पंथक संस्थाओं पर काबिज लोग आत्म मंथन कर दूर करें अन्य संगठनों के संशय: ज्ञानी हरप्रीत सिंह

punjabkesari.in Tuesday, Sep 15, 2020 - 03:49 PM (IST)

पटियाला(राजेश पंजोला,जोसन): श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि पंथक संस्थाओं पर काबिज लोग आत्ममंथन कर अन्य संगठनों के सभी संशय दूर करें। यहां गुरुद्वारा श्री दुख निवारण साहिब में ऑल इंडिया सिख स्टूडैंट्स फैडरेशन की तरफ से करनैल सिंह पीर मुहम्मद व जगरूप सिंह चीमा की अगुवाई में करवाए गए फैडरेशन के 76वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि 1920 से 1984 के दौरान बेशक राजनीतिक संगठन अलग-अलग थे और वे अपना-अपना प्रधान बनाने के लिए भरसक प्रयास करते थे परंतु जनरल इजलास दौरान जो भी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का प्रधान बन जाता था, वह सभी का प्रधान होता था। 

उस समय संगत व कोई भी संगठन श्री अकाल तख्त साहिब के खिलाफ जाने की सोचता तक नहीं था। वर्ष 1984 तक सिख पूरी तरह से एकजुट थे, सिखों की लड़ाई केंद्र सरकार से थी परंतु इसके बाद एजैंसियों ने सिखों को आपस में लड़वा दिया व जो सिख संगठन सिखों के हितों के लिए दिल्ली के खिलाफ लड़ते थे, वे आपस में लडऩे लगे। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि आज सिख संगठनों को एक-दूसरे पर विश्वास ही नहीं। बादलों का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि पंथक संस्थाओं पर काबिज लोगों के लिए यह स्वॢणम अवसर है कि वे आत्ममंथन करें और संगत के सुझाव के साथ दूसरे संगठनों के सभी संशय दूर करके एक-दूसरे के प्रति पैदा हुए अविश्वास को खत्म करें। संस्थाओं पर काबिज लोगों का यह फर्ज बनता है कि वे अन्य संगठनों से खुद बात करें व उनकी बात सुन कर उनके सवालों का पारदर्शी तरीके से जवाब दें। उन्होंने कहा कि जम्मू में पंजाबी भाषा को राजभाषा से वंचित करना बिल्कुल उसी तरह का फैसला है जैसे हरियाणा में सिखों को खत्म करने के लिए पंजाबी को खत्म करने के प्रयास किए गए थे। अब यही साजिश जम्मू-कश्मीर में रची गई है। 

केंद्र के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर के 7 लाख सिख खत्म नहीं होंगे परंतु सिखों में केन्द्र प्रति अविश्वास जरूर पैदा होगा। उन्होंने कहा कि एक दिल्ली का तख्त है और एक श्री अकाल तख्त साहिब। सिख कौम के लिए श्री अकाल तख्त साहिब सर्वोच्च है। उन्होंने ऑल इंडिया सिख स्टूडैंट्स फैडरेशन की तरफ से स्थापना दिवस मनाने की सराहना करते हुए सभी सिख संगठनों को एकजुट होने की अपील की। 


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