एक महीने के Honeymoon Period में AAP की बल्ले-बल्ले पर सामने हैं ये बड़ी चुनौतियां...

punjabkesari.in Saturday, Apr 16, 2022 - 01:19 PM (IST)

जालंधर (अनिल पाहवा): पंजाब में जहां भगवंत मान सरकार ने कुछ अच्छे फैसले किए , जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है वहीं इस एक महीने में कुछ विवाद भी भगवंत के गले में आ पड़े। 5 साल की सत्ता में यह अभी सिर्फ एक महीने का समय था, जिसे हनीमून पीरियड के नाम से भी जाना जाता है। मान को अब कुछ ऐसे काम और करने होंगे, जिनके दम पर वह हिमाचल या उसके बाद हरियाणा में अपनी बात रख सकें। पंजाब में एंटी करप्शन हैल्पलाइन नंबर जारी करने से करप्शन खत्म नहीं हुई, उसी तरह कुछ और ऐलान भी हैं, जिनको जमीनी स्तर तक फलीभूत करना मान सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। 

बिजली सबसिडी
पंजाब में करीब 14000 करोड़ रुपए बिजली सबसिडी पर खर्च हो रहे हैं। अगर 300 यूनिट बिजली फ्री करने का वादा भी पूरा हो जाता है तो प्रति वर्ष 5000 करोड़ रुपए का नया बोझ सरकार पर आ जाएगा। इस बोझ से निपटना राज्य सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि अकेले 20000 करोड़ रुपए के सबसिडी सरकार को अन्य जरूरी काम करने में रुकावट बन सकती है। क्योंकि खजाना पहले से ही खाली है, ऊपर से नए बोझ सरकार के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। 

पंथक मामले
पंजाब में पंथक मामलों में शिरोमणि अकाली दल का सीधा हाथ रहा है। राज्य में सिख वर्ग को अपने साथ मिलाना आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। श्री दरबार साहिब से गुरबाणी के प्रसारण को लेकर मान सरकार ने शिरोमणि अकाली दल को झटका देने की कोशिश तो की है, लेकिन इसमें सफलता बेहद जरूरी है। दूसरी तरफ पंजाब में बरगाडी मामला कई राजनीतिक दलों के लिए परेशानी का कारण रहा है। शिरोमणि अकाली दल-भाजपा की सरकार में हुए बरगाडी तथा बहबलकलां मामले में पहले ही अकाली दल को सिख वर्ग का रोष सहना पड़ा है। वहीं कांग्रेस की तरफ से भी इस मामले में कोई ठोस कदम न उठाना नुक्सान का कारण रहा। अब आम आदमी पार्टी के सामने बड़ी चुनौती है कि वह इस मुद्दे पर कोई सख्त कार्रवाई करे, ताकि इस मामले में सिख वर्ग को जहां न्याय मिले, वहीं आरोपी लोगों को सजा भी मिल सके। 

ड्रग्स
पंजाब में ड्रग्स के कारण पूरी की पूरी सरकार को हाथ धोना पड़ा था। 2014 के लोकसभा चुनावों से शुरू हुआ ड्रग्स का हथियार अभी तक कई लोगों की जिंदगियां छीन चुका है। पंजाब में ड्रग्स पर काबू पाना बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी काम न कर पाई तो आने वाले हिमाचल तथा हरियाणा के चुनावों में पार्टी के सामने कई तरह के सवाल विपक्ष खड़े कर सकता है। वैसे भी पंजाब के लोगों को भी इस मामले में अब आम आदमी पार्टी से ही उम्मीद है। 

केंद्र से खींचतान
पंजाब में भगवंत मान सरकार को विपक्षी दलों से उतना खतरा नहीं है, जितना केंद्र में बैठी मोदी सरकार से है। सरकार बनने से पहले ही केंद्र ने चंडीगढ़, बी.बी.एम.बी. जैसे कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे साफ हो गया है कि केंद्र सरकार के मंसूबे कोई बेहतर नहीं हैं। इस स्थिति में केंद्र की तरफ से सहयोग मिलेगा, ऐसी संभावना भी कोई खास नजर नहीं आती। भगवंत सरकार को बिना केंद्र के सहयोग के राज्य को चलाना इतना आसान नहीं होगा। फालतू के खर्चों को नियंत्रित कर सरकारी खजाना भरना भगवंत मान सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

आने वाले चुनाव
पंजाब में आने वाले निकाय चुनाव व उपचुनाव आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। भगवंत मान के सी.एम. उनकी संसदीय क्षेत्र की सीट खाली हो गई है। यही नहीं पंजाब में अब निकाय चुनाव भी होने हैं, जिसमें बेहतर प्रदर्शन करना आम आदमी पार्टी के लिए जरूरी है। भगवंत मान की सीट तथा निकाय चुनावों को जीतना आम आदमी पार्टी के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि हाल ही में 92 सीटों के साथ 'आप' की सरकार तो बन गई, लेकिन लोकसभा उपचुनाव से यह बात सामने आएगी कि पार्टी के प्रति लोगों के दिलो-दिमाग में क्या चल रहा है। 

पैंडिंग वायदे
महिलाओं को 1000 रुपए प्रति माह के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के कुछ और वायदे भी हैं, जिन्हें समय पर पूरा करना भगवंत मान सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। अगर इन वायदों को समय रहते पूरा कर लिया गया तो पार्टी के लिए 5 साल निकालना और अगले कुछ और सालों के लिए सत्ता में बने रहना आसान हो जाएगा। वरना पंजाब की जनता जितने सम्मान के साथ सत्ता में लेकर आई है, उतने ही सम्मान के साथ सत्ता से भी बाहर भी कर देगी। वैसे भी आम आदमी पार्टी को अभी हिमाचल, हरियाणा तथा गुजरात में खुद को साबित करना है। इसके लिए पंजाब से बेहतर कोई भी प्लेटफार्म नहीं है। इसलिए पैंडिंग वायदों को पूरा करना मान सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।


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Vatika

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