आयुष्मान योजना के तहत 1 करोड़ का घोटाला, 4 निजी अस्पतालों की मान्यता रद्द

punjabkesari.in Monday, Jan 11, 2021 - 10:19 AM (IST)

अमृतसर (दलजीत): जिले में अभी एच.ई.एस.एच. घोटाले का मामला ठंडा नहीं पड़ा कि अब आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना का 1 करोड़ रुपए का नया घोटाला सामने आया है। सेहत विभाग ने इस घोटाले में शामिल 4 प्राइवेट अस्पतालों को योजना से बाहर निकाल दिया है तथा जिले के 87 प्राइवेट अस्पतालों के रिकॉर्ड की जांच के आदेश दे दिए हैं। कुछ प्राइवेट अस्पताल ऐसे थे जो फर्जी मरीज दिखाकर सरकारी राशि को चूना लगा रहे थे।
केंद्र व पंजाब सरकार द्वारा आम जनता की सुविधा के लिए आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना अमल में लाई गई है। योजना के तहत संबंधित परिवार 5 लाख रुपए तक का इलाज सरकारी तथा गैर-सरकारी अस्पतालों में करवा सकता है। सेहत विभाग के अनुसार घोटाले में निजी अस्पतालों में मीरांकोट स्थित वर्मा अस्पताल, छहर्टा गुरु की वडाली स्थित मनु अरोड़ा अस्पताल, संधू लाइफ केयर सहित न्यू लाइफ अस्पताल शामिल हैैं। विभाग की इन अस्पतालों पर लगातार नजर थी। विभाग की टीमें समय-समय पर अस्पतालों का निरीक्षण करती रही हैं। 

विभाग के अनुसार सभी दस्तावेजों के सबूत सामने आने के बाद ही यह घोटाला पकड़ा गया है। अमृतसर में सिविल सर्जन के पद पर अभी कुछ ही दिन पहले डा. चरणजीत सिंह तैनात हुए हैं तथा यह घोटाला उनके कार्यकाल से पहले सामने आने के बाद वह अब पदभार संभालते ही मामले को गंभीरता से ले रहे हैं तथा उनके द्वारा योजना के तहत शामिल किए गए जिले के 87 प्राइवेट अस्पतालों के दस्तावेजों की दोबारा जांच के लिए विशेष टीम का गठन कर दिया गया है।

पत्नी के नाम पर फर्जी कार्ड बनवा कर किया एडमिट
सिविल सर्जन डा. चरणजीत ने बताया कि मनु अरोड़ा अस्पताल के संचालक ने अपनी पत्नी का फर्जी कार्ड बनवाकर उसे एडमिट किया था। उसकी पत्नी बीमार नहीं थी, जब टीम यहां जांच करने पहुंची तो रिकार्ड में पूनम अरोड़ा का नाम देखकर मरीज के बारे में पूछा। इस दौरान बताया गया कि मरीज को एम.आर.आई. करवाने भेजा है। जब टीम ने मामले की गहनता से जांच की तो स्पष्ट हुआ कि पूनम अरोड़ा तो अस्पताल के संचालक डा. मनु अरोड़ा की पत्नी हैं। उसने फर्जी कार्ड तैयार करवाकर ऐसा करने का प्रयास भी किया, पर सफल नहीं हुआ। 

अस्पताल में सर्जन नहीं था, पर फिर भी कर दी गई सर्जरी
सिविल सर्जन डा. चरणजीत ने बताया कि न्यू लाइफ अस्पताल में सर्जन नहीं था तथा योजना के तहत पैनल में दर्शाए गए डॉक्टरों में भी सर्जरी करने वाला डाक्टर शामिल नहीं था। इसके बावजूद रिकार्ड में मरीज का आपे्रशन दर्शाया जा रहा था। जब सर्जन ही नहीं तो सर्जरी कैसी? 

मरे हुए मरीज को आई.सी.यू. में रखकर दिखाया उपचार
सिविल सर्जन डा. चरणजीत ने बताया कि संधू लाइफ केयर अस्पताल में मरे हुए मरीज को आई.सी.यू. में रखकर उपचार दिखाया जा रहा था। मरीज की एक दिन पहले ही मौत हो गई थी, जबकि उसका मौत के बाद भी क्लेम किया गया था। इस मामले की संक्षेप रिपोर्ट बनाकर चंडीगढ़ भेजी गई है और विभाग ने इनकी आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना की मान्यता रद्द कर दी है।

मरीज नहीं था, फिर भी कागजों में किया जा रहा था इलाज
सिविल सर्जन डा. चरणजीत ने बताया कि वर्मा अस्पताल में मरीज नहीं था परंतु कागजों में उसका इलाज किया जा रहा था। विभाग की टीमों द्वारा इस मामले का खुलासा किया गया था तथा उसके बाद कार्रवाई की गई है। सिविल सर्जन के अनुसार निजी अस्पतालों में फेक कार्ड तैयार करवाए जा रहे हैं। इससे सरकार को भारी नुक्सान हो रहा है। यह योजना उन लोगों के लिए है, जो आर्थिक दृष्टि से बेहद कमजोर हैं। इन्हें चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 5 लाख रुपए का मैडीकल कवर दिया जाता है। 

ई.सी.एच.एस. घोटाले में 16 डॉक्टरों सहित 24 लोगों पर दर्ज हो चुका है मामला
गौरतलब है कि पिछले वर्ष ई.सी.एच.एस. घोटाला भी उजागर हुआ था। इसके पूर्व सैनिकों के फर्जी कार्ड तैयार करवाकर मरीजों का उपचार किया जा रहा था। कई अस्पताल तो मरीज के उपचार के बगैर ही सरकार से क्लेम ले रहे थे। इस मामले में जिला पुलिस ने शहर के 16 डाक्टरों सहित 24 लोगों पर केस दर्ज किया था।

सरकारी पैसों का दुरुपयोग करने वालों पर सख्ती होगी सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह ने कहा कि शहर के सभी 87 अस्पतालों की पुन: जांच करवाई जाएगी। इस योजना में घोटाला करने वाले अस्पतालों की मान्यता रद्द होगी। सरकार के पैसे का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ सख्ती की जाएगा। वह खुद अस्पतालों में जाकर चैकिंग करेंगे। 

Tania pathak