स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सेहत विभाग हुआ अलर्ट

punjabkesari.in Tuesday, Jan 22, 2019 - 10:24 AM (IST)

नवांशहर (मनोरंजन): सर्दी के मौसम को देखते हुए राज्य के कुछ इलाकों में स्वाइन फ्लू के केस बढऩे के चलते सेहत विभाग अलर्ट हो गया है। गत दिसम्बर व जनवरी में जिले में स्वाइन फ्लू के 2 मरीज सामने आने के बाद नए साल में सेहत विभाग ने कमर कस ली है। इनमें से जाफरपुर के एक मरीज की मौत हो चुकी है जबकि बलाचौर की एक पीड़ित महिला का पी.जी.आई. चंडीगढ़ में इलाज चल रहा है। विभाग ने अब प्राइवेट अस्पतालों को निर्देश जारी किए हैं कि स्वाइन फ्लू के मरीज की पुष्टि होने के बाद तुरंत विभाग को सूचित करें।

विभाग ने इस बीमारी से निपटने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स टीम बनाई है। यह दस्ता लोगों की सेवा में 24 घंटे हाजिर रहेगा। जिला एपीडिमोलॉजिस्ट डाक्टर जगदीप ने बताया कि स्वाइन फ्लू के उपचार के लिए 3 सरकारी विशेषज्ञ डाक्टर, 2 लैब टैक्नीशियन, फार्मासिस्ट, 2 क्लास-4 की टीमों का गठन किया गया है जबकि सेहत विभाग की आधा दर्जन से अधिक हैल्थ इंस्पैक्टरों की टीम लोगों को जागरूक करने में जुट चुकी हैं।  

सरकारी अस्पतालों में फ्लू कॉर्नर स्थापित 
सिविल सर्जन डाक्टर गुरिन्द्र कौर चावला के अनुसार मरीजों को विभिन्न सेहत केंद्रों में बेहतर उपचार, बैड, ब्लड टैस्ट की नि:शुल्क सुविधा दी जाएगी। इसके लिए विभाग की ओर से सरकारी हैल्थ सैंटरों जिनमें सिविल अस्पताल व डिस्पैंसरियों तथा 3 गैर-सरकारी अस्पतालों में फ्लू कॉर्नर स्थापित करवाए हैं। सिविल में मरीजों के उपचार के लिए टेबलेट तथा बच्चों के लिए दर्जनों सिरप स्टॉक में उपलब्ध हैं।

एपीडिमोलॉजिस्ट डाक्टर जगदीप ने बताया कि जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह व नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं तो वह वायरस की चपेट में आ जाता है। ये कण हवा द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकता है, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।  एच-1 एन-1 वायरस स्टील, प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे, कपड़े और पेपर में 8 से 12 घंटे, टिश्यू पेपर में 15 मिनट और हाथों में 30 मिनट तक एक्टिव रहते हैं। इन्हें खत्म करने के लिए डिटर्जैंट, एल्कोहल, ब्लीच या साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। बीमारी के लक्षण इंफैक्शन के बाद 7 दिन में डिवैल्प हो सकते हैं। लक्षण दिखने के 24 घंटे पहले और 8 दिन बाद तक किसी और में वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा रहता है। 

शुरूआती लक्षण 
-नाक का लगातार बहना
-छींक आना, 
-नाक जाम होना।  
-गले में खराश। 
-मांसपेशियां में दर्द या अकडऩ महसूस होना। 
-सिर में भयानक दर्द। 
-कफ और कोल्ड, लागातार खांसी आना।
-ज्यादा थकान महसूस होना।
-बुखार होना, दवा खाने के बाद भी बुखार बढऩा
फ्लू के शुरूआती लक्षण दिखते ही सावधानी बरती जाए तो इस बीमारी के फैलने के चांस न के बराबर हो जाते हैं। खांसी या छींक आए तो रुमाल या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें। टिश्यू पेपर को ढक्कन वाले डस्टबिन में फैंकना चाहिए। थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ को साबुन और पानी से धोते रहना चाहिए। बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह छूने से परहेज करे। 

Anjna