युवाओं में बढ़ा विदेशों में सैटल होने का ट्रैंड, इस बार भी 20 हजार करोड़ रुपए चले जाएंगे देश से बाहर

punjabkesari.in Friday, Dec 06, 2019 - 10:36 AM (IST)

जालंधर(सोमनाथ): रोजगार के सीमित साधन और हर किसी के विदेश में सैटल होने की इच्छा के चलते पंजाब के नौजवान लड़के-लड़कियों ने अमरीका, कनाडा, इंगलैंड, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों का रुख किया हुआ है। हर साल पंजाब से करीब डेढ़ लाख स्टूडैंटस के साथ बड़े स्तर पर विदेश में पैसा भी जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले साल देश से 28,600 करोड़ रुपए से अधिक राशि विदेशों में ट्रांसफर हुई और वर्ष 2019-20 में यह राशि 40,000 करोड़ रुपए का आंकड़ा छूने जा रही है, जबकि इससे आधे लगभग 20,000 करोड़ रुपए अकेले पंजाब से दूसरे देशों में फीस के रूप में जाएंगे। इनमें से 7 लाख रुपए के करीब फीस और 5 लाख से अधिक जी.आई.सी. अकाऊंट में जाते हैं।  

अवैध तौर पर काफी राशि हड़प लेते हैं ट्रैवल एजैंट

यह भारी-भरकम राशि तो केवल स्टडी वीजा के लिए विदेशों की यूनिवर्सिटियों और कॉलेजों के खातों में गई है या फिर स्टूडैंट्स एक साल के खर्च के तौर पर साथ लेकर गए हैं इससे कहीं ज्यादा राशि अवैध तौर पर काम कर रहे ट्रैवल एजैंटों द्वारा हड़प ली जाती है। इसका कारण यह है कि हर कोई विदेश जाना चाहता है, चाहे वह कानूनी तौर पर विदेश जाए या गैर-कानूनी तौर पर। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले महीने अमरीका से 145 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया, जिनमें अधिकतर पंजाबी थे। इसी तरह अक्तूबर महीने में 311 भारतीयों को मैक्सिको से भारत डिपोर्ट किया गया जो गैर-कानूनी तौर पर अमरीका में घुसने की तैयारी कर रहे थे। 

 देश में 5 करोड़ अशिक्षित बेरोजगार

बेरोजगारी से देश का कोई कोना अछूता नहीं है। भारत में कुल नौकरियां लगभग 20 से 22 करोड़ हैं। देश की 10 प्रतिशत आबादी यानी लगभग 13 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। उसमें लगभग 8 करोड़ शिक्षित बेरोजगार तथा 5 करोड़ अशिक्षित बेरोजगार युवा हैं। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से लगभग 50 लाख इस बेरोजगारी की कतार में प्रत्येक वर्ष शामिल हो रहे हैं। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से हर साल लाखों स्टूडैंट्स इंजीनियरिंग और मैडीकल की डिग्रियां लेकर निकलते हैं। डिग्री लेने के बाद जब उन्हें अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगता है तो वे विदेश का रुख करते हैं। डिग्रीधारकों को नौकरी नहीं मिलते देख अब प्लस टू के बाद ही अधिकांश स्टूडैंट विदेश जा रहे हैं। 

 

सब पता है सरकारों को 

ऐसा नहीं कि सरकारों को मालूम नहीं कि भारत से नौजवानों के साथ-साथ हर साल अरबों रुपए फीसों के रूप में विदेश जा रहे हैं मगर हालात सरकारों के हाथ से बेकाबू हो रहे हैं। मंदी की मार के चलते निजी कंपनियों में काम करते लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं और अभी भी लाखों के सिर पर छंटनी की तलवार लटक रही है। सरकार सरकारी अदारों से हाथ पीछे खींच रही है। शेयर बेचे जा रहे हैं। इसका उदाहरण हाल ही में बी.एस.एन.एल. से सरकारी हिस्सेदारी निकालने का फैसला है। तेल कंपनियां निजी हाथों में दी जा रही हैं। रेल के निजीकरण का भी शोर मच रहा है। ऐसी स्थिति में हर कोई अपने बच्चों को विदेश में सैटल करने की भाग-दौड़ कर रहा है।   

बच्चे और बुजुर्ग ही नजर आएंगे गांवों में

शहरों की तरह ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़े स्तर पर नौजवान विदेश जाकर बस गए हैं और जो बचे हैं वे भी किसी न किसी रूप से विदेश जाने की तैयारी में हैं। कई गांव तो ऐसे हैं जहां पर हर तीसरे घर को ताला लगा हुआ है। कारण अब इन घरों में रहने वाला कोई नहीं है। विदेश में बसे एन.आर.आई. अपने अभिभावकों को भी विदेश ले गए हैं। ये लोग साल-दो साल बाद पंजाब घूमने आते हैं। गांवों में नजर दौड़ाई जाए तो ज्यादातर बच्चे और बुजुर्ग ही नजर आते हैं। 

अब पैसा आ कम, जा ज्यादा रहा 

कोई समय था जब पंजाब से लोग विदेश काम के लिए जाते थे और पैसा कमा पंजाब भेजते थे लेकिन अब लोग कमाने के साथ-साथ विदेश जाकर बसना ज्यादा पसंद करते हैं। इन लोगों के अपने प्रदेश वापस आकर बसने की उम्मीद कम है। इसके पीछे सोशल लाइफ ज्यादा काऊंट कर रही है। जो सुविधाएं इन लोगों को विदेश में मिलती हैं वे सुविधाएं जहां नहीं मिलने के कारण विदेश में बसे लोग अपने देश आते भी हैं तो कम समय के लिए। 

3 लाख   भारतीय हर साल विदेश जा रहे स्टूडैंट वीजा पर 
1.50 लाख    पंजाबी स्टूडैंट जा रहे विदेश पढने के लिए
12 लाख     रुपए के करीब फीस और जी.आई.सी. अकाऊंट में होते हैं जमा
7 से 1 %     हर साल विदेश जाने वाले स्टूडैंट्स की संख्या में वृद्धि
33 % लोग प्रॉपर्टी पर लोन लेकर जा रहे पढ़ने के लिए 


   
       
 

swetha