नई रैगुलराइजेशन पॉलिसी के कारण प्रॉपर्टी कारोबार फिर से ठप्प

punjabkesari.in Monday, May 07, 2018 - 01:48 PM (IST)

पटियाला(बलजिन्द्र): पंजाब सरकार की नई रैगुलराइजेशन पॉलिसी के कारण मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के अपने जिले की लगभग 900 कॉलोनियों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। इसी तरह इनमें प्लाट खरीदने वाले और उनमें प्लाट खरीद कर घर बनाने वाले लगभग 8000 प्लाट होल्डर परेशान हैं क्योंकि नई पॉलिसी जिस तरीके से बनाई गई है, उनमें ये कॉलोनियां किसी भी कीमत पर नहीं आती हैं। 

सरकार ने जिस सख्ती के साथ नई पॉलिसी बनाई है, उससे न केवल मुख्यमंत्री के जिले बल्कि पूरे पंजाब के कालोनाइजरों व प्लाट होल्डरों में अफरा-तफरी वाला माहौल दिखाई दे रहा है। पॉलिसी लागू हुए 1 माह के लगभग का समय हो गया है परन्तु आज तक न तो कालोनाइजरों को कुछ समझ आ रहा है और न ही प्लाट होल्डरों को। सरकार चाहे दावा कर रही है कि उसकी कोशिश यह है कि कोई भी कॉलोनी अनधिकृत न काटी जाए और सभी कालोनियां नियमों के अनुसार काटी जाएं परन्तु सरकार की तरफ से जिस तरह बड़ी पुरानी कॉलोनियों को नई पॉलिसी में शामिल किया गया है, उसने स्थिति को काफी सहम वाला बना दिया है। 

 

हालात यह हैं कि न केवल कालोनाइजर बल्कि अपनी खून-पसीने की कमाई के साथ एक प्लाट खरीद कर अपने घर का स्वप्न साकार करने की कोशिश करने वाले प्लाट होल्डरों को भी समझ नहीं आ रहा कि वे आखिर क्या करें। नई नीति अनुसार पहले कालोनाइजर पूरी कालोनी को रैगुलर करवाएगा, उसके बाद प्लाट होल्डर अपने प्लाट को रैगुलर करवा सकेगा।  जिन लोगों की तरफ से 10 साल पहले प्लाट खरीदे गए हैं, वे आज अपने कालोनाइजरों को ढूंढते फिर रहे हैं और कालोनाइजर प्लाट होल्डरों से बचते घूमते नजर आ रहे हैं। पिछले 10 सालों से प्रॉपर्टी में आई मंदी के कारण कालोनाइजरों की हालत पहले ही खस्ता हुई पड़ी है। जब कालोनाइजरों की तरफ से कालोनियां बेची गईं, तब उस हिसाब के साथ प्राफिट रखा गया था जोकि नई नीति के अनुसार पैसे भरने में किसी भी कीमत पर सही नहीं बैठता। 

नई पॉलिसी के बाद सरकार को पड़ रहा है रैवेन्यू का बड़ा घाटा
नई पॉलिसी के बाद सरकार को रैवेन्यू का बड़ा घाटा पड़ रहा है। अकेले पटियाला जिले की बात की जाए तो यहां लगभग औसतन 100 रजिस्ट्रियां रोजाना होती थीं जोकि कम होकर अब लगभग आधा दर्जन ही रह गई हैं। उनमें भी ज्यादा मलकीती तबदीली वाली रजिस्ट्रियां शामिल हैं, जिस कारण सरकार को बड़ा रैवेन्यू घाटा पड़ा है। जहां रोज अकेले पटियाला जिले से लगभग 50 लाख रुपया रोजाना सरकार के खजाने में जाता था, वह अब न के बराबर रह गया है। 

2002 से 2007 तक आया था प्रॉपर्टी का बूम 
मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के साल 2002 से 2007 तक के कार्यकाल दौरान पंजाब में प्रॉपर्टी का एक बूम आया, जिसने पंजाब को एक बड़ा खुशहाल राज्य बना दिया था। इसके बाद अकाली-भाजपा सरकार आई तो प्रॉपर्टी का कारोबार लगातार डाऊन होता चला गया। अब फिर से मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह बने तो लोगों को आशा थी कि प्रॉपर्टी का कारोबार फिर से ऊंचाइयों को छुएगा परन्तु सरकार ने जैसे ही नई पॉलिसी लागू की, उससे प्रॉपर्टी का कारोबार बिल्कुल ठप्प होकर रह गया है। 

यह है नई पॉलिसी
नई पॉलिसी के अनुसार किसी भी कालोनी को रैगुलर करने के लिए पहले कालोनाइजर को और फिर प्लाट होल्डर को फीस भरनी पड़ेगी। उसी कालोनी को रैगुलर किया जाएगा, जिसका कम से कम 25 प्रतिशत एरिया बना हो और 35 प्रतिशत जगह सड़कों, पार्कों के लिए छोड़ी गई हो और कम से कम 30 फुट सड़कें चौड़ी हों। जिस कालोनी का एरिया 25 से 50 प्रतिशत तक बना हुआ है, उसकी नई पॉलिसी अनुसार और भी मुसीबत है।

 

नई पालिसी के अनुसार प्लाट होल्डरों को सुविधाएं देने के लिए खाली प्लाटों का प्रयोग सड़कें चौड़ी करने, पार्कों, वाटर सप्लाई और सीवरेज की सुविधाएं देने के लिए किया जाए। पिछली सरकार ने कालोनियों को 2 श्रेणियों में बांटा था। एक 2007 से पहले वाली और एक बाद वाली। अब 3 हिस्सों में बांटा गया एक 10 साल से ज्यादा पुरानी उसमें कालोनाइजर को कलैक्टर रेट का आधा प्रतिशत भरना पड़ेगा, दूसरी श्रेणी में 4 से 10 साल वाली जिसमें कलैक्टर रेट का 2 प्रतिशत भरना पड़ेगा।  तीसरी श्रेणी में 4 साल से कम वाली कालोनियों को रखा गया है, जिन्हें रैगुलर करने के लिए 6 प्रतिशत कलैक्टर रेट भरना पड़ेगा। सरकार की तरफ से एक निर्धारित समय दिया गया है, उसके बाद जो प्लाट और कालोनियां रैगुलर नहीं होंगी, उनके बिजली और पानी के कनैक्शन काट दिए जाएंगे। 

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