दोआबा में गिरा ‘आप’ का ग्राफ, गिरेगी कई लोकल नेताओं पर गाज!

punjabkesari.in Wednesday, May 29, 2019 - 10:22 AM (IST)

जालंधर(बुलंद): लोकसभा चुनावों में वैसे तो पंजाब की 13 सीटों में से सिर्फसंगरूर सीट छोड़कर सारी सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। इतना ही नहीं पार्टी ने देश में 9 राज्यों में कुल 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे पर पंजाब की एक सीट पर ही जीत मिली है। दिल्ली में ‘आप’ की सरकार होने के बाद भी एक सीट न जीत पाना पार्टी की कार्यशैली और योजनाबंदी पर सवालिया निशान लगाता है। पंजाब के दोआबा की 4 सीटों की बात करें तो यहां पार्टी ने बेहद बुरी परफार्मैंस दी। मुख्य तौर पर जालंधर व होशियारपुर से पार्टी ने 2 पढ़े-लिखे उम्मीदवार मैदान में उतारे थे।

होशियारपुर से डाक्टर रवजोत सिंह और जालंधर सीट से हाईकोर्ट के रिटा. जस्टिस जोरा सिंह को मैदान मे उतारकर पार्टी ने सोचा होगा कि लोग एजुकेशन के आधार पर शायद उनके उम्मीदवारों को अधिक से अधिक वोट डालेंगे, लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट। पार्टी को लोगों ने इस कदर दरकिनार किया कि जालंधर सीट से पार्टी के उम्मीदवार जोरा सिंह को सिर्फ 25,467 (2.5 प्रतिशत) वोट पड़ी जबकि बसपा ने 20.1 प्रतिशत वोट हासिल की। जालंधर सीट पर से ‘आप’ उम्मीदवार की जमानत जब्त हुई।इसी प्रकार होशियारपुर से पार्टी के उम्मीदवार डा. रवजोत सिंह को महज 44,914 (4.53 प्रतिशत) वोटें मिलीं। उनकी भी यहां जमानत जब्त हुई। होशियारपुर से बसपा को 12.98 वोटें पड़ीं। खडूर साहिब सीट पर पार्टी के यूथ विंग के प्रधान मनिंद्र सिंह सिद्धू को खड़ा किया था पर सिद्धू यहां कोई कमाल नहीं दिखा सके और पंथक वोटों की बांट का सीधा लाभ कांग्रेस को मिला। ‘आप’ के पल्ले सिर्फ13,636 वोटें (1.31 प्रतिशत) ही पड़ीं।

आनंदपुर साहिब सीट पर नरिंद्र सिर्फ53,052 वोटें ही हासिल कर सके, जोकि कुल मतों का 4.09 प्रतिशत था। इन नतीजों को देखते हुए आप पार्टी का ग्राफ काफी नीचे गिरा है और कई लोकल नेताओं पर गाज गिरेगी।ऐसे में पंजाब इकाई में हड़कंप मचा हुआ है। पार्टी के वोट बैंक में आई भारी गिरावट का पार्टी की पंजाब इकाई को जवाब देते नहीं बन रहा। आलम यह है कि अब पार्टी दोआबा की इन दोनों सीटों पर हार का मुल्यांकन करने में लगी हुई है। गत दिनों गढ़शंकर में बैठक के बाद अब पार्टी जिला व हलका स्तर पर बैठकें करने की तैयारी में है। इस बारे में अगर पार्टी वर्करों की मानें तो पंजाब में पार्टी की हार के लिए हाईकमान ही जिम्मेवार है। उनका कहना है कि केजरीवाल ने पंजाब में न तो पार्टी को स्टैंड करने की ओर ध्यान दिया है और न ही पार्टी हाईकमान ने दोआबा की जमीनी हकीकत का पता था। वहीं पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि जालंधर सीट से पार्टी ने बाहरी उम्मीदवार उतारा, जिस कारण लोकल लीडरशिप नाराज ही रही। लोकल नेताओं ने पार्टी के उम्मीदवार का साथ ही नहीं दिया।

इसी प्रकार जोरा सिंह ने भी चुनावी प्रचार के दौरान लोकल लीडरशिप द्वारा उनका साथ न दिए जाने की शिकायत हाईकमान को भेजी थी। आपसी खींचातानी के बीच पार्टी की बुरी हार होनी स्वाभाविक थी। होशियारपुर में भी पार्टी के अंदर आपसी खींचातानी रही। खासकर जो लोग पार्टी को अलविदा कह चुके थे, उन्होंने पार्टी के खिलाफ प्रचार में कोई कमी नहीं रखी। डा. रवजोत की मेहनत यहां कोई रंग नहीं ला सकी।पार्टी सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल ने पंजाब दौरे के दौरान दोआबा को एक दिन का भी समय नहीं दिया। अगर केजरीवाल आधा दिन जालंधर और आधा दिन होशियारपुर में रोड शो ही कर लेते तो इसका पार्टी की वोट बैंक पर असर पड़ सकता था लेकिन केजरीवाल सिर्फ मालवा तक ही सीमित रहे। वहीं जिस दिल्ली को वह अपना सारा समय देते रहे, वहां एक भी सीट नहीं जीत सके। पार्टी के पदााधिकारियों का कहना है कि अगर एक सप्ताह केजरीवाल पंजाब को देते तो कम-से-कम 3 सीटें हासिल कर सकते थे।

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