यूनिवर्सिटी की मुख्य नॉन टीचिंगपोस्टों पर अध्यापकों का कब्जा

punjabkesari.in Monday, May 28, 2018 - 01:51 PM (IST)

पटियाला/रखड़ा(राणा): वित्तीय संकट के साथ जूझ रही पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के अध्यापकों को टीचिंगकी बजाय नॉन टीचिंगकार्यों के साथ प्रेम है। यही कारण है कि यूनिवर्सिटी की सभी मुख्य नॉन टीचिंगपोस्टों पर यूनिवर्सिटी के अध्यापकों ने कब्जा किया हुआ है, जिसके कारण जहां यूनिवर्सिटी का प्रशासन सही नहीं चल रहा, वहीं विद्यार्थियोंकी पढ़ाई पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। 

नॉन टीचिंगपोस्टों पर बैठे अध्यापकों को अधिक समय दफ्तरों में देना पड़ता है और वह विद्यार्थियोंके पीरियड कम ही ले सकते हैं। नॉन टीचिंगपोस्टों पर अध्यापकों को बिठाने के कारण जहां यूनिवर्सिटी के नॉन टीचिंगकर्मचारियों में रोष है, वहीं अध्यापकों के पास नॉन टीचिंगकाम का अनुभव न होने के कारण यूनिवर्सिटी को काफी बदनामी का सामना करना पड़ता है। 

सरकार तक पहुंचा नॉन टीचिंगपोस्टों पर अध्यापकों की तैनाती का मुद्दा
यूॢनवर्सिटी के नॉन टीचिंगकर्मचारियों को यूनिवर्सिटी के नियमों की धज्जियां उड़ा कर अध्यापकों को नॉन टीचिंगपोस्टों पर बिठाया जा रहा है। नॉन टीचिंगकर्मचारियों ने पूरी डिटेल बनाकर इस संबंधी मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी सिंडिकेट सदस्यों और यूनिवर्सिटी की फाइनांस कमेटी के सदस्यों को दी है। कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी के आर्थिक  घाटों का एक बड़ा यह कारण है कि नॉन टीचिंगपोस्टों पर अध्यापकों को तैनात किया गया है। अध्यापकों के पास वह प्रशासनिक अनुभव नहीं जो नॉन टीचिंगकर्मचारियों के पास होता है। यदि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार, फाइनांस अफसर, टी.पी.एम. जैसी अहम पोस्टों पर नॉन टीचिंगकर्मचारी हों तो वह यूनिवर्सिटी को वित्तीय संकट में से निकाल सकते हैं। 

क्या नॉन टीचिंगकर्मचारियों को टीचिंगका काम दिया जा सकता है?
यूनिवर्सिटी के नॉन टीचिंगकर्मचारी का कहना है कि बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी के नॉन टीचिंग कर्मचारी, जिनमें क्लर्क, सुपरिंटैडैंट, सहायक रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार शामिल हैं, उनमें से कइयों ने पीएच.डी. और नैट क्लीयर किया हुआ है जोकि प्रोफैसर की योग्यताएं पूरी करते हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ऐसे कर्मचारियों को टीचिंगका काम दे सकता है। अगर योग्यताएं पूरी होने के बावजूद भी नॉन टीचिंगकर्मचारियों को अध्यापकों का काम नहीं दिया जा सकता तो फिर नॉन टीचिंगपोस्टों पर अध्यापक क्यों तैनात किए गए हैं?

डेढ़ दशक से शुरू हुआ है यह रुझान
पंजाबी यूनिवर्सिटी में डेढ़ दशक से पहले रजिस्ट्रार, एफ.ओ., कंट्रोलर समेत अन्य अहम नॉन टीचिंगपोस्टों पर नॉन टीचिंगअफसर ही तैनात होते हैं, जिस करके यूनिवर्सिटी का काम सही चलता था पर पिछले डेढ़ दशक से यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलरों ने नॉन टीचिंगकर्मचारियों की पोस्टों पर अध्यापकों को तैनात करने का फार्मूला निकाल लिया है, यही कारण है कि पहले 1-2 नॉन टीचिंगपोस्टों पर अध्यापकों को तैनात करने के बाद अब यह गिनती डेढ़ दर्जन तक पहुंच गई है।

कंट्रोलर पर अध्यापक तैनात होने से बैठा एग्जामिनेशन ब्रांच का भट्ठा
पंजाबी यूनिवर्सिटी की स्थापना से लेकर लंबे समय तक यूनिवर्सिटी की सबसे अहम ब्रांच एग्जामिनेशन व कंट्रोलर नॉन टीचिंगअफसर लगता रहा है। जब तक यह नॉन टीचिंगअफसर तैनात रहे एग्जामिनेशन ब्रांच का काम ठीक चलता रहा पर 2002 के बाद जैसे ही कंट्रोलर की पोस्ट पर प्रोफैसरों ने कब्जा करना शुरू किया तो एग्जामिनेशन ब्रांच का काम दिनों-दिन बद से बदतर होता गया। विद्यार्थियोंके नतीजे लेट होने लगे। इसके अलावा विद्यार्थियोंको एग्जामिनेशन ब्रांच में बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
 

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