मैजिस्ट्रेट के जाली हस्ताक्षर करने के बड़े घोटाले का पर्दाफाश

punjabkesari.in Thursday, Mar 01, 2018 - 04:09 AM (IST)

जालंधर(पुनीत): आर.सी. के लिए आवेदन करने हेतु मैजिस्ट्रेट के जाली हस्ताक्षर करने व सरकारी मोहरों के गलत इस्तेमाल के बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है जिसमें आने वाले समय में कइयों पर गाज गिर सकती है। पिछले दिनों आर.टी.ए. दफ्तर में विजीलैंस की रेड हुई थी जिसे लेकर पिछले कई दिनों से दस्तावेजों की चैकिंग चल रही है। इसी मामले में आज विजीलैंस की टीम मैजिस्ट्रेट तहसीलदार-1 करणदीप सिंह भुल्लर के दफ्तर पहुंची जहां इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। आर.सी. आवेदन वाली फाइलों में हुए मैजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर व मोहर लगे दस्तावेज लेकर टीम जब तहसीलदार-1 करणदीप सिंह भुल्लर के कार्यालय पहुंची तो पता चला की उक्त हस्ताक्षर फर्जी हैं।  


आवेदनकत्र्ताओं पर भी गिरेगी गाज
आर.सी. से संबंधित फाइल को आर.टी.ए. दफ्तर में जमा करवाते समय एक एफीटेविड देना पड़ता है जिस पर मैजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर होने के साथ-साथ मोहरें लगाई जाती है। विजीलैंस की चैकिंग के दौरान जिन फाइलों में जाली मोहरें व जाली हस्ताक्षर पाए जा रहे हैं, वे बड़ी मुश्किल में फंसने वाले हैं। सरकारी मोहरों का गलत इस्तेमाल करने वाले लोगों पर गाज गिर सकती है और उन्हें हवालात की हवा भी खानी पड़ सकती है। 

विजीलैंस ने खाली कागजों पर लगवाई मोहरें
जांच को आगे बढ़ाने के लिए विजीलैंस की टीम द्वारा तहसीलदार-1 के कार्यालय में पहुंच कर उनकी मोहरें खाली कागज पर लगवाई गई हैं ताकि बाकी फाइलों पर लगी मोहरों की जांच आसान हो सके। अधिकारियों का कहना है कि तहसीलदार कार्यालय से ली गई मोहरों से अन्य फाइलों की जांच आसान होगी और बार-बार उन्हें तहसीलदार कार्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। इस संबंध में अन्य कुछ दस्तावेज भी विजीलैंस द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे हैं ताकि जांच में और तेजी लाई जा सके। 

हमारे दफ्तर के नहीं हैं हस्ताक्षर : तहसीलदार
इस संबंध में तहसीलदार-1 करणदीप सिंह भुल्लर से बात की गई तो उनका कहना था कि जो दस्तावेज लेकर विजीलैंस की टीम आई थी, उस पर न तो उनके हस्ताक्षर थे और न ही नायब तहसीलदार के। टीम ने जो भी जानकारियां मांगी हैं उन्हें मुहैया करवा दी गई है और आने वाले दिनों में भी टीम द्वारा जो सहयोग उनसे मांगा जाएगा वह उन्हें मुहैया करवा दिया जाएगा। जिन मोहरों का इस्तेमाल एफीडेविट पर हुआ है, वे मोहरें भी उनके दफ्तर से संबंधित नहीं हैं।  


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