पंजाबी यूनिवर्सिटी अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मारने पर तुली

punjabkesari.in Sunday, Apr 22, 2018 - 12:51 PM (IST)

पटियाला (प्रतिभा): पंजाबी यूनिवर्सिटी द्वारा खुद के कॉलेजों को छोड़ छोटे प्राइवेट कॉलेजों में परीक्षा सैंटर बनाने पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। इसे लेकर इम्प्लाइज वैल्फेयर एसो. ने एतराज जताया है। साथ ही मांग की है कि प्राइवेट कॉलेजों में सैंटर बंद करके सरकारी या यूनिवर्सिटी कॉलेजों में ही बनाए जाएं ताकि स्टूडैंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो और हो रही आॢथक लूट भी बंद हो। इसे लेकर कैंपस में हुई बैठक दौरान एसो. प्रधान राजिंदर सिंह राजू ने कहा कि यूनिवर्सिटी अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मारने पर तुली है।

यूनिवर्सिटी के अपने कॉलेजों में 1000-1000 स्टूडैंट्स के लिए बनते हैं परीक्षा सैंटर
यूनिवर्सिटी के अपने कॉलेज माता सुंदरी कॉलेज मानसा व सरकारी कॉलेज नेहरू आदि हैं, जहां 1000-1000 स्टूडैंट्स के लिए परीक्षा सैंटर बनते आ रहे हैं। सालों से यहां सैंटर बनाए जाते रहे हैं पर अब यूनिवर्सिटी अथॉरिटी के साथ सैटिंग करके प्राइवेट छोटे कॉलेजों के मालिकों ने अपने कॉलेजों में परीक्षा सैंटर बना लिए हैं। जबकि इन छोटे सैंटरों में स्टूडैंट्स कम बैठ सकते हैं और इस वजह से ज्यादा सैंटर बनाने पड़ रहे हैं।

ज्यादा सैंटर होने से बढ़ता है यूनिवर्सिटी का खर्च
उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी कॉलेज मूणक की बात करें तो सुबह और दोपहर के सैशन में 1000-1000 स्टूडैंट्स बैठ सकते हैं। जबकि मूणक कॉलेज के नजदीकी प्राइवेट कॉलेजों के मालिकों ने मूणक से सैंटर हटाकर अपने कॉलेजों में बनवा लिए हैं ताकि पेपरों में मनमानी की जा सके और अपने कॉलेजों के स्टूडैंट्स को फायदा पहुंचाया जा सके।इससे यूनिवर्सिटी को ड्यूटीज के लिए सैंटर सुपरिंटैंडैंट, डिप्टी सुपरिंटैंडैंट और अन्य सर्विस स्टाफ ज्यादा लगाना पड़ता है। इससे सैंटर की कंटीजैंसी में बहुत ज्यादा खर्च देना पड़ता है।  अध्यापकों को आने-जाने का टी.ए.-डी.ए. भी अतिरिक्त देना होता है। इसके अलावा कैंपस की तरफ से भेजी जाने वाली गाडिय़ों को भी अधिक सैंटरों में पेपर छोडऩे व लाने, उत्तर कापियां लाने-देने में काफी समय लगता है और खर्च भी ज्यादा आता है।

वी.सी. को इस संबंधी सौंपा गया मांग-पत्र
अगर छोटे कॉलेजों में सैंटर बंद करके बड़े यूनिवर्सिटी कॉलेजों में सैंटर बनाकर पेपर लिए जाएं तो इससे यूनिवर्सिटी को लाखों रुपए की बचत हो सकती है, पर यूनिवर्सिटी प्रशासन अपने निजी हितों को देखते हुए प्राइवेट सैंटरों को बढ़ावा दे रही है और इन्हें बंद नहीं करना चाहती। इससे सरकारी और यूनिवर्सिटी कॉलेजों में पढ़ रहे स्टूडैंट्स को भी धक्का लगता है। इस संबंधी मांग-पत्र वाइस चांसलर, डीन अकादमिक, रजिस्ट्रार, कंट्रोलर एग्जामिनेशन और फाइनांस अफसर को दिया गया है। बता दें कि दिसम्बर-2017 की परीक्षाओं में यूनिवर्सिटी अथॉरिटी के तहत कंट्रोलर एग्जामिनेशन द्वारा यह फैसला लिया गया था कि छोटे प्राइवेट कॉलेजों में सैंटर बनाने बंद होंगे ताकि यूनिवर्सिटी का खर्च बच सके। जिन कॉलेजों में 250 से ज्यादा स्टूडैंट्स के बैठने की कैपेसिटी होगी, वहीं सैंटर बनाने की इजाजत दी जाएगी।

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