‘पुलिस कर्मचारियों को तरक्की देने से पंजाब सरकार के खजाने पर नहीं पड़ेगा वित्तीय बोझ’

punjabkesari.in Wednesday, Jun 27, 2018 - 01:57 PM (IST)

बस्सा पठाना(राजकमल): अक्सर मत्रियों व अन्य उच्च अधिकारियों के साथ तैनात पुलिस मुलाजिम सिफारिशों के आधार पर तरक्की पा लेते हैं व दिन-रात ड्यूटी व लोगों की सुरक्षा में तैनात रहने वाले गर्मी एवं सर्दी की परवाह किए बगैर ट्रैफिक को सही ढंग से चलाने वाले पुलिस मुलाजिम तरक्की से वंचित रह जाते हैं। वे एक रैंक पर 20 से 30 वर्ष तक सॢवस करते रहते हैं। कई बार छोटी-मोटी गलती होने पर अपने से छोटी आयु के मुलाजिमों के गुस्से का भी शिकार होना पड़ता है जिस कारण वे मानसिक तनाव के शिकार हो जाते हैं तथा कई बार खुदकुशी तक भी कर लेते हैं।

 

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने विधानसभा चुनाव दौरान पंजाब सरकार के मुलाजिमों पर अप्रैल 2017 तक पे-कमीशन की रिपोर्ट लागू करने का वायदा किया था तथा दिसम्बर 2017 में भी उनकी ओर से मुलाजिमों को सॢवस के आधार पर नए वर्ष में तरक्की देने का वायदा किया गया था जिस कारण मुलाजिमों में एक उम्मीद की किरण फिर से जागी थी पर मुलाजिमों को न तो पे-कमीशन का लाभ मिला तथा न ही नए वर्ष का तोहफा जिस कारण उनके भीतर निराशा का आलम पाया जा रहा है।

 

पंजाब के डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा की भी इच्छा है कि पुलिस मुलाजिमों को आयु तथा साफ-सुथरी सर्विस के आधार पर तरक्की मिलनी चाहिए। उनका कहना है कि 16 वर्ष की सेवा निभा चुके मुलाजिम को हवलदार, 24 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके मुलाजिम को सहायक थानेदार, 30 वर्ष की सेवा कर चुके मुलाजिम को सब इंस्पैक्टर तथा 35 वर्ष की सेवा निभा चुके मुलाजिम को रिटायर्ड होने पर पहले इंस्पैक्टर (बिना किसी वित्तीय लाभ) की रैंक की तरक्की मिलनी चाहिए।

 

यदि सरकार पुलिस मुलाजिमों को 16-24-30-35 प्रणाली के तहत आयु व सर्विस के आधार पर तरक्की देती है तो सरकार के खजाने पर जहां कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा वहीं पुलिस मुलाजिमों का मनोबल ऊंचा होगा और वे मानसिक तनाव का शिकार भी नही होंगे।अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री पुलिस मुलाजिमों के साथ किया वायदा पूरा करके उनकी उम्मीद को हकीकत में बदलते हैं या नहीं। यह तो आने वाला समय ही बताएगा पर मुलाजिम कैप्टन सरकार से बहुत उम्मीदें लगाए बैठे हैं जिस पर पानी फिरना एक तरह उनकी इच्छाओं का दमन करना होगा।

swetha