वर्ष 2050 तक देश में जल संकट पैदा होने की संभावना

punjabkesari.in Monday, May 21, 2018 - 01:39 PM (IST)

बस्सी पठाना (राजकमल): संसार के हर एक प्राणी का जीवन आधार पानी ही है, परंतु इंसान अपनी सेहत, सुविधा, दिखावे और झूठी शान के लिए अमूल्य पानी की बर्बादी करने से नहीं चूक रहा है।
पानी का इस्तेमाल करते हुए हम पानी की बचत के बारे में जरा भी नहीं सोचते जिसके फलस्वरूप कई राज्यों में जल संकट के हालात पैदा हो चुके हैं। अगर इंसान अपनी आदतों में थोड़ा-सा भी बदलाव कर ले तो पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है।

बस जरूरत है, मजबूत इरादे और उस पर गंभीरता से अमल करने की, क्योंकि पानी है तो हमारा जीवन है। पंजाब में पानी की बर्बादी के कारण जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। कई सरकारी और निजी नलों के खराब होने, सप्लाई लाइन में लीकेज समस्या पैदा होने तथा घरों व धार्मिक स्थलों में पानी की टंकियों के ओवरलोड होने पर मोटर जल्द बंद न करने से कीमती पानी बहता रहता है जिसे देखकर भी अक्सर इंसान अनदेखा कर जाते हैं और मामूली-सी कीमत वाले नए नल लगाने की हिम्मत नहीं दिखाते। बस्सी पठाना में भी कई स्थानों पर पानी की बर्बादी हो रही है। यदि यह सिलसिला इसी तरह से चलता रहा तो जहां जमीनें बंजर हो जाएंगी वहीं लोग पानी के लिए माथे पर हाथ मारते नजर आएंगे। क्योंकि कई राज्यों में ऐसी स्थिति पैदा हो चुकी है और लोग कई किलोमीटर रोजाना पैदल जाकर पानी लेकर आने के लिए मजबूर हैं।

आदतों में बदलाव कर बचाया जा सकता है 80 प्रतिशत पानी
अगर व्यक्ति अपनी आदतों में बदलाव करता है तो 80 प्रतिशत से भी अधिक पानी बचाया जा सकता है। यदि हर इंसान तमाम नहीं कुछ ही आदतें बदल ले तो भी 15 प्रतिशत पानी की बचत करना संभव है। बूंद-बूंद की बचत से बड़ी बचत हो सकती है। पानी की बचत एक लाजिमी आवश्यकता बन चुकी है क्योंकि वर्षा जल हर समय उपलब्ध नहीं रहता। एक अनुमान के मुताबिक संसार में 350 मिलियन क्यूबिक के करीब पानी 10 साल पहले था जोकि लगातार घटता जा रहा है। भविष्य में हालात ऐसे हो जाएंगे कि पानी के लिए लोग तरसते नजर आएंगे।

कई नदियों में पानी की मात्रा हो चुकी है कम
पानी की बचत बहुत जरूरी है जिससे जल संकट को खत्म किया जा सके। हमारे देश में कई नदियों में पानी की मात्रा कम हो चुकी है जिस कारण जल संकट खड़ा हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान के अनुसार भारत में वर्ष 2050 तक सभी नदियों में जल संकट के हालात पैदा होने की पूरी संभावना है परंतु लोग पानी की बचत को प्राथमिकता नहीं दे रहे। देश के कई राज्यों के लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, परंतु पंजाब में कई लोग ऐसे हैं जो रोजाना अपनी गाडिय़ां व अन्य कई वाहन सबसर्मिबल चलाकर धो रहे हैं। उन्हें चाहिए कि यदि अपने वाहन धोने हैं तो बाल्टी में पानी भर कर धोएं इससे वे काफी मात्रा में पानी बचा सकते हैं।

पानी की कीमत भी पहुंच जाएगी पैट्रोल की कीमतों के बराबर
विश्व के कई देशों में ऐसा जल संकट है कि वहां तेल सस्ता और पानी महंगा मिलता है। अब तो देश में भी पानी की बोतल 20-25 रुपए की मिल रही है। यदि मनुष्य ने पानी की बचत को अहमियत नहीं दी तो ऐसा जल संकट पैदा हो जाएगा कि भारत में भी पानी की कीमत पैट्रोल की कीमतों तक पहुंच जाएगी। कई इलाके ऐसे भी हैं जहां शुद्ध पीने योग्य पानी नहीं है और कुछ हिस्सों में लोग नदियों के पानी पर ही निर्भर हैं। जल सप्लाई विभाग व सरकार की तरफ से समय-समय पर पानी की अहमियत बारे जागरूक किया जा रहा है, परंतु लोगों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा और वे पानी को इस तरह इस्तेमाल  कर रहे हैं जैसे पानी कभी खत्म ही नहीं होगा।

बस जरूरत है इस पर अमल करने की
एक टपकते नल में से प्रति सैकेंड एक बूंद पानी गिरने से एक माह में 760 लीटर पानी व्यर्थ हो रहा है। सीधे नल से नहाने पर 90 लीटर पानी खर्च होता है। हाथ धोने पर नल ठीक ढंग से बंद न करने पर एक मिनट में 30 बूंद पानी और एक साल में 46 हजार लीटर पानी व्यर्थ चला जाता है। पाइप से बाग-बगीचे की सिंचाई करने, प्रैशर द्वारा कार धोने, सब्जियों को कई बार धोने, खेतों में नहर अथवा पाइप से सिंचाई करने, शौचालयों, यूरिनल व सार्वजनिक नलों में से बहते पानी कारण बहुत पानी की बर्बादी हो रही है। 

ड्रिप सिंचाई प्रणाली से सिंचाई करने, छोटे गिलासों में पानी पीने, कम रिसाव वाले मटों का प्रयोग करने, लॉन, पौधों आदि में शाम को ही पानी देने, समर्थ कपड़े होने पर ही वॉशिंग मशीन का प्रयोग करने, सब्जियां किसी टब या बर्तन में धोने, फ्लश टैंक में व्यर्थ पानी का प्रयोग करने, वाहनों को बाल्टी में पानी लेकर धोने, शॉवर की बजाए बाल्टी व मग से नहाने, बर्फ के टुकड़े को किसी पौधे या लॉन में रखने, ब्रश व मुंह आदि धोते समय लगातार नल न चलाने आदि उपायों से पानी की बचत हो सकती है, बस जरूरत है इस पर अमल करने की।
 

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