अनेक कमियों व समस्याओं से जूझ रहे गांव बाम पर कब होगी सरकार की मेहर

punjabkesari.in Monday, May 07, 2018 - 10:48 AM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): जिला श्री मुक्तसर साहिब का गांव बाम इस समय अनेक कमियों व समस्याओं से जूझ रहा है। यदि देखा जाए तो गांव वासी प्राथमिक सुविधाओं से भी वंचित हैं तथा आजादी के 70 साल बीत जाने के बावजूद भी गांव वासियों को अभी तक कोई सुख-सुविधा नहीं मिली है।

राजनीतिक पक्ष से मजबूत व सरमाएदारों के गांव के रूप में जाना जाता उक्त गांव विकास कार्यों में बिल्कुल शून्य साबित हो रहा है। गांव की आबादी 5,000 के करीब है तथा लगभग 3,000 वोटर हैं जबकि जमीन का रकबा 5,200 एकड़ के करीब है। गांव वासी भी इसी बात पर हैरान हैं कि राज्य सरकार व राजनीतिज्ञों ने अभी तक गांव के विकास कार्यों की तरफ नजर क्यों नहीं मारी जबकि सारा गांव परेशानी झेल रहा है। स्वच्छ भारत मुहिम की लहर का असर भी इस गांव में कभी भी दिखाई नहीं देता, क्योंकि साफ-सफाई कहीं पर नहीं है। बाम गांव के मसलों व समस्याओं को लेकर ‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस सप्ताह की यह विशेष रिपोर्ट तैयार की गई है। 

जलघर पर खर्च किए 1 करोड़ 75 लाख लेकिन स्थिति जस की तस 
गांव निवासियों चरणजीत सिंह बाम, जगदेव सिंह बाम, शमिंदरजीत सिंह, जगमीत सिंह, दिलबाग सिंह व रछपाल सिंह आदि ने बताया कि चाहे सरकार ने 3 वर्ष पहले गांव के जल घर के नवीनीकरण के लिए 1 करोड़ 75 लाख रुपए खर्च किए थे लेकिन फिर भी स्थित जस की जस है। जिस ढंग से आधुनिक सुविधा वाला यह शुद्ध पानी वाला जलघर बनना चाहिए था वह नहीं बना। जिस कारण समस्त गांव वासियों को पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिल रहा। जल घर में पानी फिल्टर करने के लिए फिल्टर ही नहीं लगाए गए तथा जिस तरह का गंदा पानी आकर डिग्गियों में पड़ता है वह पानी की सीधा लोगों के घरों तक टूटियों के जरिए सप्लाई हो रहा है तथा गांव वासी गंदा पानी पीने को मजबूर हैं क्योंकि उक्त गांव में भूमिगत जल भी खारा है।

गांव के बाहरी साइड पर जो पानी की टैंकी अलग बनाई है उसके लिए भी वहीं पानी वाले टैंक बनाए जाने चाहिएं जबकि अब मेन जलघर में ही उस टैंकी में पाइप कनैक्शन दिया गया है। वैसे भी मेन जलघर का सफाई पक्ष से बेहद बुरा हाल है तथा पानी वाली डिग्गियां के साथ रूडिय़ों के ढेर लगे हैं। गांव वासियों का कहना है कि गंदे पानी से लोगों को बीमारियां लगेंगी। यह भी पता चला है कि जलघर का 45 लाख रुपए के करीब बिजली का बिल बकाया है। 

लड़कियों का स्कूल सिर्फ 5वीं तक
गांव में शिक्षा का भी बुरा हाल है तथा अभी तक यहां लड़कियों के पढऩे के लिए सिर्फ 5वीं तक ही स्कूल है। लड़कियों के स्कूल की एक तरफ वाली बिल्डिंग को कंडम करार दिया हुआ है। लेकिन फिर भी और कमरे न होने के कारण लड़कियों को कंडम कमरों में ही बैठाया जाता है। पीने वाले पानी का हाल बेहद बुरा है। आर.ओ. वाला पानी बच्चों को मिलता ही नहीं तथा जल घर का पानी अब आ नहीं रहा जिस कारण बच्चे अपने घर से पानी की बोतलें लाते हैं। स्कूल में 14 अध्यापकों के पद हैं जबकि मुख्याध्यापक सहित 6 पद खाली पड़े हैं। प्राइमरी स्कूल का मुख्याध्यापक भी नहीं है। लड़कियों के स्कूल में 144 बच्चे हैं जबकि प्राइमरी स्कूल में 210 बच्चे हैं। दोनों ही स्कूलों की इमारतों की हालत खस्ता है।

Anjna