दुनिया का पहला अस्पताल, जहां इस उम्र की बच्ची की नाक से निकाला 3 सैंटीमीटर का ट्यूमर

punjabkesari.in Friday, Jan 22, 2021 - 09:55 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल): पी.जी.आई. डॉक्टर्स ने 1 साल 4 महीने की एक बच्ची का नाक से ट्यूमर निकालने में सफलता हासिल की है। पीडियाट्रिक न्यूरोएंडोस्कोपी की हिस्ट्री में यह इस तरह का पहला केस है। यह नहीं, दुनिया में पी.जी.आई. पहला हॉस्पिटल बन गया है, जहां इतनी कम उम्र के मरीज का इस टैक्नीक से इलाज किया गया हो।

इससे पहले साल 2019 में स्टैंडफोर्ड (यू.एस.) में 2 साल के बच्चे का एंडोस्कोपी के जरिए नाक से ट्यूमर निकाला गया था। पी.जी.आई. न्यूरो सर्जरी डिपार्टमैंट से डॉ. दंडापानी एस.एस., डॉ. सुशांत और ई.एन.टी. डिपार्टमैंट से डॉ. रिजुनीता ने यह ऑप्रेशन किया है। उत्तराखंड की रहने वाली बच्ची को तीन हफ्ते पहले ही पी.जी.आई. में इलाज के लिए लाया गया था। बच्ची के परिजनों ने नोटिस किया कि उसका विजन कम हो रहा है, जिसके बाद वे उसे इलाज के लिए लेकर आए। सर्जरी के बाद वीरवार शाम को उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। 

डॉ. दंडापानी ने बताया कि मरीज की कंडीशन अच्छी है। सर्जरी को एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त हो चुका है। 3 महीने बाद फॉलोअप के लिए उसे बुलाया गया है। एम.आर.आई. के बाद दोबारा सभी टैस्ट कर जांच की जाएगी।

PunjabKesari, World's first hospital, 3 cm tumor removed from little girl

बहुत रिस्की थी सर्जरी, 6 घंटे में हुई पूरी 
बच्ची के ब्रेन (खोपड़ी के बेस) में यह कैल्सीफाइड ब्रेन ट्यूमर (क्रॉनियोफेरीन्जियोमा) था। दंडापानी कहते हैं कि यह बीमारी आम है लेकिन इतनी कम उम्र में होना थोड़ा रेयर होता है। ट्यूमर को निकालने के हमारे पास दो ऑप्शन थे, जिसमें पहला ओपन सर्जरी थी, जिसमें खोपड़ी को खोलकर ट्यूमर रिमूव किया जाता है। वहीं, दूसरा नाक के जरिये था। हमारे पास सभी इक्यूप्मैंट्स और एक्सपर्ट डॉक्टर्स हैं लेकिन इस केस में सबसे बड़ी दिक्कत मरीज की कम उम्र थी। केस को बहुत स्टडी किया गया। इंटरनैशनल लैवल की कई रिसर्च देखी गई। कम उम्र में नाक के टिश्यू बहुत सॉफ्ट होते हैं। बोन इतनी स्ट्रांग नहीं होती। सर्जरी बहुत रिस्की थी। 

हमने यू.एस. वाले केस को भी स्टडी किया, जिसके बाद यह सर्जरी की गई। 3 सैंटीमीटर का ट्यूमर नाक से निकाला गया। इस टैक्नीक की अच्छी बात यह है कि दिमाग से हमने कोई छेड़छाड़ नहीं की। ओपन सर्जरी में आगे जाकर कुछ न्यूरो से रिलेटिड दिक्कत हो जाती है। 6 घंटे की सर्जरी में हमने इस काम को किया। बच्ची का विजन (देखने की क्षमता) वापस आ गया है। सी.टी. स्कैन में हमने देखा है कि ट्यूमर बिल्कुल रिमूव हो चुका है। इस तरह के केस में लाइफ लॉन्ग का फॉलोअप रहता है। इतनी कम उम्र में अगर ट्यूमर हुआ है तो आगे जाकर दोबारा होने के चांस भी रहते हैं।

सी.टी. एंजियोग्राफी नेविगेशन का यूज किया
सर्जरी में सी.टी. एंजियोग्राफी नेविगेशन का यूज हुआ, जिसके बाद सर्जरी प्लान की गई। शुरूआत में एक पतली हाईडेफिनेशन एंडोस्कोप, माइक्रो-इंस्ट्रूमैंट्स और लेरिंजियल कोब्लेटर का इस्तेमाल किया गया। हड्डियों और साइनस के एमेच्योर होने के कारण ट्यूमर तक पहुंचना मुश्किल था। ट्यूमर बेस तक पहुंचने के लिए कोरिडोर देने वाला एयर साइनस इस बच्चे में नहीं था। ट्यूमर रिमूवल कोरिडोर बनाने के लिए कंप्यूटर नेविगेशन को यूज करते हुए एक डायमंड ड्रिल के साथ एमेच्योर बोन की ड्रिलिंग की गई। एंगल्ड एंडोस्कोप का यूज करते हुए ट्यूमर को रिमूव किया गया और नाक से निकाल दिया गया। पी.जी.आई. न्यूरो सर्जरी डिपार्टमैंट एंडोस्कोप के जरिए इन ट्यूमर्स का इलाज काफी वक्त से कर रहा है लेकिन इतनी कम उम्र में इसका इस्तेमाल पहली बार हुआ है। 


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Sunita sarangal

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