महाराजा का 166 करोड़ का नैकलेस, 17 करोड़ का डिनर सैट और 365 रानियां !

punjabkesari.in Sunday, Sep 01, 2019 - 10:39 AM (IST)

जालंधर। पंजाब का इतिहास अपने आप में कई अनूठे किस्से समेटे हुए है। पटियाला के राजघराने की बात करें तो पंजाब के महाराजा भूपिंदर सिंह की शानोशौकत के चर्चे एक जमाने में पूरी दुनिया में हुआ करते थे। इतिहासकारों के मुताबिक उनके पास 166 करोड़ रुपए की लागत से बना नैकलेस था जिसमें 2930 हीरे जड़ हुए थे। इसके अलावा जिस डिनर सैट में वह खाना खाते थे उसकी कीमत 17 करोड़ रुपए थी। यहां आपको यह भी बता दें कि महाराजा की 10 अधिकृत रानियों के समेत कुल 365 रानियां थीं इन रानियों की सुख सुविधा का महाराज पूरा ख्याल रखते थे।

कुछ यूं गुजारते थे 365 रानियों के साथ रातें...
दीवान जरमनी दास की किताब "महाराजा" के मुताबिक महाराजा भूपिंदर सिंह की दस पत्नियों से 83 बच्चे हुए थे जिनमें 53 ही जी पाए थे। महाराजा कैसे अपनी 365 रानियों को संतुष्ट रखते थे। इसे लेकर इतिहास में एक किस्सा बहुत मशहूर है कहते हैं कि महाराजा पटियाला के महल में रोजाना 365 लालटेनें जलाई जाती थीं। जिस पर उनकी 365 रानियों में से हर रानी का हर लालटेन पर नाम लिखा होता था जो लालटेन सुबह पहले बुझती थी महाराजा उस लालटेन पर लिखे रानी के नाम को पढ़ते थे और फिर उसी के साथ रात गुजारते थे। 

लंदन में नीलाम हुआ था डिनर सेट...
महाराजा भूपिंदर सिंह का डिनर सेट चांदी की परत चढ़ा हुआ था। इस डिनर सेट में 1400 पीस थे। हालांकि, यह डिनर सेट अब लंदन में 19.6 लाख पाउंड (करीब 17 करोड़) में नीलाम हो चुका है। लंदन के क्रिस्टी नीलामी घर के मुताबिक, यह डिनर सेट एक अज्ञात आदमी से 2013 में खरीदा गया था। महाराजा ने इस डिनर सेट को लंदन की कंपनी गोल्डस्मिथ्स एंड सिल्वरस्मिथ्स कंपनी से बनवाया था। उनकी संपति और वैभव का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अपना खुद का विमान रखने वाले भारत के पहले व्यक्ति थे।

नैकलेस में जड़ा था दुनिया का सातवां बड़ा हीरा...
आजादी से पहले भारत के राजघराने अपनी शानो शौकत और महंगे शौक के लिए पूरी दुनिया में फेमस थे। पंजाब के पटियाला रियासत के महाराजा भूपिंदर सिंह का घराना भी इनमें से एक था। उनके पास 2930 हीरो वाला नैकलेस था, जिसमें दुनिया का सातवां सबसे बड़ा हीरा जड़ा था। इस नैकलेस का वजन लगभग एक हजार कैरेट था। इस नैकलस की कुल कीमत 166 करोड़ थी।

जड़े थे कुल 23 रत्न...
इस नैकलेस में 2930 हीरों के अलावा इसमें ग्रहों की दिशा व दशा ठीक करने के लिए 23 रत्न जड़े हुए थे, जिनमें 18 कैरेट के दो रूबी शामिल हैं। इतिहासकारों के मुताबिक पटियाला के महाराजा भुपिंदर सिंह साल 1926 में आभूषण खरीदने के लिए पेरिस गए थे। वहां उन्होंने कीमती नग, हीरों और आभूषण से भरा संदूक पेरिस की ज्वेलरी बनाने वाली वर्ल्ड फेमस कंपनी कार्टियर को भेजा। उन्होंने कंपनी को एक अनूठा नैकलेस तैयार करने को कहा था।

आजादी के बाद नैकलेस हो गया चोरी...
बताते हैं कि आजादी के बाद यह नैकलेस चोरी हो गया था। इसे तोड़कर अलग-अलग हिस्सों में बेच दिया गया। नैकलेस में प्लेटिनम की चेन्स ही बची थीं। यह चेन्स 1994 में कार्टर कंपनी के अधिकारी एरिक नासबॉम को लंदन के एंटिक स्टोर में मिली थी। कार्टियर कम्पनी ने इन चेन्स को खरीदा और इस नैकलेस को दोबारा से बनाना शुरू किया। हालांकि, इस बार हीरे को रिप्लेस करने के लिए सफायर और टोपाज का इस्तेमाल किया गया। लेकिन यह एक्सपेरिमेंट फेल रहा। आखिरी बार इस नैकलेस को कैप्टन अमरिंदर सिंह के पिता महाराज यादविंदर सिंह ने पहना था।

कौन थे महाराजा...
महाराजा भूपिंदर सिंह का जन्म 12 अक्टूबर 1891 को पटियाला के मोती बाग में हुआ था। वह महराजा राजेन्द्र सिंह के पुत्र थे। वर्ष 1900 में पिता की मौत के बाद भुपिंदर सिंह को राज्य का दायित्व मिला था। जिसे वर्ष 1909 में औपचा​रिक तौर पर भुपिंदर सिंह ने संभाला। 
 

Suraj Thakur