भारतीय रेलवे के 60 अधिकारी जापान में लेंगे प्रशिक्षण

punjabkesari.in Thursday, Dec 06, 2018 - 12:43 PM (IST)

जालंधर(गुलशन): “रेल संरक्षा में क्षमता विकास” पर भारत-जापान परियोजना के लिए बनी पहली संयुक्त समन्वय समिति की बैठक का आयोजन आज नई दिल्ली स्थित उत्तर रेलवे, प्रधान कार्यालय में किया गया । इस बैठक की अध्यक्षता उत्तर रेलवे के महाप्रबन्धक, श्री टी.पी. सिंह ने की। बैठक में भारत की ओर से रेलवे बोर्ड, उत्तर रेलवे, डेडिकेटिड फ्रेट कोरिडोर कार्पोरेशन लिमिटेड और रेल संरक्षा आयोग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया । जापान की ओर से जापान सरकार, जापानी दूतावास, जापान ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बोर्ड और जापान इंटरनेशनल कार्पोरेशन एजेंसी के अधिकारियों ने भाग लिया ।

प्रति वर्ष 300 रेल अधिकारियों को किया जा रहा प्रशिक्षित
भारतीय रेल जापान के साथ रेल-क्षेत्र में गहन सहयोग ले रहा है । वर्तमान में वेर्स्टन डेडिकेटिड फ्रेट कोरिडोर और मुम्बई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन चल रहा है । जापान सरकार द्वारा प्रति वर्ष हाई स्पीड रेल के लिए 300 रेल अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है । संरक्षा के क्षेत्र में बेहतर उपायों को साझा करने के लिए “रेल संरक्षा पर क्षमता विकास” संबंधी परियोजनाएं शुरू की गयी हैं ।इस विषय पर रेल मंत्रालय, भारत सरकार और जापान के भूमि, आधारभूत ढाँचे, परिवहन और पर्यटन मंत्रालय के बीच प्रारम्भिक चर्चा जनवरी, 2017 में शुरू हुई थी और फरवरी, 2017 में दोनों देशों के बीच रेल संरक्षा पर सहयोग के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए ।

जापान के चुनिंदा क्षेत्रों में दिया जाएगा प्रशिक्षण
इस ज्ञापन का उद्देश्य रेल संरक्षा विशेष रूप से ट्रैक (वैल्डिंग रेल इंस्पेक्शन, ट्रैक सर्किट इत्यादि) तथा ट्रैक और चल स्टॉक निरीक्षण की तकनीक के निरीक्षण से जुड़ी नवीनतम टैक्नोलोजी में सहयोग करना था ।इस संयुक्त कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तर रेलवे एक प्रमुख सहयोगी होगा । जापानी अध्ययन दल दो वर्षों की अवधि तक उत्तर रेलवे के साथ काम करेगा । इस परियोजना के अंतर्गत पहले चरण में भारतीय रेलवे के 60 अधिकारियों को जापान के चुनिंदा क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। जापान और भारतीय रेल के प्रतिनिधियों वाली यह समन्वय समिति इस परियोजना की शीर्ष स्तरीय समिति है । बैठक के दौरान जापान की ओर से चलाई जाने वाली गतिविधियों और उनके नतीजों पर विस्तृत चर्चा की गयी । पहली संयुक्त समन्वय समिति ने इस परियोजना को औपचारिक रूप से शुरू किया जो कि भारतीय रेलवे पर संरक्षा प्रणाली और उसके उपायों को बेहतर बनाने की दिशा में एक अति महत्वपूर्ण कदम है।

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