रेत कारोबार की कमान अपने हाथ लेगी सरकार,ऑनलाइन हो सकेगी बुकिंग

punjabkesari.in Wednesday, Apr 11, 2018 - 07:26 AM (IST)

चंडीगढ़ (रमनजीत): पंजाब में रेत-बजरी के रेट कंट्रोल करने के रास्ते को खोजने के लिए कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की अध्यक्षता में बनी सब-कमेटी 21 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। इस रिपोर्ट में वे सभी रास्ते सुझाए जाएंगे जिनसे न सिर्फ पंजाब के लोगों को रेत सस्ती मिलेगी बल्कि राजस्व में भी जल्द ही हजार करोड़ का आंकड़ा छू लिया जाएगा।

 

सिद्धू ने कहा कि उनकी स्टडी के मुताबिक पंजाब में रेत-बजरी के रेट को कंट्रोल करना और उसके बावजूद हजारों करोड़ रुपए का रैवेन्यू हासिल करना बहुत आसान है। इसके लिए सब-कमेटी द्वारा फिलहाल 10 प्वाइंट्स पर काम किया गया है। सिद्धू ने कहा कि वह बुधवार को तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के दौरे पर एक टीम के साथ जा रहे हैं ताकि दोनों राज्यों के माइङ्क्षनग मॉडल को पूरा स्टडी कर सकें। उन्होंने कहा कि उनके सुझावों में रेत-बजरी के ग्राहक के फीडबैक को भी शामिल किया गया है जिससे उस तक पहुंचने वाले रेत-बजरी के मूल्य, क्वालिटी व क्वांटिटी संबंधी पूरी जानकारी सरकार तक पहुंचेगी। इससे सिस्टम की खामियों का पता चलता रहेगा।


ऑनलाइन भी हो सकेगी रेत-बजरी की बुकिंग, सरकारी स्टॉक से होगी सप्लाई
सिद्धू ने कहा कि उनकी कमेटी की यह राय है कि सरकार को रेत का कारोबार सीधे अपने हाथ में ले लेना चाहिए। 2008 में हुए एक फैसले के मुताबिक राज्यभर में कुदरती तौर पर मिलने वाली रेत का मालिकाना हक राज्यपाल का है और सरकार ही अपने संस्थानों के जरिए इसे बेचेगी। उन्होंने कहा कि रेत खड्डों को ठेके पर देने के बजाय रेत खड्डों से रेत की ट्रांसपोर्टेशन का काम ठेके पर दिया जाएगा। कमेटी का सुझाव है कि किसी भी इंडिविजुअल, पंचायत, स्थानीय निकाय व सरकारी विभागों द्वारा अपनी जरूरत के हिसाब से ऑनलाइन बुकिंग की जा सकेगी और सरकारी रेट पर ट्रांसपोर्टेशन चार्जेज के साथ उक्त सामान ग्राहक तक पहुंचेगा। 


तेलंगाना व आंध्र के पास एक-एक दरिया और रैवेन्यू 1200 करोड़ के पार, हमारे पास 4 लेकिन रैवेन्यू 40 करोड़, क्यों?
सिद्धू ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से यह जिम्मेदारी मिलने के बाद कई स्टेक-होल्डरों से बात की गई। केंद्र से सुझाव मिला कि तेलंगाना व आंध्र प्रदेश को स्टडी करें। वे राज्य एक-एक दरिया होने के बावजूद 1200 करोड़ से अधिक का रैवेन्यू ले रहे हैं जबकि पंजाब के पास तो 4 दरिया हैं। इसके लिए माइङ्क्षनग पॉलिसी व मॉनिटरिंग सिस्टम को बदलना होगा। सिद्धू ने कहा कि तेलंगाना व आंध्र प्रदेश का दौरा करने के बाद 21 अप्रैल से पहले सब-कमेटी द्वारा फाइनल रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी जाएगी।

 

रेत माफिया नहीं, बल्कि ट्रांसपोर्ट माफिया
सिद्धू ने कहा कि केंद्र सरकार की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि रेत माफिया जैसी कोई चीज नहीं होती, होता है तो सिर्फ ट्रांसपोर्ट माफिया जो कि रेत को अवैध तरीके से खड्डों से लाकर कंज्यूमर तक पहुंचाता है। रेत-बजरी की ट्रांसपोर्टेशन की सही मॉनिटरिंग हो जाए तो रेत-बजरी की कालाबाजारी भी कंट्रोल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि उनकी कमेटी का सुझाव है कि आंध्र व तेलंगाना राज्यों की ही तरह स्पष्ट पहचान के लिए रेत-बजरी को ढोहने वाले ट्रकों का रंग बाकी सबसे अलग हो।  इसके साथ ही इन सभी ट्रकों को जी.पी.एस. और रेडियो फ्रीक्वैंसी आइडैंटीफिकेशन डिवाइस (आर.एफ.आई.डी.) तकनीक से लैस करना अनिवार्य हो। सिद्धू ने कहा कि रेत-बजरी ढोने वाले ट्रकों को भी रेत खड्डों तक जाने की अनुमति नहीं होगी बल्कि वे सिर्फ सरकारी स्टॉक यार्ड तक ही जा सकेंगे और वहीं से रेत-बजरी लेकर सीधे कस्टमर तक पहुंचेंगे।

 

किसान पर कोई पाबंदी नहीं
सिद्धू ने कहा कि पॉलिसी के मुताबिक किसान यदि अपने खेत की लैवङ्क्षलग करने के लिए रेत या मिट्टी उठवाता है तो उस पर कोई पाबंदी नहीं है जो कि 10 फुट तक गहरा जा सकता है लेकिन सुविधा सिर्फ किसान के अपने उपयोग के लिए है, वह रेत किसी को बेच नहीं सकता क्योंकि यह राज्यपाल की जायदाद है। सिद्धू ने साथ ही स्पष्ट किया कि निजी भूमि मालिक, पंचायतों व मार्कीट कमेटियों को तय पॉलिसी के मुताबिक रेत के रैवेन्यू से रॉयल्टी भी मिलेगी।

 

क्रशर इंडस्ट्री के लिए हिमाचल मॉडल
सिद्धू ने कहा कि कंडी इलाके में क्रशरों को चलाने के लिए हिमाचल प्रदेश के मॉडल को फॉलो किया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्रशर से 7 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली का पैसा और प्रति यूनिट पर 8 रुपए रॉयल्टी ली जाएगी। इस पर क्रशर इंडस्ट्री भी सहमत है क्योंकि हिमाचल प्रदेश में इससे काम भी ठीक चल रहा है और सरकार को रैवेन्यू भी अच्छा मिल रहा है।

Sonia Goswami