पंजाब की सबसे बड़ी विरासती सैंट्रल स्टेट लाइब्रेरी की इमारत बनती जा रही खंडहर
punjabkesari.in Monday, Oct 07, 2019 - 04:35 PM (IST)
पटियाला(बलजिन्द्र, राणा): कभी अपने ज्ञान भंडार के लिए पूरे पंजाब में जानी जाती सैंट्रल स्टेट लाइब्रेरी की इमारत अब एक खंडहर बनती जा रही है। यदि यही रफ्तार रही तो आने वाले समय में इसके अस्तित्व को भी खतरा पैदा हो सकता है। हालांकि जब मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह की सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया तो उसमें सैंट्रल स्टेट लाइब्रेरी के लिए 5 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया गया था, परन्तु आज तक यह ऐलान ही रहा है।
सैंट्रल स्टेट लाइब्रेरी को हालांकि समय का साथी बना कर रखने की जरूरत थी। जरूरत थी कि इसको आधुनिक बना कर ई-लाइब्रेरी में तबदील करे जहां इसकी विरासत को संभाल कर रखा जाता, वहीं इसको हाईटैक युग में विद्यार्थियों और लोगों के लिए लाभदायक बनाया जाता, परन्तु दोनों में से कुछ भी न हो सका। इमारत का विरासती घंटा घर बंद हो चुका है, इमारत की हालत खराब है और यहां बना आडिटोरियम अपनी बदतर हालत की कहानी खुद बयान कर रहा है। लाइब्रेरी में नई किताबों जैसी कोई चीज नहीं है और न ही बैठ कर पढ़ने के लिए उचित माहौल है।
1955 में बनी थी लाइब्रेरी
पैप्सू सरकार के समय सैंट्रल लाइब्रेरी का नींव पत्थर 1 फरवरी 1955 को पैप्सू के मुख्यमंत्री वृषभान ने रखा और इस का उद्घाटन 23 जुलाई 1956 को पंजाब के गवर्नर सी.पी.एन. सिंह ने किया था। विरासती इमारत के तौर पर सैंट्रल लाइब्रेरी की अपनी अलग पहचान है। किसी समय इस लाइब्रेरी में सभी सुविधाएं और स्टाफ था, परन्तु आज लाइब्रेरी आॢथक पक्ष से पिछड़ कर रह गई है। सैंट्रल लाइब्रेरी में बने हाल का प्रयोग अलग-अलग संगठनों द्वारा अपने समागमों के लिए किया जाता है।
इस हाल में शैक्षिक संस्थानों के लिए समाज सेवी संस्थाओं की तरफ से सैमीनार, सांस्कृतिक, धार्मिक, नाटक और समाज को जागरूक करने के लिए अन्य प्रोग्राम बड़े स्तर पर बुक होते हैं। यह हाल लाइब्रेरी की आमदन का साधन भी बना हुआ था। आज हाल की छतों, पंखों, ए.सी. और अन्य उपकरणों की हालत खस्ता हो चुकी है और दर्शकों के बैठने वाली कुॢसयां टूट रही हैं। सफाई पक्ष से अंदर से बदबू आ रही है। सूत्रों से पता लगा है कि बहुत ही कम समागम इस हाल में बुकिंग के लिए आते हैं।