Ludhiana Gas Leak: सामने आया 11 लोगों की मौत का कारण! खतरनाक है पूरा Plan

punjabkesari.in Monday, May 01, 2023 - 08:19 AM (IST)

लुधियाना(भाखड़ी) : लुधियाना के ग्यासपुरा में गैस लीक मामले में 11 लोगों की अनमोल जान चली गई, जिसे लेकर राज्य के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की बड़ी नालायकी सामने आई है। बोर्ड की लापरवाही तथा आसपास की फैक्टरियों को लेकर बरती जा रही कोताही ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है, जिसे लेकर कंट्रोल बोर्ड पर राज्य भर में सवालों की बौछार हो रही है। दरअसल ग्यासपुरा के जिस इलाके में यह घटना हुई है, उसके आसपास क्षेत्र में साइकिल साईकिल पार्ट, नट बोल्ट और कई ऐसी फैक्टरियां हैं, जहां पर आटो पार्ट्स को निक्कल करने का काम होता है। इलैक्ट्रो प्लेट्स के इस काम में लोहे को निक्कल करने के लिए तेजाब से लेकर जिंक व कई तरह का कैमिकल इस्तेमाल होता है। इस कैमिकल को इस्तेमाल करने के बाद इसे सीवरेज में डाल दिया जाता है, जो बेहद खतरनाक है। 

प्रदूषण बोर्ड की मिलीभगत से चल रहा कारोबार
उक्त कैमिकल का प्रयोग करने के बाद उसे फैक्टरियों में ही बने बड़े टैंकरों में स्टोर किया जाता है। मौका मिलने पर इस कैमिकल को शहर से बाहर खुले में फैंक दिया जाता है। मौका न मिलने पर तथा बारिश होने की संभावना के बीच इस कैमिकल को नष्ट करने के लिए सीवरेज का सहारा लिया जाता है। जिसके लिए लुधियाना के कुछ प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब कारोबार चल रहा है। हैरानी की बात है कि यह काम पिछले कई दिनों से चल रहा है, लेकिन इसके बाद भी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे यह साफ है कि बोर्ड के कई अधिकारी इन कारखाना मालिकों से मिले हुए हैं तथा इसके बदले में संभवत सेवा पानी भी होता होगा। 

बादल छाते ही खतरनाक कैमिकल नष्ट करने का बन जाता है प्लान 
यह भी पता चला है कि जैसे ही आसमान में काले बादल छाते है तो फैक्टरी मालिक उसी वक्त अंदर जमां किए कैमिकल को नष्ट करने की योजना बनानी शुरू कर देते हैं। बरसात के पानी के बहाव में सीवरेज में डाला इनका कैमिकल भी साथ ही बह जाता है। लेकिन शनिवार की रात लुधियाना में बारिश का मौसम तो बना लेकिन संभावना के अनुसार बारिश नहीं हुई। फैक्टरी मालिकों ने सीवरेज में कैमिकल तो बहा दिया, लेकिन बरसात न होने के कारण बहाव नहीं बना। यही कैमिकल ग्यासपुरा के आसपास के इलाकों में सीवरेज में ही जमा हो गया और सीवरेज के ढक्कनों से गैस के रूप में बाहर निकला तथा 11 लोगों की मौत का कारण बन गया। 

साइनाइड की तरह बेहद खतरनाक है कैमिकल
कैमिकल को सीवरेज में जब डाला गया तो रिएक्शन के बाद इसने खतरनाक गैस का रूप ले लिया, जो प्रभावित इलाके में सीवरेज होल से निकली। बताया जाता है कि यह गैस साइनाइड से भी ज्यादा जहरीली है। बताया जाता है कि साइनाइड वही कैमिकल है, जो कई अपराधी पुलिस से घिरे होने पर अक्सर खाकर जान दे देते थे। 

पीने लायक नहीं बचा ग्यासपुरा इलाके का पानी 
ग्यासपुरा इलाके के रहने वाले बुजुर्ग बचित्र सिंह, पवन कुमार और कुलभूषण ने बताया कि उनके इलाके में हर तरफ लोहे की फैक्टरियां लगी हुई हैं। लोहे को साफ करने के लिए तेजाब से लेकर हर तरह के घातक कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। अफसोस की बात है कि ज्यादातर फैक्टरी मालिक मुनाफे की खातिर कानून को नजर अंदाज कर अधिकारियों की मिलीभगत से इस  कैमिकल को धरती के नीचे डाल कर नष्ट कर देते हैं। उनके इलाके में अगर सरकार जांच करवाए तो सबसे भयानक गैसें उनके ऐरिया में धरती के नीचे चल रही होंगी। अब आलम यह हो चुका है  कि इस इलाके में 300 से 400 फुट तक पीने लायक न तो पानी बचा है और न ही पानी का रंग। 300 फुट तक तो पानी का रंग भी भूरे रंग का निकलता है, वहां रहने वाले लोग चमड़ी रोग से ग्रस्त रहते हैं और 30 की आयु पार करते ही लोग लीवर व किडनी रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। 

एक महीने से ज्यादा नहीं चलते आर.ओ. के फिल्टर
इलाका निवासियों ने बताया कि उनके यहां धरती के नीचे जहरीली गैसें इतनी ज्यादा बन रही हैं कि उनके घरों में सबमर्सिबल बोर भी काम करना छोड़ चुके हैं।  पीने लायक पानी बिल्कुल नहीं बचा। आलम यह हो चुका है कि घरों में जो आर.ओ. सिस्टम लगे हुए हैं, उनके फिल्टर एक महीने के अंदर ही बदलने पड़ते हैं।  तेजाबी पानी और हवा में हर वक्त गैस मिली होने के चलते 5 वर्ष की आयु से लेकर 20 वर्ष की आयु तक पहुंचते बच्चे बड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। प्रशासन ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो यहां रहने वाले लोगों की आयु आने वाले समय में न केवल कम हो जाएगी, बल्कि वह बीमारियों से भी ग्रसित रहेंगे।

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Vatika