भाषा बिगाडऩे और करीबियों से धोखा मिलने वाली बन जाएगी। राहु आठवें भाव में वैसे भी सत्ता से उतारने का काम करता है। हालांकि गुरु लग्न में होने के कारण इसका कुछ फायदा जरूर होगा लेकिन पी.एम. के लिए दोबारा कुर्सी हासिल करना इतना आसान नहीं होगा। भाजपा को पिछले चुनाव में 282 सीटें हासिल हुई थीं लेकिन इस बार यह आंकड़ा 200 के आस-पास अटक सकता है और भाजपा को सरकार बनाने के लिए भरी जोड़-तोड़ करनी पड़ेगी।
-राजिंदर बिट्टू, मिट्ठा बाजार

जालंधर शनि फिर दिलाएगा पी.एम. की कुर्सी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली में जब शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई तो उसमें उन्हें पी.एम. के इलैक्शन लडऩे का मौका मिला। वह चुनाव में जीत कर प्रधानमंत्री बने। शनि की साढ़ेसाती का इस समय उनके ऊपर तीसरा चरण चल रहा है। इस तीसरे चरण में इनको एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलेगा। अप्रैल 2019 में जब चुनाव होंगे तब इन पर चंद्र में केतु की दशा चलेगी। केतु इनकी कुंडली में ग्यारहवें घर में विराजमान है। वह सूर्य के साथ बैठा है जिससे यह पता चलता है कि इस समय इनके नजदीकी लोग धोखा देने की जरूर कोशिश करेंगे या कोई नुक्सान भी पहुंचा सकते हैं। इस समय में नरेंद्र मोदी जी की किसी बात को लेकर या उनके उनके भाषण या ध्यान में किसी बात को पकड़ कर कोई जरूर इनको मानहानि पहुंचा सकता है। इस दिशा में जरूर इनको कोई न कोई हैल्थ इश्यूज या मेजर बीमारी से गुजरना पड़ सकता है। इनकी कुंडली के ग्रह योगों के हिसाब से उन्हें प्रधानमंत्री बनने से कोई रोक नहीं सकता पर 2019 में इनके दुश्मन बढ़ते जाएंगे।
-अंकुश कक्कड़, ब्राऊन रोड, लुधियाना

राह आसान नहीं, मंगल बनेगा तारणहार
अगले साल अप्रैल-मई के महीने के दौरान देश जब चुनाव में जाएगा तो इस दौरान चुनाव के मध्य 30 अप्रैल के आसपास प्रधानमंत्री की कुंडली में बृहस्पति लग्न में गोचर कर रहा होगा। इस दौरान प्रधानमंत्री की कुंडली में चन्द्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा शुरू होगी और अंतर्दशा में 11 मार्च तक प्रत्यन्तर भी केतु का ही होगा लेकिन इसके बाद प्रत्यन्तर में शुक्र की दशा शुरू हो जाएगी। इन हालातों में प्रधानमंत्री को महिला वोटरों का साथ मिल सकता है लेकिन इस बीच सबसे दिलचस्प स्थिति मंगल की बन रही है। मंगल प्रधानमंत्री की कुंडली में लग्न का स्वामी है और चन्द्रमा के साथ मिल कर लग्न में रूचक योग बना रहा है। मंगल इस दौरान 22 मार्च को प्रधानमंत्री की कुंडली में सातवें भाव से गोचर करते हुए केंद्र में आ जाएगा और लग्न पर दृष्टि डालेगा। यदि चुनाव 7 मई से पूर्व संपूर्ण होते हैं तो मंगल सातवें घर में ही रहेगा और इसका प्रधानमंत्री को फायदा मिल सकता है। हालांकि प्रधानमंत्री के लिए सितारे 2014 जैसे मजबूत नहीं हैं और उन्हें इस चुनाव के दौरान भारी उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ेगा लेकिन इसके बावजूद उनके सत्ता में वापसी के योग हैं।
-बिंदु भाटिया किचलू नगर लुधियाना

PM की कुंडली में 6 बड़े योग 
राज योग :
केंद्र में चंद्र और मंगल की युति से बनता है।
गज केसरी योग : बृहस्पति चन्द्रमा से चौथे घर में होने से बनता है।
रूचक महापुरुष योग : मंगल केंद्र में अपनी राशि में होने से बनता है। 
पर्वत योग : मंगल केंद्र में और छठे और आठवें भाव में कोई ग्रह न होने से बनता है।
नीच भंग राज योग : नीच का चन्द्रमा अपनी राशि के मंगल के साथ केंद्र में होने से बनता है।
कर्मजीवा योग : बुध के दसवें भाव के स्वामी के साथ होने से बनता है।

Naresh Kumar