Shocking! क्या खत्म हो जाएगी माता-पिता बनने की क्षमता ? शोध में हुआ खुलासा

punjabkesari.in Thursday, Oct 03, 2024 - 01:29 PM (IST)

बठिंडा (विजय वर्मा): आजकल इनफर्टिलिटी (बांझपन) एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रही है। हाल ही में किए गए एक शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि वायु प्रदूषण के सूक्ष्म कणों (PM 2.5) के लंबे समय तक संपर्क में रहने से पुरुषों में बांझपन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि वायु प्रदूषण शुक्राणु की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और प्रजनन उपचार की सफलता दर पर भी नकारात्मक असर डालता है। दुनिया भर में हर सात में से एक जोड़ा इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहा है।

वायु प्रदूषण से बढ़ रहा है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
धूम्रपान की तरह, वायु प्रदूषण भी मस्तिष्क संबंधी समस्याओं, विशेष रूप से ब्रेन स्ट्रोक, का बड़ा कारण बन रहा है। एक अध्ययन के मुताबिक, लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में क्षति हो सकती है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। 1990 से 2021 के बीच, दुनिया भर में ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में 70% तक की बढ़ोतरी देखी गई है।

शहरों में ध्वनि प्रदूषण का खतरनाक स्तर
ध्वनि प्रदूषण भी लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। वाहनों की बढ़ती संख्या, प्रैशर हॉर्न का अनियंत्रित उपयोग और औद्योगिक क्षेत्रों में तेज आवाजें ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्रोत बन गए हैं। सामाजिक कार्यक्रमों और उत्सवों में तेज संगीत और लाउडस्पीकर का उपयोग भी इस समस्या को और बढ़ा रहे हैं।

ध्वनि प्रदूषण से स्वास्थ्य पर पड़ रहा गंभीर प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, 100 डेसीबल से अधिक की ध्वनि सीधे तौर पर हमारी श्रवण शक्ति को प्रभावित कर सकती है। शहरों में ध्वनि का स्तर 80 से 90 डेसीबल तक पहुंच गया है, जो आदर्श 45 डेसीबल के मुकाबले कहीं अधिक है। इसके संपर्क में रहने से लोगों में दिल की बीमारियां, हाइपरटेंशन, मानसिक तनाव और नींद संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

प्रशासन की अनदेखी ने बढ़ाई समस्या
ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन के पास कई अधिकार होते हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के कारण स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत बनाए गए ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के बावजूद कोई सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

ध्वनि और वायु प्रदूषण से होने वाले प्रमुख नुकसान
ध्वनि और वायु प्रदूषण न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं, बल्कि यह मानसिक शांति और कार्यक्षमता को भी प्रभावित करते हैं। लगातार उच्च स्तर के शोर के संपर्क में रहने से गर्भवती महिलाओं में चिड़चिड़ापन, गर्भपात और मानसिक तनाव की संभावना बढ़ जाती है। ध्वनि का अत्यधिक स्तर श्रवण शक्ति को क्षति पहुंचाने के साथ-साथ पशुओं के नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करता है, जिससे वे हिंसक हो सकते हैं।

समाधान की आवश्यकता
वायु और ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए जिला प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। वाहनों के हॉर्न और औद्योगिक क्षेत्रों में ध्वनि नियंत्रण के उपाय किए जाने चाहिए। इसके अलावा, प्रदूषण के नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे खतरनाक प्रभाव को कम किया जा सके।


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Vatika

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