सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-क्या सिख धर्म में पगड़ी पहनना अनिवार्य

punjabkesari.in Sunday, Apr 22, 2018 - 12:27 PM (IST)

नई दिल्ली (इंट.): सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या पगड़ी पहनना सिख धर्म में अनिवार्य है। कोर्ट ने यह बात दिल्ली बेस्ड साइक्लिस्ट जगदीप सिंह पुरी की याचिका पर पूछी है। पुरी ने स्थानीय साइक्लिंग एसोसिएशन के नियमों को कोर्ट में चुनौती दी है। एसोसिएशन के नियमों अनुसार उन्हें प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए हैल्मेट पहनना अनिवार्य है जिसके खिलाफ  50 साल के पुरी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि वह हैल्मेट नहीं पहन सकते क्योंकि सिख धर्म के अनुसार उन्हें पगड़ी पहनना जरूरी है।

 

सुप्रीम कोर्ट में पुरी की याचिका पर जस्टिस एस.ए. बोडबी और एल.एन. राव की एक बैंच सुनवाई कर रही है। जजों ने कहा कि सिर ढकना अनिवार्य है न कि पगड़ी पहनना। इसके लिए उन्होंने मिल्खा सिंह, बिशन सिंह बेदी जैसे खिलाडियों का उदाहरण देते हुए कहा कि वे खेलों में हिस्सा लेते समय पगड़ी नहीं पहनते हैं। बैंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उनके पास कोई सबूत है जिससे यह साबित हो सके कि सिख धर्म में पगड़ी पहनना अनिवार्य है। मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी। कोर्ट पगड़ी मामले पर किसी ऐसे शख्स की सलाह भी लेगा जिसे सिख धर्म के नियमों की पूरी जानकारी हो।

 

पगड़ी सिखों का अविभाजित अंग : दिल्ली कमेटी
साइकिलिस्ट जगदीप सिंह पुरी द्वारा हैल्मेट की जगह पगड़ी पहनने की सिख प्रतियोगियों को छूट देने की सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में पगड़ी को लेकर छिड़े विवाद पर सिखों में नाराजगी है। इसको लेकर दिल्ली कमेटी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में जाकर बताएगी कि दस्तार सिखों के लिए क्यों जरूरी है। दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह ने आज यहां कहा कि साइकिल चलाने वाले सिख खिलाडिय़ों को हैल्मेट पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। जैसे इन्सान के लिए सांसों की जरूरत है, उसी तरह से सिख के लिए दस्तार जरूरी है। कमेटी महासचिव मनजिंद्र सिंह सिरसा ने सुप्रीम कोर्ट में पगड़ी के बारे में उठे सवालों का जिक्र करते हुए साफ  कहा कि पगड़ी सिखों का अविभाजित अंग है।

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