रजिस्ट्रियां बंद, 8000 प्लाट होल्डर हो रहे परेशान

punjabkesari.in Monday, Jul 16, 2018 - 11:17 AM (IST)

पटियाला (बलजिन्द्र): सरकार की तरफ से पटियाला में पिछले कई महीनों से रजिस्ट्रियां बंद करने के बाद जहां मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह के जिले के 8000 के लगभग प्लाट होल्डर परेशान हो रहे हैं, वहीं सरकार को भी प्रतिदिन लाखों रुपए के रैवेन्यू का नुक्सान हो रहा है। हालात यह हैं कि न तो नई पॉलिसी अनुसार कोई कालोनाइजर अपनी कालोनी को रैगुलर करवा रहा है और न ही सरकार प्लाट होल्डरों का हाथ थाम रही है, क्योंकि नई पॉलिसी के अनुसार प्लाट होल्डर तभी अपने प्लाट को रैगुलर करवा सकते हैं जब तक कालोनाइजर नई पॉलिसी के अनुसार अपनी फीस जमा नहीं करवा देता।

दूसरी तरफ कालोनाइजरों की तरफ से घोषणा कर दी गई है कि वे सरकार की इस नई नीति के अनुसार किसी भी कीमत पर अपनी कालोनी को रैगुलर नहीं करेंगे, जिसका खमियाजा सीधे तौर पर प्लाट होल्डरों को भुगतना पड़ रहा है।हालात यह हैं कि सरकार को रैवेन्यू का भी नुक्सान हो रहा है और प्लाट होल्डरों की लाखों रुपए की खून पसीने की कमाई मिट्टी होकर रह गई है। न प्लाट होल्डरों की कोई कालोनाइजर सुन रहा है और न ही सरकार। जिन लोगों ने लाखों रुपए खर्च करके यह प्लाट खरीदे थे, अब वे अपना घर भी नहीं बना सकते, जिस करके लोग बेहद मानसिक परेशानी में हैं। जिस तरह सरकार का नई पॉलिसी प्रति रवैया है और कालोनाइजर अपनी बात पर अड़े हुए हैं, इसका जल्दी हल भी निकलता नजर नहीं आ रहा।


पटियाला में सरकार को प्रतिदिन पड़ रहा है 50 से 60 लाख रुपए रैवेन्यू का घाटा
रजिस्ट्रियां बंद होने के कारण पंजाब सरकार को भी अकेले पटियाला जिले में प्रतिदिन 50 से 60 लाख रुपए का घाटा पड़ रहा है क्योंकि जहां पहले प्रतिदिन 100 के लगभग औसत रजिस्ट्रियां होती थीं, वह घट कर 10 से 15 रह गईं। जिनसे सिर्फ  20 लाख के लगभग ही रैवेन्यू सरकार के खजाने में जमा हो रहा है।यदि पिछले 6 महीनों की बात की जाए तो अब तक अकेले पटियाला से 3 करोड़ रुपए से ’यादा का घाटा पड़ चुका है। यदि यही हालात रहे तो सरकार को भविष्य में भी बड़े रैवेन्यू के नुक्सान से इंकार नहीं किया जा सकता।


पटियाला जिले में 8 हजार के लगभग प्लाट होल्डर
पटियाला जिले में 8 हजार के लगभग प्लाट होल्डर हैं। जिले में अनुमानित 900 के लगभग कालोनियां हैं, जिनमें 8000 प्लाट होल्डर हैं जोकि सरकार की सुस्त नीति का खमियाजा भुगत रहे हैं। प्लाट होल्डरों को समझ नहीं आ रहा कि आखिर वे किसको जाकर अपना दर्द सुनाएं क्योंकि वे सरकार और कालोनाइजरों में पिस रहे हैं।


क्या है नई पॉलिसी
नई पॉलिसी के अनुसार किसी भी कालोनी को रैगुलर करने के लिए पहले कालोनाइजर और फिर प्लाट होल्डरों को फीस भरनी पड़ेगी। उस कालोनी को ही रैगुलर किया जाएगा, जिसका कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा बना हो और 35 प्रतिशत जगह सड़कों, पार्कों के लिए छोड़ी गई हो। कम से कम 30 फुट सड़कें चौड़ी हों। जिस कालोनी का एरिया 25 से 50 प्रतिशत तक बना हुआ है, वह भी नई पॉलिसी के अनुसार ही रैगुलर होगी। पिछली सरकार ने कालोनियों को 2 श्रेणियों में बांटा था। 2007 से पहले वाली और दूसरी श्रेणी में 2007 के बाद वाली। अब 3 श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में 10 साल से ’यादा पुरानी, जिसमें कालोनाइजर को कलैक्टर रेट का आधा प्रतिशत भरना पड़ेगा, दूसरी श्रेणी में 4 से 10 साल की कालोनियों को रखा गया है, जिसमें कलैक्टर रेट का 2 प्रतिशत भरना पड़ेगा, तीसरी श्रेणी में 4 साल से कम वाली कालोनियों को रखा गया है, जिनको रैगुलर करने के लिए 6 प्रतिशत कलैक्टर रेट भरना पड़ेगा। सरकार की तरफ से एक निर्धारित समय दिया गया है, उसके बाद कोई भी प्लाट और कालोनी रैगुलर नहीं की जाएगी और उनके बिजली और पानी के कनैक्शन काट दिए जाएंगे।


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