पेयजल के लिए हुए 92 मर्डर, दूषित जल ने ली 1.75 लाख लोगों की जान

punjabkesari.in Saturday, Feb 08, 2020 - 09:35 AM (IST)

जालंधर(सूरज ठाकुर): पाकिस्तान से भले ही भारत की जंग न हो लेकिन देश के अंदर हालात ऐसे बन गए हैं कि लोग पेयजल के लिए हिंसक होते जा रहे हैं।  कहीं लोगों को पेयजल नहीं मिल रहा है तो कहीं दूषित मिल रहा है। देशभर में पेयजल के लिए 92 मर्डर हो चुके हैं। यह खुलासा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) की हाल ही में जारी हुई 2018 की रिपोर्ट से हुआ है। वहीं नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक दूषित जल हर साल 1.75 लाख लोगों की जान ले रहा है। 

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गंभीर पेयजल संकट से गुजर रहे हैं 60 करोड़ लोग

रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में पानी को लेकर हिंसक घटनाओं के 432 मामले दर्ज हुए थे जोकि 2018 में बढ़कर 838 हो गए। 2018 में गुजरात में हत्या के 18 मामले दर्ज हुए जबकि बिहार में 15, महाराष्ट्र में 14, उत्तर प्रदेश में 12, राजस्थान और झारखंड में 10-10, कर्नाटक में 4, पंजाब में 3, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में 2-2, तमिलनाडु तथा दिल्ली में हत्या का 1-1 मामला दर्ज हुआ है। गौरतलब है कि देश के 60 करोड़ लोग गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट में भी कहा गया है कि 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण से दोगुनी हो जाएगी।

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...तो 21 बड़े शहरों में खत्म हो सकता है भू-जल!

नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 तक दिल्ली और बेंगलूर जैसे भारत के 21 बड़े शहरों से भू-जल खत्म हो सकता है। इससे करीब 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। अगर हालात ऐसे ही रहे तो 2030 तक देश में पानी की मांग दोगुनी हो जाएगी। सैंट्रल वाटर कमीशन (सी.डब्ल्यू.सी.) की नवम्बर 2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश की जनसंख्या 2050 तक 1 अरब 66 करोड़ होने का अनुमान है। 2014 में सत्ता में आने के बाद एन.डी.ए. सरकार लगातार पेयजल संकट से निजात पाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इस दौरान बजट में भी काफी उतार-चढ़ाव सामने आया है। इस बार 2020-2021 के बजट में भी जल जीवन मिशन योजना के लिए 11,500 करोड़ रुपए प्रावधान किया गया है लेकिन लक्ष्य हासिल करने की रफ्तार बहुत ही धीमी है। ऐसे में वर्ष 2050 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 6 फीसदी कमी आने की संभावना है।

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ऐसे बढ़ेगी पानी की खपत

2025 से लेकर 2050 तक की अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति आय में 5.5 लाख रुपए वार्षिक वृद्धि होने का अनुमान है। सी.डब्ल्यू.सी. की रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक पशुधन और इंसानों की खाद्य पदार्थों की मांग सालाना 250 मिलियन टन से बढ़कर 375 मिलियन टन होने का अनुमान है। पानी के घरेलू उपयोग की बात करें तो 2020 में 42 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी से देश की आवश्यकता पूरी हो रही थी। 2025 में यह मांग बढ़कर 73 बिलियन क्यूबिक मीटर हो जाएगी। 2050 तक घरेलू उपयोग के लिए 102 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता पड़ेगी।

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बढ़ रही आबादी, घट रहा है पेयजल

पत्रिका योजना के मुताबिक हमारे देश में वर्षा की मात्रा निरंतर कम होती जा रही है। इसराईल में वर्षा का औसत 25 सै.मी. से भी कम है लेकिन जल प्रबंधन की तकनीक जल की कमी का आभास नहीं होने देती। भारत में 15 प्रतिशत जल का उपयोग होता है जबकि शेष जल बह कर समुद्र में चला जाता है। एक आंकड़े के मुताबिक यदि हम अपने देश के जमीनी क्षेत्रफल में से मात्र 5 प्रतिशत में ही गिरने वाले वर्षा के जल का संग्रहण कर सके तो एक बिलियन लोगों को 100 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन मिल सकता है।

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राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना का बजट

वित्त वर्ष    राशि (करोड़ों में)
2014-15 9,007.64
2015-16 4,206.99
2016-17 5,875.16
2017-18  6,968.15
2018-19     5,466.24
2020-21  11,500


 
   
  


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