‘किसान से 2 रुपए की सब्जी लेकर आगे बिकती है 20 में’

punjabkesari.in Saturday, Jun 02, 2018 - 10:15 AM (IST)

पटियाला/बस्सी पठाना(राजकमल) :भारत में किसी समय एक नारा दिया जाता था जय जवान जय किसान जो आज के समय में असल मायने में किसानों पर लागू नहीं हो सकता।

एक अनुमान के मुताबिक भारत में रोजाना 38 किसान आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहे हैं।  सब्जियों से लेकर दूध के सही रेट न मिलने से गुस्साईं किसान जत्थेबंदियों ने 1 से 10 जून तक हड़ताल शुरू कर दी है। भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल), भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) तथा अन्य जत्थेबंदियों द्वारा संयुक्त तौर पर यह हड़ताल करने की घोषणा की गई।

राजेवाल संगठन के ब्लॉक प्रधान बलजिन्द्र सिंह, महासचिव भूपिन्द्र सिंह तथा सिद्धूपुर यूनियन के ब्लॉक सरहिंद प्रधान बलदेव सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा सिर्फ अपने चहेतों का ही कर्ज माफ किया गया। उन्होंने कहा कि किसान से 2 रुपए की सब्जी ले कर आगे 20 रुपए में बिकती है इसलिए किसान सब्जियां सड़कों पर फैंकने और आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं।
 

स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने की उठाई जा रही है मांग
जत्थेबंदियों के नेताओं ने कहा कि किसानों में रोष और गुस्सा इस बात का है कि उनकी सब्जी को नाममात्र कीमत 1 से 5 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीद कर आढ़ती वर्ग द्वारा 20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से रेहड़ी वालों को बेच दिया जाता है और आगे रेहड़ी वाला इस सब्जी को 25 से 30 रुपए किलो के हिसाब से उपभोक्ताओं को बेचता है।

इस तरह जिसने सब्जी को अपने खेतों में खून पसीने से पैदा की होती है उसकी कीमत 2 रुपए और जो सीधे मंडी में सुबह रेहड़ी या छोटा हाथी लेकर जाता है वह उसी सब्जी को 30 रुपए तक बेचता है। इस बड़े अंतर के कारण किसानों का नाराज होना लाजिमी है। इसलिए किसानों की यह मांग है कि जिस रेट से उनसे सब्जी खरीदी जाएगी उसी रेट से ही सब्जी आगे उपभोक्ताओं को बेची जाए। इसके अलावा स्वामीनाथन रिपोर्ट को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए।

रेहड़ी वालों को भी किसानों ने दी चेतावनी
किसान यूनियनों द्वारा सरकार को किसानों की मांगों को मानने के लिए 10 दिनों का अल्टीमेटम दिया गया है। इतना ही नहीं किसान नेताओं ने मंडियों में जाकर रेहडिय़ां व फडिय़ांं लगा कर सब्जियां बेचने वालों को भी सख्त चेतावनी दी है कि वे अपना बचा सामान आज के दिन ही बेच लें इसके बाद यदि वे रेहड़ी या फड़ी लगा कर सब्जी बेचते नजर आए तो उनकी सब्जी उठा कर लंगरों या गौशालाओं में पहुंचा दी जाएगी।

इतना ही नहीं 2 जून से यूनियनों द्वारा मंडियों के गेट के आगे डेरा जमाया जाएगा और मंडी में यदि कोई सब्जी लेकर आया तो उसकी सब्जी भी लंगर में ही जाएगी। कुछ स्थानों पर गुस्से में आए किसानों द्वारा सड़कों पर दूध भी फैंक दिया गया जिसकी सोशल मीडिया पर भी वीडियो वायरल हुई है और हड़ताल संबंधी गांवों में अनाऊंसमैंट भी करवाई जा रही है। उन्होंने किसानों को दूध न फैंकने की अपील करते हुए कहा कि दूध फैंकने की बजाय किसी जरूरतमंद को दे दिया जाए।

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