गरीबी: देश का ‘भविष्य’  कूड़े के ढेरों से रोजी-रोटी तलाशने को मजबूर

punjabkesari.in Thursday, Sep 20, 2018 - 04:02 PM (IST)

रूपनगर (कैलाश): आज के बच्चे कल देश का भविष्य हैं और सरकार ने बच्चों को शिक्षा देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं ताकि शिक्षित बच्चे देश की प्रगति में अपना योगदान डाल सकें, परंतु स्कूल जाने की आयु में गरीबी के चलते कुछ बच्चे स्कूल न जा कर रोजी-रोटी की तलाश में कूड़े के ढेरों पर सामान ढूंढते देखे जा सकते हैं। उन्हें न तो गंदगी के ढेरों से दुर्गंध आती है तथा न ही उन्हें अपने भविष्य की ङ्क्षचता होती है। 

इस संबंध में समाजसेवियों ने बताया कि सरकार ने 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से काम करवाने पर पाबंदी लगा रखी है, यदि प्रशासनिक अधिकारियों को किसी दुकान या घर में छोटे बच्चों के काम करने की खबर मिलती है तो संबंधित व्यक्ति पर विभागीय कार्रवाई भी की जाती है परंतु दूसरी तरफ छोटी आयु के बच्चे जिन्हें स्कूल में होना चाहिए वह अपनी रोजी-रोटी के जुगाड़ में शहर में गंदगी के ढेरों पर मंडराते रहते हैं और यह बच्चे भी ढेरों से सामान ढूंढने में एक-दूसरे से पहल के चक्कर में भागदौड़ करते हैं।

इस संबंध में गोपाल गौशाला के महासचिव बलदेव अरोड़ा तथा एड. चेतन शर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा बच्चों को शिक्षित करने के लिए लागू की गई कई योजनाएं जिला प्रशासन द्वारा सही ढंग से लागू नहीं की जा रहीं। उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता को भी बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह बच्चों को स्कूल भेजें व बच्चे शिक्षित हो कर देश के विकास में सहायक बन सकें। 
 

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