माइनिंग माफिया ने बर्बाद की उपजाऊ जमीनें, सतलुज तट के साथ लगते गांव आ सकते हैं बाढ़ की चपेट में

punjabkesari.in Tuesday, Aug 21, 2018 - 11:08 AM (IST)

आनंदपुर साहिब (शमशेर): नंगल डैम से रूपनगर हैडवक्र्स तक लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय कर सतलुज नदी का पानी रूपनगर हैडवक्र्स तक पहुंचता है। यहीं से भाखड़ा नहर व बिस्त दोआब निकलने के कारण पानी की मात्रा आधी रह जाती है। नंगल से रूपनगर तक सतलुज का बहाव तेज है। वहीं स्वां नदी और कीरतपुर साहिब के पास एस.वाई.एल. नहर के पानी को सतलुज में ही मिला दिया गया है, जिसकी वजह से जरूरत से ज्यादा पानी नदी में बहता है। माइनिंग माफिया ने इलाके में उपजाऊ जमीनों को बर्बाद कर दिया है जिसके चलते नदी के किनारे से सटे गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं।  आनंदपुर साहिब का इलाका देहाती क्षेत्र में आता है। इसके आसपास के क्षेत्रों में किसानों की सैंकड़ों एकड़ खेती योग्य जमीन है जिसे माइनिंग माफिया ने खोद-खोद कर हालात विकट बना दिए हैं। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से बरसातों में इन गांवों में लोगों को पानी के बढऩे पर रैड अलर्ट भी जारी किया जाता था। सतलुज के तट के साथ लगते इन गांवों में पानी का स्तर इतना ऊंचा था कि महिलाएं कुओं में से पानी सीधे बाल्टी डुबो कर निकाल लेती थीं।  

वहीं शुरूआत में लोगों ने दरिया से रेत व बजरी निकाल कर बेचने का कार्य शुरू किया और फिर एक-दो क्रशर लग गए थे। फिर देशभर में रेत-बजरी की मांग से यहां माइनिंग माफिया ने डेरा डाल दिया। माइनिंग माफिया ने बड़ी मात्रा में जमीन खरीद ली और कुछ लीज पर ले लीं। माइनिंग माफिया ने समस्त सतलुज दरिया व स्वां नदी के आस-पास के क्षेत्र पर अतिक्रमण करके लोगों का जीना हराम कर दिया है। हालांकि कुछ को जमीन ऊंची-नीची होने के कारण मजबूरी में जमीनें बेचनी पड़ीं।  

100 फीट से नीचे गया पानी का लेबल 
 माइनिंग माफिया ने सतलुज को मशीनों की भेंट चढ़ा कर इसका सीना इस कदर छलनी कर दिया है कि गांवों में ज्यादातर भूमि बंजर हो गई है। गांव शाहपुर बेला, अमरपुर बेला, सैदपुर, संगतपुर आदि में जहां कभी नलकूपों की गहराई 20 से 25 फुट होती थी, आज वह 100 फुट से नीचे पानी जा चुका है। किसान हर फसल पर पानी की यह समस्या के चलते नलकूपों को गहरा कर रहे हैं और सैंकड़ों की संख्या में नलकूप माइनिंग की वजह से बंद हो गए हैं।

बाबा ने पुल बनाकर लोगों को बाहरी दुनिया से जोड़ा
कार सेवा किला आनंदगढ़ साहिब के प्रमुख बाबा लाभ सिंह ने 7 पुल इन गांवों में सतलुज पर बनवा कर टापू जैसे गांव को नई दिशा दी। गांव सैदपुर, सुआड़ा, सैंसोवाल आदि गांवों के लोगों का घरों से बाहर निकालना मुश्किल हो गया था। बाबा ने पुल बनाकर लोगों को बाहरी दुनिया से जोड़ा है। 

जमीन बेचने वाले लोगों को हुआ अब गलती का अहसास 
जमीन बेचने वाले लोग अपनी गलती का अहसास होने लगा है। इसका मुख्य कारण यह है कि क्षेत्र पर टूटे माइनिंग माफिया ने सियासी भागीदारी के तहत इस क्षेत्र के हकों पर डाका डालकर स्थानीय निवासियों को जमीन की मलकीयत होने के बावजूद उनके हकों से वंचित कर दिया और माइनिंग माफिया इसकी संपत्ति पर कुंडली मार कर बैठ गया। 

‘सतलुज तट के साथ लगते गांवों में बड़े स्तर पर हुई लूट के लिए लोग खुद जिम्मेदार हैं। बहुत लोगों ने लालच में आकर माफिया को खुद जमीनें बेचीं और फिर लूट का क्रम शुरू हुआ। बहुत से लोग न चाहते हुए भी तब जमीनें देने को मजबूर हो गए जब साथ वाली जमीन का माइनिंग वाली जमीनों से स्तर बिगड़ गया।-तलविन्द्र सिंह सैदपुर, स्थानीय अध्यापक नेता 

‘भूमि रक्षा विभाग और भूमि परख प्रयोगशाला की तरफ से की जांच के तहत तथ्य सामने आया कि सतलुज तट के साथ लगती 5 से 7 किलोमीटर जमीन के धंसने का मुख्य कारण अवैध माइनिंग है। इसके अंतर्गत लोग बेखबर हैं और सरकारों तथा माफिया की ओर से उनकी इस बेखबरी का अवैध लाभ उठाया जा रहा है।’
-राम कुमार मुकारी, आप वालंटियर 

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