चॉकलेट खाने के शौकीन थे हरदेव बाबा,पढ़ें स्कूल में बिताए पलों के बारें में

punjabkesari.in Saturday, May 14, 2016 - 11:12 AM (IST)

पटियालाः निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी के साथ 7 साल तक पटियाला के वाई.पी.एस. स्कूल की क्लास में एक मेज पर साथ बैठकर पढ़ने वाले प्रदीप घुम्मण बाबा के निधन पर बेहद दुखी हैंं। बाबा के साथ बिताए समय को याद करते हुए बताते हैं कि बाबा स्कूल टाइम में बेहद शांत रहने वाले थे। बाबा को चॉकलेट का इतना शौक था कि वो अपने मेज बॉक्स में उनके लिए भी कई चॉकलेट छिपा कर रखते थे।

कभी भी चॉकलेट अकेले नहीं खाते थे। एक दिन गर्मियों में मेरे लिए चॉकलेट छिपाकर रखी थी। क्लास के बाद जब मुझे चॉकलेट दी तो वह पिघल कर लिक्वड बन गई थी। फिर दोनों दोस्तों ने उसे आधा-आधा खाया।  

घुम्मण के मुताबिक जब 10वीं के बाद बाबा पटियाला छोड़ गए तो उनकी मुलाकात दोबारा तब हुई जब बाबा निरंकारी मिशन के मुखी बन गए थे। मंसूरी में वो डरते-डरते बाबा से मिले, लेकिन बाबा ने अपनी सीट से उठकर उन्हें गले लगाया। अपने साथ कुर्सी दी। अपने परिवार से उसी गर्मजोशी से मिलवाया जैसे दो पुराने दोस्त मिलते हैं।

विदेशों में भी हैं बाबा जी के करोड़ों भक्त, भोला के नाम से थे पॉपुलर

संत निरंकारी बाबा हरदेव सिंह का कनाडा के मॉंट्रियल में एक रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया। बाबा हरदेव सिंह की सड़क हादसे में मौत की खबर आते ही उनके अनुयायियों में शोक की लहर फैल गई है। बता दें कि बाबा के अनुयायी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बड़ी संख्या में हैं। संत निरंकारी बाबा की 27 देशों में 100 शाखाएं चल रही हैं। 

हरियाणा के इस शहर हर दीवाली आते थे बाबा

बाबा के सबसे ज्यादा अनुयायी हरियाणा में हैं और बाबा अपने अनुयायियों से खास लगाव था। अनुयायी बताते हैं कि बाबा हर साल दीवाली के मौके पर दिल्ली से सटे फरीदाबाद आते थे और दीवाली मनाते थे। उन्हें अपने अनुयायियों के ज्यादातर के नाम याद होते थे। वे एकाएक किसी भी अनुयायी के घर पहुंच जाते। उनका हाल चाल पूछते।

यहां से हुई निरंकारी संप्रदाय की शुरुआत

निरंकारी संप्रदाय की शुरुआत पाकिस्तान के रावलपिंडी से हुई थी। इसे सहजधारी सिख बाबा दयाल सिंह-एक स्वर्ण व्यापारी ने की थी। 1947 में बंटवारे के बाद मिशन का मुख्यालय दिल्ली में बनाया गया। ब्रिटिश राज में हालांकि इस समुदाय को दरकिनार कर दिया गया। बाद में 1929 में संत निरंकारी मिशन की स्थापना हुई। इस संप्रदाय के करोड़ों फॉलोअर्स भारत से लेकर विदेशों में फैले हैं। दुनिया भर के 27 देशों में मिशन की 2000 से अधिक शाखाएं हैं। इस समय एक करोड़ से अधिक भक्त मिशन के सदस्य हैं।

 


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