नन रेप केसः दो पादरियों की बर्खास्तगी के साथ क्या सुधरेगी चर्च की साख!

punjabkesari.in Tuesday, Oct 16, 2018 - 09:36 AM (IST)

जालंधर: दक्षिण अमरीकी देश चिली में 1960 से लेकर अब तक आए यौन शोषण के मामलों में चिली के 2 बिशप को पादरी पद से हटाने की कार्रवाई को चर्च और पादरियों की धूमिल हो रही प्रतिष्ठा को बहाल करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या इस प्रयास के बाद चर्च और पादरियों की धूमिल हुई प्रतिष्ठा वापस आ पाएगी।

पोप फ्रांसिस और चिली के राष्ट्रपति के बीच मुलाकात के बाद वेटिकन ने शनिवार को पूर्व आर्कबिशप फ्रांसिस्को जोस कॉक्स हुनीयस और पूर्व बिशप मार्को एंटोनियो फर्नांडीज को बर्खास्त करने का फैसला किया था। इस फैसले के बाद अपील भी नहीं की जा सकती है। वुर्ल (77) के पेनसिलवेनिया में बिशप रहने के दौरान यौन उत्पीडऩ होने के ढेरों मामले सामने आए थे। मीडिया में इन मामलों के सामने आने के और इस पर हुई आलोचना के बाद 21 सितम्बर को वुर्ल ने इस्तीफे की पेशकश की थी।

चर्च में शरण देकर किया यौन शोषण 
चर्च में पादरियों के जरिए यौन उत्पीडऩ किया जाना कोई नई बात नहीं है। दरअसल यह सब दशकों पहले से होता आ रहा है। माना जाता है कि इसकी शुरूआत सालों पहले सैंटिएगो के एक चर्च के पादरी फादर फर्नांडो कारादिमा ने की थी। वह चिली के सबसे कुख्यात यौन उत्पीड़क के तौर पर जाने जाते हैं। 1980 के दशक में चर्च में पादरी द्वारा यौन शोषण का शिकार हुए डॉक्टर जेम्स हैमिल्टन 50 साल के हो चुके हैं और पेशे से सर्जन हैं। जेम्स बताते हैं कि चिली में जनरल ऑगस्टो पिनोशे का शासन था। वह एक तानाशाह थे। उस दौरान चिली में बहुत सी हत्याएं हुई थीं। उस समय किशोर उम्र के जेम्स हैमिल्टन को फादर फर्नांडो कारादिमा ने अपने यहां शरण दी थी। उस दौरान जेम्स और उनके कुछ साथी युवाओं को एल बोस्क शहर में आयोजित फादर कारादिमा के संबोधन में शामिल होना था।

इस विशेष कार्यक्रम के लिए चुने जाने पर जेम्स को बहुत खुशी हो रही थी। उन्हें लग रहा था कि वह अलग हैं, विशेष हैं लेकिन फिर शुरू हुआ यौन उत्पीडऩ का सिलसिला। जेम्स कहते हैं, ‘‘जो कुछ भी हो रहा था उस पर यकीन करना मुश्किल था। वह सब बहुत ही परेशान और हैरान करने वाला था। ऐसा कैसे हो सकता था कि उनके जैसा संत आदमी अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए यह सब करेगा। ऐसा नहीं हो सकता था।’’ दरअसल जेम्स खुद को इसलिए भी दोषी मानते हैं क्योंकि जिस तरह से कारादिमा उनका यौन शोषण कर रहे थे वह उनके शरीर के साथ-साथ उनके मन-मस्तिष्क के साथ भी खेल रहे थे।


119 मामलों की चल रही है जांच
चिली में चर्च से जुड़े कुल 119 यौन अपराधों की जांच चल रही है। इनमें से 178 मामलों में पीड़ितों की पहचान की जा चुकी है और इनमें से लगभग आधे मामलों में पीड़ित व्यक्तियों के साथ जब यौन उत्पीडऩ हुआ तब वे नाबालिग थे। पीड़ित लोगों में चर्च के कुछ पादरी भी शामिल हैं। पिछले महीने फादर फ्रांसिस्को जेवियर ओसा फिगुएरोआ ने अपने बयान में बताया कि उनके साथ 1980 दौरान एल बोस्क में क्या हुआ था। उन्होंने बताया, ‘‘यह सब दोबारा याद करना बहुत मुश्किल और कष्ट भरा है लेकिन मैं जानता हूं कि इससे दूसरे लोगों को मदद मिलेगी। हमें बहादुर बनने की जरूरत है, सिर्फ  इसलिए नहीं कि मैं एक पादरी हूं बल्कि इसलिए भी क्योंकि एक इंसान के तौर पर मुझे नुक्सान पहुंचाया गया। यह सब बताकर ऐसा महसूस होता है कि मेरे ऊपर से कोई भारी वजन उठा लिया गया हो। मुझे महसूस होता है कि मैं अकेला नहीं हूं।’’

पोप फ्रांसिस ने स्वीकार की भूल 
फादर फ्रांसिस्को को इस साल पोप ने रोम में आमंत्रित किया था ताकि वह पोप के सामने अपने अनुभव बता सकें। इसके अलावा जेम्स हैमिल्टन और उनके साथ साल 2011 में कारादिमा की सच्चाई सबके सामने लाने वाले 2 अन्य लोग जोस आंद्रेस मुरिलो और जुआन कार्लोस क्रूज को भी वेटिकन आने का निमंत्रण मिला।पोप फ्रांसिस ने इन सभी के सामने स्वीकार किया कि उनकी तरफ  से चिली में हुई इन तमाम घटनाओं के सिलसिले में बड़ी भूल हुई।

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