डाक्टर तथा जरूरी उपकरण न होने से मरीज निजी अस्पतालों में उपचार करवाने को विवश!

punjabkesari.in Monday, Sep 17, 2018 - 11:11 AM (IST)

नवांशहर (त्रिपाठी): सेहत विभाग की ओर से गरीब तथा जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क उपचार सुविधाएं देने के वायदे विभाग की ओर से लगातार किए जाते हैं तो वहीं सेहत सुविधाओं की जानकारी देने के लिए विभाग के अधिकारी जिला अस्पताल में आए मरीजों के कैम्प लगा कर मीडिया में भी लगातार सुर्खियां बटोरने में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं परन्तु वास्तविक हालात इससे कहीं उल्ट है। इस संबंधी सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले जरूरतमंद मरीजों की समस्याओं को हल करने के लिए अहम भूमिका निभा रही जिला सिविल अस्पताल मरीज सेवा सोसायटी की ओर से सेहत विभाग की खामियों संबंधी सेहत मंत्री पंजाब, सेहत सचिव, एम.डी. पंजाब सरकार, डिप्टी कमिश्रर नवांशहर तथा सिविल सर्जन नवांशहर को भेजे गए पत्र से मिलता है। 

एमरजैंसी सुविधाओं से मरीजों को रखा जा रहा वंचित
सोसायटी ने सेहत मंत्री तथा उच्च अधिकारियों को लिखे पत्र में बताया कि अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों की एमरजैंसी में ओ.पी.डी. मरीज की पर्ची नहीं बनाई जाती जिससे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों तहत मरीज को पहले 24 घंटे मिलने वाली एमरजैंसी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है।  एम.आर.आई. मशीन तथा विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी के चलते मरीजों को महंगे भाव में निजी अस्पतालों में करवानी पड़ रही एम.आर.आई.सोसायटी के सदस्यों ने बताया कि सिविल अस्पताल में ईको मशीन उपलब्ध है परन्तु डाक्टर की सुविधा उपलब्ध न होने से सुविधा नहीं मिली रही है। उन्होंने बताया कि आप्रेशन करवाने वाले सभी मरीजों को डाक्टर की ओर से ईको करवाने के लिए कहा जाता है। इसी तरह से अस्पताल में न तो एम.आर.आई. मशीन है और न ही डाक्टर उपलब्ध हैं। बच्चों की बीमारियों का उपचार नि:शुल्क करने का सरकार का दावे पर पूरे जिले में नहीं कोई चाइल्ड विशेषज्ञ डाक्टर 

सेहत विभाग की ओर प्रदेश के बच्चों के अच्छे स्वस्थ के लिए 30 बीमारियों का उपचार नि:शुल्क दिए जाने की सुविधा दी गई है परन्तु जिला अस्पताल सहित पूरे जिले में ही बच्चों का कोई विशेषज्ञ डाक्टर न होने से सरकार के दावे की पूरी तरह से पोल खुलती हुई दिखाई देती है। जिला सिविल अस्पताल मरीज सेवा सोसायटी के प्रधान श्री बलदेव राज माही ने बताया कि डाक्टर की उपलब्धता न होने के चलते गरीब लोगों को अपने बच्चों का उपचार निजी अस्पतालों में करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 

प्रधानमंत्री जन औषधि कानून की हो रही घोर उल्लंघना
सोसायटी के प्रधान श्री बलदेव राज माही ने बताया कि केन्द्र सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सभी दवाइयां देने के आदेश दिए गए हैं। सरकार की ओर से डाक्टरों को महंगी एलोपैथी दवाइयों के स्थान पर जैनरिक दवाइयां लिखे जाने की ताकीद भी की गई है तथा केन्द्र सरकार की स्कीम के तहत करीब-करीब देश भर के शहरों में जैनरिक दवाइयों के स्टोर खुलवाए गए हैं परन्तु बावजूद इसके सरकारी अस्पतालों के जहां मरीजों को पूरी दवाइयां नहीं मिल पाती है वहीं अस्पताल के डाक्टर भी कथित तौर पर जैनरिक दवाइयों के स्थान पर बाजार से महंगी दवाइयां लिख कर देते हैं जोकि गरीब लोगों की पहुंच से बाहर होती है।

क्या कहते हैं सोसायटी के प्रधान
इस संबंध में सिविल अस्पताल मरीज सेवा सोसायटी के प्रधान बलदेव राज माही ने बताया कि उनकी संस्था निष्काम भाव से लोगों तथा विशेष तौर पर उपचार सुविधाओं से वंचित हो रहे मरीजों की सहायता का बीड़ा उठा रही है। इसके चलते मरीजों को होने वाली समस्याओं को सिविल अस्पताल के प्रशासन, सिविल सर्जन तथा उच्च अधिकारियों के ध्यान में लाकर समस्याओं का हल करने का प्रयास कर रही है। 

क्या कहती हैं सिविल सर्जन डा. गुरिन्द्र कौर चावला 
जब इस संबंध में सिविल सर्जन डा. गुरिन्द्र कौर चावला से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि बच्चों की संक्रामक बीमारियों के उपचार के लिए मरीजों को चंडीगढ़ के अस्पताल के लिए रैफर किया जाता है। बच्चों के विशेषज्ञ डाक्टर न होने संबंधी उन्होंने कहा कि बलाचौर में एक विशेषज्ञ डाक्टर जिनकी नवांशहर में भी 3 दिन के लिए ड्यूटी लगाई गई है। जन औषधि दवाइयों की उपलब्धा संबंधी उन्होंने कहा कि पहले से चल रहे स्टोर में कई दिक्कतों के चलते स्टोर संचालक को नोटिस निकाल कर स्टोर बंद करने के निर्देश दिए गए हैं तथा जल्द ही नया जन औषधि स्टोर वर्किंग करना शुरू कर देगा। डिलीवरी केसों को निजी अस्पतालों में भेजे जाने के मामले को पूरी तरह से निराधार बताते हुए कहा कि केवल अगस्त महीने में ही 150 से अधिक डिलीवरियां सरकारी अस्पताल में हुई हैं। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में डाक्टरों तथा उपकरणों की कमी संबंधी उच्च अधिकारियों को लिखा गया है तथा जल्द ही कमियों को दूर कर दिया जाएगा।

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