जालंधर को नया लुक देगी ट्रिपल इंजन सरकार, बदलेगें शहर के दिन

punjabkesari.in Friday, May 19, 2023 - 06:58 PM (IST)

जालंधर (अनिल पाहवा) : भाजपा इन दिनों हर उस राज्य में एक शब्द का इस्तेमाल कर रही है, जहां पर उसकी सरकार नहीं है। यह शब्द है 'डबल इंजन सरकार'। इस शब्द के साथ पार्टी लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि केंद्र और राज्य की सरकार मिल कर डबल इंजन सरकार के साथ विकास को और प्रगति देगी। लेकिन जालंधर में पिछले दिनों में जो भी राजनीतिक बदलाव हुए, उसके बाद शहर में ट्रिपल इंजन सरकार बन गई है, जिसका फायदा जालंधर के लोगों को मिलना भी शुरू हो गया है। 

मास्टर इंजन' के तौर पर सी.एम. मान ने संभाली कमान 
अब यह पढ़कर आप लोग सोच रहे होंगे कि यह कौन सी सरकार आ गई जालंधर में। जालंधर में राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान पूरी रुचि के साथ काम कर रहे हैं, खास कर जालंधर के लोगों ने जिस तरह से लोकसभा उपचुनाव में पार्टी को सफलता दिलवाई है, उसे लेकर मान खुद  बेहद उत्साहित हैं और इसी के चलते लगातार जालंधर को तरक्की की राह पर ले जाने के लिए प्रयासों में जुट गए हैं। ट्रिपल इंजन सरकार के पहले इंजन खुद सी.एम. मान हैं, जिन्होंने  

चुनाव परिणाम के दो दिन बाद ही यहां के लोगों को दो बड़े तोहफे दे दिए। सी.एम. मान उस मास्टर इंजन की भूमिका निभा रहे हैं, जो डबल इंजन ट्रेन में सबसे आगे लगा होता है। मान ने जालंधर के लोगों को तोहफा देते हुए जालंधर-होशियारपुर खस्ताहालत सड़क को नई बनाने का काम तो शुरू करवाया ही, साथ ही सी.एम. मान ने जालंधर के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए भी जारी कर दिए हैं, जिससे साफ हो गया है कि आने वाला समय जालंधर के लोगों के लिए काफी राहत भरा रहेगा। 

दूसरे इंजन के तौर पर सुशील रिंकू से कुछ 'कमाल' की उम्मीद
यह तो रही ट्रिपल इंजन सरकार के मुख्य इंजन की बात। अब दूसरे इंजन की भूमिका निभा रहे हैं, जालंधर से हाल ही में सांसद चुने गए सुशील रिंकू। दरअसल रिंकू को जिस तरह से सफलता मिली है, उसकी उम्मीद शायद उन्होंने खुद भी नहीं की थी। 2019 के लोकसभा चुनावों में चौधरी संतोख सिंह को 19491 मतों से जीत मिली थी तो वहीं सुशील रिंकू की जीत का मार्जिन करीब तीन गुना हो गया। रिंकू भी जीत के बाद लगातार जालंधर के विकास के लिए जरूरी योजनाओं का खाका तैयार करने में जुट गए हैं। बेशक वह दावा करते हैं कि वह 6 साल का रोडमैप लेकर आए हैं, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में उतरने से पहले उन्हें कुछ 'कमाल' करके दिखाना होगा। बहुत से ऐसे काम हैं, जो जालंधर के लोगों की उम्मीद बने हुए हैं। खासकर जालंधर को दो हिस्सों में बांटने वाली अमृतसर-दिल्ली रेल ट्रैक पर जालंधर में कई रेलवे क्रासिंग पर अंडर पाथ या ओवरब्रिज की मांग वर्षों से हो रही है और रिंकू की प्राथमिक सूची में यह काम पहले नम्बर पर है। इसके अलावा क्योंकि वह आम लोगों के बीच में एक्टिव रहते हैं, संभवतः लोगों की तकलीफे भी समझते होंगे। दूसरे इंजन के तौर पर रिंकू का आना जालंधर के लोगों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। 

तीसरे इंजन के तौर पर अशोक मित्तल भी कर सकते हैं प्रयास
पिछले दिनों में जालंधर से राज्यसभा सांसद के तौर पर अशोक मित्तल का नाम चुना गया था। उनके सांसद बनने के बाद जालंधर को विकास की उम्मीद बढ़ गई है। राज्यसभा सदस्य के तौर पर अशोक मित्तल लगातार अपनी बात रख रहे हैं और तीसरे इंजन के तौर पर जालंधर के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं। संभवतः यह प्रयास आगे और तेज होगा। 

काश! 'ड्रेल' न हुआ होता सरकार का चौथा इंजन
आम आदमी पार्टी ने जालंधर को लेकर जिस तरह की व्यवस्था की थी, उस हिसाब से तो जालंधर में 4 इंजनों पर विकास दौड़ता, लेकिन चौथे इंजन के तौर पर काम कर रहे राज्यसभा सदस्य हरभजन सिंह शायद ड्रेल हो चुके हैं। मतलब हरभजन सिंह के नाम का चौथा इंजन ट्रैक से उतर चुका है। जालंधर का कोई अहम मुद्दा हो या जालंधर की कभी कहीं बात रखनी हो, कहीं भी हरभजन सिंह को आगे खड़े नहीं देखा गया। राज्यसभा सदस्य के तौर उनके पास एक बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन उनका गायब रहना जालंधर के लोगों को अखर रहा है। और तो और जालंधर में लोकसभा उपचुनाव में जब आम आदमी पार्टी को उनकी सख्त जरूरत थी, तो इस दौर में वह गायब दिखे। हैरानी की बात है कि जालंधर से बाहर के इलाकों से राज्यसभा सदस्य बने संजीव अरोड़ा तथा संत सींचेवाल जैसे लोग भी जो सहयोग दे सकते थे, उन्होंने दिया, लेकिन चुनावी सीजन में हरभजन सिंह गायब रहे। यह नहीं कि वह कहीं बुरी तरह से व्यस्त थे, बल्कि उन्हें आई.पी.एल. मैचों में कमैंट्री करते देखा गया। अगर जालंधर के चुनावों में 2-4 दिन निकाल कर प्रचार कर लेते तो शायद आम आदमी पार्टी को कुछ और फायदा भी हो जाता। बेशक पार्टी ने इस ड्रेल हुए इंजन के बिना ही विकास की राह पकड़ ली है, लेकिन सवाल तो यह उठता है कि जो इंजन काम का ही नहीं, फिर उसे ट्रैक पर रखने का मतलब क्या है। 


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Content Writer

Subhash Kapoor

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