30 मीटर टैलिस्कोप बयां करेगी दूसरे ग्रहों पर जीवन की असलियत

punjabkesari.in Sunday, Jan 06, 2019 - 01:19 PM (IST)

जालंधर। धरती के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर जीवन है, इसकी खोज में वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से जुटे हुए हैं। शायद संसाधनों और आधुनिक तकनीक के अभाव में शायद अब तक वे पता नहीं लगा पा रहे थे कि किसी दूसरे ग्रह पर जीवन है कि नहीं। जबकि अब अति आधुनिक परिवेश में वो दिन दूर नहीं है जब सभी ग्रहों की पूर्ण जानकारी विश्व के जानेमाने वैज्ञानिक जुटा लेंगे। इस दिशा में भारत समेत अमेरीका, जापान, चीन व कनाडा के वैज्ञानिक इंटरनेशनल प्रोजेक्ट के तहत थर्टी मीटर टैलिस्कोप (टीएमटी) निर्मित कर रहे हैं। भारत में इस टैलिस्कोप का एक हिस्सा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आइआइए) बंगलुरू में तैयार किया जा रहा है। 15 हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट के जरिए यह भी पता लगाना संभव हो पाएगा कि धरती पर जीवन कब शुरू हुआ था, और इसका अंत कब होगा। इस तकनीक को जालंधर में चल रही 106वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में प्रदर्शित किया गया। 

प्रोजेक्ट पर भारत के होगें 1500 करोड़ खर्च...

थर्टी मीटर टैलिस्कोप की प्रोजेक्ट साइंटिस्ट डॉ. रम्या सेतुराम ने बताया कि अभी तक की वैज्ञानिक खोज के मुताबिक 116 ग्रहों का पता चल पाया है। सर्वविदित है कि मंगल ग्रह पर पानी के अंश मिलने के बाद वहां पर जीवन होने की संभावानाएं जताई जाती रही हैं। अब इन संभावानाओं की तस्वीर टीएमटी साफ कर देगा। डॉ. रम्या ने बताया कि थर्टी मीटर टैलिस्कोप प्रोजेक्ट पर भारत सरकार के 1500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। उन्होंने बताया कि टीएमटी को अमेरिका के हुवाई प्रांत की पर्वत श्रृंखला मोनाकिया में स्थापित किया जाएगा। चूंकि वातावरण के हिसाब से यह जगह बिलकुल अनुकूल है और यहां से आसमान बिलकुल साफ दिखाई देता है।

टैलिस्कोप में लगे होंगे 492 मिरर...

टीएमटी में कुल 492 मिरर लगे होंगे, जिनमें से 92 मिरर भारत के पास हैं, जबकि अन्य 400 चार देशों के पास हैं। यह टैलिस्कोप हाई रेजोल्यूशन पर ग्रहों की सतह के फोटो खींचने में कामयाब होगी। जिसके माध्यम से गहनता से शोध किया जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट के जरिए यह पता लगाना संभव होगा ही कि किस ग्रह पर जीवन था और उसके समाप्ति के कारण क्या थे। इसी आधार पर यह भी सपष्ट हो जाएगा कि धरती पर जीवन कब शुरू हुआ था और इसका अंत कब होगा। 

Suraj Thakur