उत्तर भारत में मंडरा रहा भूकंप आने का खतरा!

punjabkesari.in Tuesday, Jun 26, 2018 - 08:18 AM (IST)

फगवाड़ा (जलोटा): नेपाल में 25 अप्रैल 2015 में आए 7.9 तीव्रता के विनाशकारी  भूकंप के पश्चात उत्तर भारत में किसी भी समय बहुत बड़े भूकंप के आने का खतरा और गहरा हो गया है। उत्तर भारत में इससे पूर्व एक के बाद एक कर आते रहे भूकंपों के पश्चात लोगों के मन में इस बात को लेकर भारी दहशत पाई जा रही है कि आने वाले समय में कहीं कोई बड़ा भूकंप न आ जाए। गौरतलब है कि विश्व के अनेक वैज्ञानिक व खुद भारत सरकार कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) में करीब 113 वर्ष पूर्व सन 1905 में आए बड़े भूकंप को केंद्र बिंदु बना इस तथ्य की आशंका व्यक्त कर चुकी है कि आने वाले समय में उत्तर भारत में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है।

कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तर भारत की हिमालयन बैल्ट बड़े भूकंप का किसी भी समय फ्लैश प्वाइंट बन सकती है क्योंकि हिमालय पर्वत शृंखला निरंतर एक दिशा में धरती के अंदर ही अंदर सरक रही है। वैज्ञानिकों की राय में यह घटनाक्रम बेहद खतरनाक सिद्ध हो सकता है। अपितु सच्चाई यह भी है कि कुछ वैज्ञानिक उक्त तथ्यों से भिन्न राय रखते हैं। इनकी मानी जाए तो भूकंप का आना धरती की सतह के नीचे की प्लेटों में होता जबरदस्त टकराव है।

यह स्थिति धरती में कब पैदा हो जाए यह बताना नामुमकिन हैं। महत्वपूर्ण व त्रासदीपूर्ण पहलू यह भी है कि आज तक भूकंप के आने को लेकर साइंटिफिक तौर पर ऐसा कोई यंत्र नहीं बना है जो भूकंप के आने की जानकारी कुछ घंटे पूर्व दे सके। ऐसे में भूकंप कब, कहां और कितनी तीव्रता का होगा इसका पता लगा पाना नामुमकिन है। हालांकि इतिहास गवाह बना है कि बड़े भूकंपों का केंद्र बने इलाकों में समय-समय पर उतनी ही तीव्रता अथवा इससे अधिक शक्ति के  भूकंप आते रहे हैं। ऐसे में उत्तर भारत में आने वाले समय में बड़े भूकंप के आने का खतरा बरकरार है और कुछ जानकारों की राय में जो कुछ नेपाल में घटा है यह उसकी आहट हो सकता है? 

सरकारी तौर पर क्या तैयारियां है किसी को कुछ पता नहीं !
नेपाल में ठीक 3 वर्ष पहले आए बड़े विनाशकारी भूकंप के बाद भी हमारे सरकारी अमले ने कोई सीख नहीं ली है। ऐसा तब है जब विश्व भर के साइंसदान यह अंदेशा जता रहे हैं कि उत्तर भारत में अब किसी भी पल बेहद प्रलयकारी भूकंप आने का बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इन हालातों में यदि उत्तर भारत में बड़ा विनाशकारी भूकंप आता है तो जिला कपूरथला सहित फगवाड़ा में सबकुछ राम भरोसे ही होगा। ऐसा तब है जब फगवाड़ा सहित जिला कपूरथला सैसमिक जोन -4 में आता है। सैसमिक जोन 4 वे इलाके होते हैं जहां पर भूकंप आने का बड़ा खतरा बना रहता है। इसके बाद अंतिम सैसमिक जोन 5 आता है जहां पर भूकंप आने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। अब सवाल यह है कि नेपाल में वर्ष 2015 में जो भयानक भूकंप आया उसके बाद जिला कपूरथला स्तर पर सरकारी अमले ने भूकंप आने की सूरत में क्या तैयारी की है।

बात सुनने अथवा पढऩे में भले ही चौंकाने वाली लगे लेकिन यह सच्चाई है कि ग्राऊंड स्तर पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिसे लेकर यह तर्क दिया जा सके कि सरकारी अमला बड़ा भूकंप आने की सूरत में बड़ी तैयारियों के साथ लैस है। बड़ी बात यह है कि जिला कपूरथला सहित फगवाड़ा में न तो सरकारी तौर पर क्विक रैस्क्यू टीमों का गठन हुआ है और न ही जनता को भूकंप आने के बाद क्या करना है, इसकी जानकारी है। इस संबंधी आज तक न तो सरकारी स्तर पर लोगोंं में किसी भी प्रकार का कोई अवैयरनैस कंपैन ही चला है। बड़ा भूकंप आने के पश्चात अपना बचाव कैसे करना है, इसकी शिक्षा स्कूलों में नहीं दी गई है और न ही इस मुद्दे पर गंभीरता से सरकारी अधिकारियों द्वारा कोई बड़ी बैठक की गई है। 

सरकारी अधिकारियों की नाक तले खुलेआम बनाई जा रही बिना नक्शे के इमारतें
सबसे खतरनाक पहलू यह है कि फगवाड़ा में अभी भी कई प्रमुख स्थानों पर बिना नक्शे के बहुमंजिला इमारतों का निर्माण धड़ल्ले से जारी है। निगम स्तर पर भूकंप रोधी इमारतों के निर्माण के लिए भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा शहर में कई खस्ताहाल बिल्डिंगें हैं जो किसी भी समय मामूली-सा झटका लगने के साथ गिर सकती हैं। ऐसे में उत्तर भारत में बड़ा भूकंप आने की सूरत मे सैसमिक जोन 4 में आते जिला कपूरथला में एहतियातन तैयारियां शून्य ही हैं। अब भले ही सरकारी तंत्र जितने चाहे दावे कर ले।  

Anjna