सेक्रेटरी एजुकेशन का लक्ष्य : शत प्रतिशत हो रिजल्ट, अधिकतर विद्यार्थी सभी विषयों में प्राप्त करें 90% से अधिक अंक

punjabkesari.in Tuesday, Jan 05, 2021 - 09:00 PM (IST)

लुधियाना (विक्की) : मिशन शत प्रतिशत सहित विभाग के दूसरे लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आज सेक्रेटरी एजुकेशन कृष्ण कुमार द्वारा राज्य के सरकारी सीनियर सेकंडरी, हाई और मिडल स्कूलों के प्रमुखों और अध्यापकों को सैशन 2020 -21 में मिशन शत प्रतिशत को कामयाब बनाने के लिए प्रोत्साहन और प्रेरणा देने हित एजुसेट के द्वारा संबोधन किया। उन्होंने कहा कि 7नवंबर 2020 को मुख्य मंत्री पंजाब कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा मिशन शत -प्रतिशत 2021 का आगाज़ किया गया था। इसका मनोरथ 100 प्रतिशत विद्यार्थी के पास हों और अधिक से अधिक विद्यार्थी 90 प्रतिशत या इस से अधिक अंक प्राप्त करें। इस अवसर पर उनसे जगतार सिंह कूलड़िया डायरैक्टर राज्य शिक्षा खोज और प्रशिक्षण परिषद भी उपस्थित रहे।

कोविद के दौरान अध्यापकों का काम सराहनीय
शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने कहा कि सरकारी स्कूलों के अध्यापकों ने कोविड -19 संक्रमण के कारण हुई तालाबन्दी दौरान योद्धा की तरह कार्य किए हैं। पंजाब के सरकारी स्कूलों के में सैशन 2020 -21 के दाखिलों में रिकार्ड वृद्धि करने के लिए ईच वन, बरिंग वन मुहिम, पंजाब अचीवमेंट सर्वे में शिरकत और शानदार प्रदर्शन, बच्चों को घर बैठे शिक्षा देने के लिए पंजाब ऐजूकेयर एप और आनलाइन वर्चुअल कक्षाओं, बुक बैंकों और नयी पाठ्यक्रम की क़िताबों का समय पर वितरण,  पेरेंट्स टीचर वर्चुअल और ऑफलाइन मीटिंग में बच्चों और माता-पिता को प्रोत्साहित करना, स्कूलों को स्मार्ट बनाने, फ़र्नीचर को संभालने और संवारने के लिए किए प्रयास, साप्ताहिक और दोमाही टेस्टों का आयोजन और मूल्यांकन कर विद्यार्थियों का नेतृत्व करना, आनलाइन शैक्षिक मुक़ाबलों में लाखों विद्यार्थियों की शिरकत करवाकर उनके सर्वपक्षीय विकास के लिए कार्य सराहनीय काम रहे हैं।

विद्यार्थियों के प्रदर्शन का हो विश्लेषण
सचिव स्कूल शिक्षा कृष्ण कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि अब समय है कि मिशन शत -प्रतिशत 2021 को संजीदगी से लेकर विद्यार्थियों की द्विमासिक टेस्टों के प्रदर्शन के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए। जिन पक्षों में विद्यार्थी कमज़ोर हैं उनके सीखने परिणामों के मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए बच्चों को बड्डी ग्रुप में काम करवाकर संबधित विषय की धारणाओं की दोहराई करवाई जाए। इस लिए शिक्षा विभाग की शिक्षा सुधार टीमें, समूह विषयों के ज़िला और ब्लाक मेंटर अपने -अपने जिलों के शिक्षा आधिकारियों के नेतृत्व में माइक्रो योजना बंदी कर मुख्य कार्यालय द्वारा दी जा रही योजना को लागू करवाने ताकि शत -प्रतिशत परिणाम लिए जा सकें। शिक्षा विभाग द्वारा चलाई ‘बड्डी मेरा शिक्षा साथी’ की मुख्य मंत्री द्वारा भी प्रशंसा की गई है। उन्होंने कहा कि ‘ईच वन आस्क वन ’ मुहिम के अंतर्गत विद्यार्थी न केवल अपने बड्डी साथियों को ही सवाल पूछ रहे हैं बल्कि अध्यापकों, स्कूल प्रमुखों और शिक्षा आधिकारियों से भी बातचीत कर विभिन्न विषयों की धारणाओं की शंका का निवारण कर रहे हैं।

लिखने का हो बार बार अभ्यास
शिक्षा सचिव ने समूह स्कूलों के अध्यापकों को प्रोत्साहित करते कहा कि विद्यार्थियों को माडल टैस्ट पेपरों से पाठ्यक्रम की दोहराई करवाने और लिखने का अभ्यास भी बार -बार करवाए ताकि उनके द्वारा जाने वाली ग़लतियों को ख़त्म किया जा सके। सेक्रेटरी एजुकेशन ने अधिक हाज़िरी वाले स्कूलों के प्रमुखों और अध्यापकों को उन की योजना बंदी के बारे भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में पहली से 12वीं तक नैतिक शिक्षा का विषय ‘स्वागत ज़िंदगी’ पहली बार शुरू किया गया है जिस का पाठ्यक्रम अध्यापकों द्वारा ही तैयार किया गया है और समाज के हर वर्ग द्वारा इसका स्वागत किया गया है। यहाँ तक कि दूसरे राज्य भी इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं। एजुसेट के द्वारा हुई इस मीटिंग में शालिंदर सिंह सहायक डायरैक्टर ट्रेनिंग्स और अन्य स्टेट रिसोर्स पर्सन भी उपस्थित रहे।

एक पक्ष यह भी : कोरोना के बीच अधिकारीयों को एक्स्ट्रा क्लासेस की चिन्ता
जहाँ एक तरफ़ पूरी दुनिया में कोरोना को लेकर स्थित चिन्ता जनक बनी हुई है वहीं पंजाब शिक्षा विभाग के अधिकारी अध्यापकों पर स्कूलों में और ऑनलाइन एक्स्ट्रा क्लास लगाने के दबाव बना रहे हैं। इस सम्बन्ध में अपना नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर ज़िला लुधियाना के विभिन्न अध्यापकों ने बताया के पिछले कुछ दिनों से उनकी उच्च अधिकारीयों के साथ धारावाहिक मीटिंग्स चल रही हैं जिसमे अधिकारी उनको स्कूल में एक्स्ट्रा क्लास लगाने और विद्यार्थियों की हाज़री शत प्रतिशत करने के लिए बार बार कह दें लेकिन जैसे की सब को पता है की पंजाब की स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और केंद्र सरकार द्वारा जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीज़र (एसओपी) का सरासर उलंघन है, क्योंकि 3 घंटे से अधिक के लिए बच्चों के स्कूल में नहीं बुलाया जा सकता है और ऐसे में उनकी एक्स्ट्रा क्लास कैसे लगेगी यह तो अधिकारी ही बता सकते हैं। एसओपी बच्चों को स्कूल आने के लिए उनके अभिभावकों की लिखित अनुमति की ज़रूरत है ऐसे में अगर बच्चे अगर बच्चे स्कूल नहीं आते अथवा उनके माता पिता लिखित अनुमति नहीं देते तो छात्रों की हाज़री को कैसे शत प्रतिशत किया जा सकता है।

Vicky Sharma