यंग फोटोग्राफर अर्शदीप सिंह ने जीता फोटोग्राफर ऑफ द ईयर 2019 अवार्ड

punjabkesari.in Friday, Aug 02, 2019 - 12:30 PM (IST)

जालंधर(खुशबू): भारत के यंग फोटोग्राफर अर्शदीप सिंह ने इस साल दोबारा जूनियर एशियन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर ऑफ  द ईयर 2019 का टाइटल हासिल किया है। यह अवार्ड उन्हें कपूरथला में क्लिक की गई महोख की फोटो के लिए मिला है।

इस फोटो के लिए उन्हें नवम्बर में टोक्यो (जापान) में स्पैशल अवार्ड देकर सम्मानित किया जाएगा। जालंधर के रहने वाले 11 साल के अर्शदीप सिंह ने पिछले साल भी वाइल्ड लाइफ  फोटोग्राफर ऑफ  द ईयर 2018, यंग कॉमेडी वाइल्ड लाइफ ऑफ  द ईयर 2018, जूनियर एशियन वाइल्ड लाइफ  फोटोग्राफर ऑफ  द ईयर 2018 अवॉर्ड जीता था। इससे पहले उल्लू की फोटो ने उन्हें 3 अवार्ड दिलाए थे। अर्शदीप ने बताया कि जब वह कपूरथला गए थे तब उन्होंने रास्ते में कई बार यह पक्षी देखा था। यह पक्षी शांत होने के साथ काफी शर्मीला भी होता है। उस समय काफी देर तक प्रतीक्षा करने के बाद मैंने यह फोटो क्लिक की थी।

5 साल की आयु में शुरू की फोटोग्राफी 
अर्शदीप सिंह का जन्म 3 दिसम्बर, 2007 को हुआ था। 5 साल की उम्र में ही उन्हें वाइल्ड लाइफ  फोटोग्राफी का शौक पड़ा था। उन्होंने बताया कि वह 3 साल के थे जब उनके पिता उन्हें अपने साथ फोटोग्राफी पर ले जाते थे, तब वह उनके कैमरे को देखते। 5 साल की उम्र में उनके बर्थ डे पर उनके पिता ने उन्हें पहला कैमरा गिफ्ट किया। उसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने कैमरा सीख कर फोटोग्राफी शुरू की।

पिता ही हैं गुरु 
अर्शदीप ने फोटोग्राफी के गुण अपने पिता रणदीप सिंह से सीखे हैं। स्पीडवेज टायर्स के ऑनर रणदीप सिंह खुद भी एक फोटोग्राफर हैं। उन्होंने 11 साल की उम्र में फोटोग्राफी करनी शुरू की थी। जब उन्होंने फोटोग्राफी शुरू की थी तब यहां बहुत ही कम लोगों के पास कैमरा होता था। वह कोशिश करते हैं कि वह खुद ही रणदीप को फोटोग्राफी के बारे में बताएं। उन्हें इसके टिप्स दें। वह जब भी कहीं बाहर जाते हैं अर्शदीप को साथ ले जाते हैं। वह दोनों साथ मिलकर फोटोग्राफी करते हैं।

वाइल्ड लाइफ  फोटोग्राफी में करना पड़ता है काफी इंतजार 
अर्शदीप ने बताया कि वाइल्ड लाइफ  फोटोग्राफी के दौरान उन्हें काफी इंतजार करना पड़ता है। जंगली जानवरों की फोटो करते समय डर लगता है, लेकिन अगर उन्हें तंग न किया जाए तो वह कुछ नहीं कहते हैं। उन्होंने बताया कि जब वह अपने पिता के साथ फोटोग्राफी पर जाते थे, घंटों एक फोटो के लिए इंतजार करते थे। उन्हें देख कर धीरे-धीरे वह भी अ‘छी फोटो के लिए वेट करना सीख गए हैं। इसमें बाकी फोटोग्राफी के मुकाबले फोटो क्लिक करने का एक ही मौका मिलता है।

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