बेअंत सिंह हत्याकांडः आतंकी जगतार सिंह तारा को आजीवन कारावास

punjabkesari.in Saturday, Mar 17, 2018 - 05:19 PM (IST)

चंडीगढ़ः पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड मामले में आतंकी जगतार सिंह तारा को चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल में लगी सीबीअई की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। चंडीगढ़ की बुडैल जेल में बंद जगतार सिंह तारा ने 25 जनवरी को अपना गुनाह कबूल किया था। जगतार सिंह तारा रोपड़ के गांव डेकवाला का रहने वाला है और आतंकवादी संगठन खालिस्तानी टाइगर फोर्स का प्रमुख भी है।  

 

तारा ने सीबीअई अदालत को दे रखा था कबूलनामा

मामले की स्थानीय बुड़ैल जेल में सीबीआई की विशेष अदालत में 9 मार्च को सुनवाई के दौरान तारा को अपने बचाव में गवाह पेश करने को कहा था। तारा ने कहा था कि वह 25 जनवरी 2018 को दिए गए अपने कबूलनामे पर ही कायम है और इसे ही अंतिम समझा जाए। बुड़ैल जेल में सीबीआई की विशेष अदालत में तारा ने जज को इस बाबत 6 पन्‍ने का लिखित कबूलनामा दिया जिसमें कहा गया कि हां मैंने ही बेअंत सिंह को मारा लेकिन मुझे इस कत्‍ल पर किसी भी तरह का कोई पछतावा नहीं है।

 

ब्लास्ट में बेअंत सिंह समेत मारे गए थे 17 लोग

31 अगस्‍त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय की इमारत के पास हुए मानव बम ब्‍लास्‍ट करवाकर पंजाब के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री  बेअंत सिंह की हत्‍या कर दी थी। इस ब्‍लास्‍ट में 17 अन्‍य लोगों की भी मौत हो गई थी जिसमें जगतार सिंह तारा को मुख्‍य आरोपी बनाया गया है। सरदार बेअंत सिंह कांग्रेस के नेता और पंजाब के 1992 से 1995 तक मुख्यमंत्री थे। मुख्‍यमंत्री के रूप में सरदार बेअंत सिंह को पंजाब आतंक के दौर दौरान सामान्‍य स्थिति बहाली का श्रेय दिया जाता है। इसलिए 18 दिसम्बर 2013 को डाक विभाग ने सरदार बेअंत सिंह जी के सम्‍मान में एक डाक टिकट जारी किया।

 

94 फुट लंबी सुरंग बनाकर जेल से फरार हो गया था तारा 

21 जनवरी 2004 को चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल से अपने साथियों समेत जगतार सिंह तारा  94 फुट लंबी सुरंग तैयार कर नाटकीय ढंग से फरार हो गया था। करीब 10 साल बाद दिसंबर 2014 में इंटरपोल की मदद से जगतार सिंह तारा को भारतीय एजेंसियां और थाईलैंड की एजेंसी के साथ जॉइंट ऑपरेशन से गिरफ्तार किया गया। भारत लाने के बाद उसे फिर से चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल में रखा गया है।

 

15 लोगों को बनाया गया था आरोपी 

 

बेअंत सिंह की हत्या मामले में दायर आरोप पत्र में कुल 15 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इस केस में जुलार्इ 2007 में 6 दोषियों में से 2 को मौत की सजा, 3 को उम्रकैद और एक अन्य को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। जगतार सिंह हवारा और बलवंत सिंह को फांसी और हत्याकांड के 3 अन्य दोषियों शमशेर सिंह, लखविंदर सिंह और गुरमीत सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। नसीब सिंह को इस मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई, हालांकि पिछले 11 साल से चल रहे मुकदमे के दौरान वह पहले ही यह सजा काट चुका था। जगतार सिंह हवारा, बलवंत सिंह, शमशेर सिंह, लखविंदर सिंह और गुरमीत सिंह को आईपीसी की धारा 302, 307 और 120 बी के तहत दोषी पाया गया था। जबकि नसीब सिंह को विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत दोषी करार दिया गया था। विशेष अदालत ने इस मामले में 7 वें अभियुक्त नवजोत सिंह को पहले ही बरी कर दिया था।

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