जब वाहेगुरु हरदीप पुरी पर हुए मेहरबान

punjabkesari.in Thursday, Sep 07, 2017 - 01:03 AM (IST)

पूर्व राजनयिक हरदीप सिंह पुरी मोदी सरकार में आने के लिए 3 से अधिक वर्षों तक सख्त मेहनत करते रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के दिनों से वित्त मंत्री अरुण जेतली के चहेते पुरी मोदी सरकार के सत्ता में आने के शीघ्र बाद जून 2014 में दिल्ली का उप राज्यपाल बनने के इच्छुक थे मगर मोदी ने यू.पी.ए. सरकार द्वारा नियुक्त नजीब जंग को इस पद से नहीं हटाया। अपनी आई.एफ.सी. की पृष्ठभूमि के कारण और विशाल राजनयिक के अनुभवों के आधार पर वह प्रधानमंत्री के उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एन.एस.ए.) बनना चाहते थे मगर वह तब भी विफल रहे। 

 

वह राज्यसभा में मनोनीत होना चाहते थे लेकिन स्वप्नदास गुप्ता ने उनको गच्चा दिया जो जेतली कैंप के थे। इंतजार लम्बा होता गया और पुरी की सहनशीलता खत्म हो रही थी। जब नवजोत सिंह सिद्धू ने अंतत: भाजपा को अलविदा कह दिया तो पुरी के लिए राजनीतिक खिड़की खुल गई। भाजपा एक सिख नेता की तलाश में थी क्योंकि जेतली और एस.एस. आहलूवालिया एक-दूसरे को नहीं भाते और पार्टी में कोई बड़ा सिख नेता नहीं था। पुरी को अंतत: शहरी और आवास मंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। वह न केवल दिल्ली बल्कि पार्टी में सिखों के भी एक बड़े नेता बन गए। अंतत: वाहेगुरु पुरी पर मेहरबान हो गए। 

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