PU अथारिटी परेशान, स्टूडैंट्स पर बढ़ाया बोझ

punjabkesari.in Friday, Sep 14, 2018 - 02:54 PM (IST)

पटियाला(प्रतिभा): पंजाबी यूनिवर्सिटी के होस्टलों की मैस में ड्यूज क्लीयर न करके जाने वाले स्टूडैंट्स की वजह से अब सभी होस्टलर्स की जेब पर बोझ बढऩे जा रहा है। हालांकि इसे लेकर अथारिटी ने एक पहल की है और इसके चलते अब मैस की सिक्योरिटी फीस बढ़ाकर दोगुनी के करीब कर दी है। पहले जो फीस 1800 रुपए ली जाती थी, अब वो 3000 रुपए कर दी गई है। वैसे तो देखा जाए, इससे होस्टल अथारिटी को कोई बहुत फायदा नहीं होने वाला क्योंकि यह सिक्योरिटी फीस रिफंडेबल होती है लेकिन नुक्सान की भरपाई करने के लिए यह एक कदम उठाया जा रहा है। ताकि अगर कोई स्टूडैंट मैस के ड्यूज अदा नहीं करता है तो इसके लिए कुछ पैसों की भरपाई तो हो सके।
 

यूनिवर्सिटी में 13 के करीब होस्टल
बता दें कि यूनिवर्सिटी में लड़के और लड़कियों के होस्टल मिलाकर 13 के करीब हैं। वहीं होस्टल नंबर 4 और 5 में ऐसे मामले सामने आए जहां कई स्टूडैंट्स बिना ड्यूज भरे ही चले गए। सबके जाने की वजह अलग-अलग हैं लेकिन इससे हजारों रुपए यूनिवर्सिटी को अपने स्तर पर भरने पड़े। अभी तक मैस सिक्योरिटी फीस 1800 रुपए थी। अगर एक स्टूडैंट ड्यूज भरे बिना जाता है तो यूनिवर्सिटी के खाते में 1800 रुपए तो हैं लेकिन कई बार बिल इससे काफी ज्यादा बने होते हैं तो वो यूनिवर्सिटी खुद के पल्ले से देती है। ज्यादातर मामलों में स्टूडैंट के मैस का खर्च हर महीने 2 हजार रुपए या कई बार इससे ज्यादा भी हो जाता है। 


हर होस्टल में ड्यूज डिफॉल्टर मिले
गौरतलब है कि हर साल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करके या फिर किसी भी कारण से पढ़ाई छोड़कर जाने वाले बहुत से ऐसे स्टूडैंट्स हैं, जोकि मैस का खर्चा देकर नहीं जाते हैं। इससे यूनिवर्सिटी को लगातार नुक्सान हो रहा था। ऐसे में अथारिटी द्वारा एक जांच चलाई गई और इस जांच में यह सामने आया कि हर होस्टल में 4 से 5 स्टूडैंट्स हर साल होस्टल छोड़कर जा रहे हैं और मैस के बनते ड्यूज नहीं दे रहे। ये ड्यूज अलग-अलग रहे हैं, किसी के 4 हजार तो किसी के 5 हजार या कई बार इससे ज्यादा के ड्यूज भी शामिल हैं। इस वजह से होस्टलों को आर्थिक नुक्सान हो रहा है क्योंकि इसकी भरपाई यूनिवर्सिटी अथारिटी को करनी पड़ रही है। इस वजह से यह फैसला लिया गया कि सिक्योरिटी फीस बढ़ाई जाए।


कुछ हल निकालना जरूरी था : प्रोवोस्ट
प्रोवोस्ट डा. निशान सिंह ने कहा कि क्योंकि इस तरह के मामले बढ़ रहे हैं कि स्टूडैंट्स मैस के बिल देकर नहीं जा रहे थे। इसलिए कुछ हल निकालना जरूरी था। इस वजह से अथाॉरिटी को यह फैसला लेना पड़ा और सिक्योरिटी फीस बढ़ाई गई।
 

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