अबोहर नगर परिषद के  3 पूर्व अधिकारी दोषी करार

punjabkesari.in Saturday, Sep 01, 2018 - 12:17 AM (IST)

अबोहर (भारद्वाज): नगर परिषद द्वारा नई सड़क के पास व्यावसायिक प्लाटों की लगभग 8 वर्ष पूर्व हुई नीलामी में कथित घोटाले की जांच रिपोर्ट सेवानिवृत्त वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी व फिरोजपुर के पूर्व उपायुक्त डा. आर.सी. नैयर ने सरकार को सौंप दी है।

इस बहुचर्चित प्रकरण का मुद्दा तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष व वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सांसद सुनील जाखड़ ने विधानसभा के भीतर और बाहर प्रमुखता से उठाया था। यह कथित घोटाला पूर्व भाजपा विधायक डा. राम कुमार गोयल के पुत्र शिवराज गोयल के परिषद प्रधान के तौर पर कार्यकाल में हुआ। सेवानिवृत्त नगर परिषद कर्मचारी संगठन की शिकायत में पंजाब सरकार ने जांच प्रारंभिक रूप से विजीलैंस ब्यूरो द्वारा करवाई थी।

ब्यूरो ने क्लर्क जसपाल सिंह व तत्कालीन अध्यक्ष शिवराज गोयल के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज करवाए थे। इन दोनों को अदालत से जमानत मिल गई थी। ब्यूरो ने अपनी जांच में नगर परिषद के पूर्व कार्यकारी अधिकारियों के विरुद्ध कोई टिप्पणी नहीं की थी। इनके विरुद्ध फरवरी माह में पंजाब सरकार सेवा नियमों के तहत जांच का काम डा. आर.सी. नैयर को सौंपा गया। जांच के दौरान सभी पूर्व कार्यकारी अधिकारियों ने स्वयं को निर्दोष बताया। 

प्लाटों की नीलामी की बदल दी गई शर्तें
नैयर ने 5 पृष्ठों की जांच रिपोर्ट में गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए कहा है कि प्लाटों की नीलामी की शर्तें षड्यंत्र पूर्वक बाद में बदल डाली गईं, जिससे परिषद को भारी आॢथक हानि का सामना करना पड़ा। शर्तों में मूल रूप से लिखा गया था कि सफल बोलीदाता शेष राशि पर 18 प्रतिशत ब्याज अदा करेंगे और 10 प्रतिशत अतिरिक्त राशि कोने वाले प्लाट के लिए वसूल की जाएगी। यदि कोई बोलीदाता बाद में किसी अन्य को प्लाट बेचेगा तो 3 प्रतिशत हस्तांतरण शुल्क वसूल किया जाएगा, लेकिन बाद में इन शर्तों में तबदीली कर दी गई। गवाही के दौरान सेवानिवृत्त क्लर्क रविन्द्र सिंह ने इस बात की पुष्टि की कि 20 अगस्त 2010 को हुई नीलामी के सफल बोलीदाताओं से पुरानी शर्तों के अनुसार वसूली की गई।

शर्तों में फेरबदल वाले दस्तावेज पर प्रधान व कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि शर्तों में फेरबदल के जो दस्तावेज तैयार किए गए, उस पर प्रधान शिवराज गोयल व तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी जगसीर सिंह के हस्ताक्षर थे। जांच रिपोर्ट में अपनी ड्यूटी में लापरवाही और कोताही बरतने के अलावा नगर परिषद को वित्तीय हानि पहुंचाने के लिए पूर्व कार्यकारी अधिकारियों जगसीर सिंह, भूषण सिंह राणा और भूषण अग्रवाल को दोषी ठहराया गया है। 

यह बात सामने आई कि विजीलैंस ब्यूरो ने जांच के दौरान शिवराज गोयल के हस्ताक्षर नमूने की जांच सरकारी परीक्षणशाला से करवाई थी और ये सही पाए गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सारी गड़बड़ के लिए ऑडिट विभाग भी जिम्मेदार है, जिसमें 17 जून 2014 को मामला स्पष्ट होने के बावजूद उचित कार्रवाई नहीं की। एक सफल बोलीदाता से ब्याज 18 प्रतिशत की बजाय 7 प्रतिशत की दर से वसूल किया गया और हस्तांतरण शुल्क भी 3 प्रतिशत की बजाय 1 प्रतिशत वसूल किया गया। इससे नगर परिषद को लाखों रुपए का नुक्सान हुआ।

Des raj